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अखिलेश-माया की इस मुलाकात का क्या होगा असर, जानें कैसा रहा गठबंधन का सफर
अखिलेश-माया की ये मुलाकात क्या रंग लाएगी ये तो आने वाले चुनावों में ही पता चलेगा. बता दें कि एसपी और बीएसपी गठबंधन पहले भी अपना असर दिखा चुका है, 25 साल पहले 1993 में दोनों पार्टियां एक साथ आईं थीं और जीत हासिल की थी.

नई दिल्ली: यूपी में बीजेपी के खिलाफ एसपी और बीएसपी ने एक-दूसरे से हाथ जरूर मिलाया था लेकिन मायावती और अखिलेश यादव अभी तक एक मंच पर साथ नहीं दिखे थे. कर्नाटक में जेडीएस नेता एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व में गठित होने जा रही सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में ये करिश्मा भी हो गया. समारोह में बीजेपी और पीएम विरोधी ज्यादातर सभी नेता खासकर संभावित तीसरे मोर्चे की कवायद में जुटे नेता शिरकत करने के लिए राजधानी बेंगलुरू पहुंचे थे. इस समारोह की सबसे खास बात ये रही कि समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती पहली बार एक मंच पर एक साथ दिखे. इसके पहले बीएसपी सुप्रीमो और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बेंगलूरु के होटल शंगरीला में भी मुलाकात की. माना जा रहा है कि मायावती और अखिलेश की इस मुलाकात का असर 2019 में आने चुनावों में देखने को मिलेगा. अखिलेश-माया की इस मुलाकात के सियासी मायने निकाले जाएंगे. अखिलेश-माया की ये मुलाकात क्या रंग लाएगी ये तो आने वाले चुनावों में ही पता चलेगा. बता दें कि एसपी और बीएसपी गठबंधन पहले भी अपना असर दिखा चुका है, 25 साल पहले 1993 में दोनों पार्टियां एक साथ आईं थीं और जीत हासिल की थी. ऐसे में बीजेपी के लिए ये खतरे की घंटी हो सकती है. एसपी-बीएसपी ने ढहाया था अभेद्य किला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में एसपी-बीएसपी के गठबंधन ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी थी. गोरखपुर और फूलपुर में बीएसपी ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे और एसपी को अपना समर्थन दिया था. मायावती ने बिना क्षेत्र में जाए ही अपने वोटरों को एसपी को वोट देने का शानदार कारनामा कर दिखाया था. जीत के बाद एसपी मुखिया अखिलेश यादव ने लोकसभा में जीत को दलित, अल्पसंख्यक और गरीबों की जीत बताया था. उन्होंने कहा था कि गोरखपुर में प्रवीण निषाद ने साइकिल को दौड़ाया तो फूलपुर में कमल मुरझा गया. बता दें कि उत्तर प्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में बंपर जीत के एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीएसपी चीफ मायावती से मुलाकात की थी. अखिलेश यादव मायावती के घर गुलदस्ता लेकर पहुंचे थे, दोनों के बीच करीब 40 मिनट तक बातचीत भी हुई थी. अखिलेश और मायावती की मुलाकात में संजय सेठ का था अहम रोल अखिलेश और मायावती की इस मुलाकात में समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद संजय सेठ की बड़ी भूमिका रही थी. कहा जा रहा था कि इस मुलाकात के सूत्रधार संजय सेठ ही रहे. संजय सेठ मुलाकात के दौरान भी दोनों नेताओं के साथ थे. पेशे से बिल्डर संजय सेठ को समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा भेजा था. संजय सेठ को मुलायम सिंह का बेहद करीबी माना जाता है. लखनऊ में मायावती, अखिलेश यादव और इटावा में मुलायम सिंह यादव का घर भी संजय सेठ ने ही बनाया है.
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Source: IOCL





















