ऑपरेशन सिंदूर के दौरान झूठ फैला रहा था पाकिस्तान, सिंगापुर में CDS अनिल चौहान बोले- काउंटर करने में लगा 15% समय
CDS Anil Chauhan On Nuclear War: जनरल चौहान ने कहा कि भले ही पाकिस्तान ने चीन की कॉमर्शियल सैटेलाइट की मदद ली हो लेकिन इस बात का कोई प्रूफ नहीं मिला है कि रियल-टाइम हमले में मदद की हो.

CDS Anil Chauhan On Operation Sindoor: देश के सीडीएस अनिल चौहान का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना पूरी तरह तर्कसंगत थी, ऐसे में परमाणु युद्ध का सवाल नहीं उठता है. क्योंकि अघोषित-युद्ध में परमाणु युद्ध का कोई तर्क नहीं होता है. उन्होंने ये भी कहा कि ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान लगातार झूठ फैला रहा था और इसको काउंटर करने में 15 प्रतिशत समय लग गया.
जनरल चौहान का बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव खत्म कराने को परमाणु युद्ध से जोड़ दिया है. सिंगापुर में 'शांगरी-ला डायलॉग' के दौरान दुनियाभर के चुनिंदा मिलिट्री कमांडर्स और ग्लोबल थिंक-टैंक के सदस्यों को संबोधित करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल चौहान ने कहा कि पाकिस्तान से मिलिट्री टकराव के दौरान जियोपोलिटिक्स की परवाह किए बगैर, भारतीय सेना (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) ऑपरेशनली पूरी तरह स्पष्ट और स्वतंत्र थी. इस संबोधन का थीम था 'फ्यूचर वॉर्स एंड वॉरफेयर'.
जानें क्या बोले जनरल अनिल चौहान
सीडीएस ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर "एक नॉन-कॉन्टेक्ट, मल्टी डोमेन सैन्य टकराव था जिसमें काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक एलीमेंट शामिल थे." जनरल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर, निकट भविष्य के युद्धों को दर्शाता है.
जनरल चौहान ने कहा कि मॉडर्न वॉरफेयर में लैंड, एयर, मेरीटाइम, साइबर और स्पेस जैसे डोमेन के साथ ही टेक्टिकल रणनीतियों का 'जटिल कन्वर्जेंस' है. सीडीएस ने कहा कि इस परिदृश्य में बेहद जरूरी है कि बैटलफील्ड को 'डिमासीफाइड' यानी युद्ध-भूमि को खंडित किया जाए और बल-प्रयोग को अलग-अलग इस्तेमाल किया जाए. साथ ही बड़े स्थिर मिलिट्री प्लेटफार्मों से हटकर लचीली, भ्रामक रणनीतियों की ओर बढ़ना आवश्यक है. सीडीएस ने इन सभी डोमेन और रणनीतियों के लिए रियल टाइम 'नेटवर्किंग' पर जोर दिया.
15 प्रतिशत समय फेक न्यूज को काउंटर करने में लगा
सीडीएस ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, 15 प्रतिशत ऑपरेशन्ल समय फेक-न्यूज को काउंटर करने में लगा. ऐसे में इंफॉर्मेशन वॉरफेयर के लिए एक अलग यूनिट की जरूरत है. लेकिन जनरल चौहान ने कि "हमारी रणनीति में तथ्य-आधारित संचार पर जोर दिया गया, भले ही इसका मतलब धीमी प्रतिक्रिया देना हो."
जनरल चौहान ने बताया कि ऑपरेशन के शुरुआत में, दो महिला अधिकारियों (कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह) ने प्रवक्ता के रूप में काम किया जबकि वरिष्ठ नेतृत्व परिचालन में लगा हुआ था. केवल 10 मई के बाद डीजीएमओ ने मीडिया को ब्रीफ किया.
चीन की पाकिस्तान को मदद के नहीं मिले सबूत
जनरल चौहान ने साफ तौर से कहा कि भले ही पाकिस्तान ने चीन की कॉमर्शियल सैटेलाइट की मदद ली हो लेकिन इस बात का कोई प्रूफ नहीं मिला है कि चीन ने रियल-टाइम (ड्रोन और मिसाइल) हमले में मदद की हो. वहीं सीडीएस ने कहा कि भारत पूरी तरह से आकाश जैसे स्वदेशी हथियारों पर निर्भर था जिन्हें विदेश से लिए गए रडार सिस्टम से इंटीग्रेट किया गया था.
सीडीएस ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान साइबर ऑपरेशन्स का बेहद सीमित रोल था. सीडीएस ने बताया कि टकराव के दौरान पाकिस्तान की तरफ से साइबर अटैक हुए थे, जिनसे पब्लिक प्लेटफॉर्म जरूर प्रभावित हुए थे, लेकिन मिलिट्री सिस्टम पर कोई असर नहीं पड़ा.
ईकोनोमिक स्टैंड-पॉइंट की जरूरत नहीं
सीडीएस ने कहा कि ऑपरेशन्स के बाद भारत तेजी से डिसएंगेज हो गया था. क्योंकि बिना लड़े, लंबे समय तक सेना का मोबिलाइजेशन, आर्थिक तौर से मुफीद नहीं है. लंबे चलने वाले युद्ध से देश के विकास पर असर पड़ता है.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए नुकसान पर बोलते हुए सीडीएस ने कहा कि कोई भी युद्ध बिना नुकसान के नहीं आता है. लेकिन ये ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हम उसे कैसे जवाब दे रहे हैं. सीडीएस ने कहा कि महज तीन दिनों में हमने पाकिस्तान को माकूल जवाब दिया और युद्ध को नहीं बढ़ाया.
पाकिस्तान में आतंकियों को लेकर सीडीएस ने कहा कि ये इंटेलिजेंस (एजेंसियों) का विषय है. लेकिन ये विदेशी जिहादी अगर भारत की सीमा में दाखिल होने की कोशिश करेंगे तब सेना इनसे निपटेगी.
पाकिस्तान से संबंधों को लेकर भारत की है लॉन्ग-टर्म स्ट्रेटेजी
सीडीएस ने इस तथ्य को पूरी तरह खारिज कर दिया कि भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर कोई सामरिक-उद्देश्य नहीं है. जनरल चौहान ने बताया कि बंटवारे के समय (1947), पाकिस्तान कई मायनों में भारत से आगे था. लेकिन आज जीडीपी, सामाजिक सामंजस्य और विकास, भारत बहुत आगे निकल चुका है. ये भारत की दूरदर्शी सामरिक रणनीति का हिस्सा है. सामरिक-डिसएंगेजमेंट भी इसी जवाबी कार्रवाई का हिस्सा है.
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Source: IOCL
























