मध्य प्रदेश: शिवपुरी में दांव पर लगी है सिंधिया परिवार की साख, यशोधरा राजे और ज्योतिरादित्य सिंधिया में टक्कर
शिवपुरी से बीजेपी के टिकट पर यशोधरा राजे सिंधिया हैं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए इस जिले में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे हैं.

भोपाल: मध्य प्रदेश का शिवपुरी जिला कभी सिंधिया वंश की समर कैपिटल हुआ करता था. लेकिन आज ये जिला चुनावी समर का एक गढ़ बन चुका है. एक तरफ सीएम शिवराज सिंह चौहान पूरे मध्य प्रदेश में हुंकार भर रहे हैं. तो इस सियासी समर में कांग्रेस भी पीछे नहीं है. दोनों ही पार्टियां चुनावी रण में जीत का प्रण लेकर उतरी हैं और इस प्रण की परीक्षा का एक मोर्चा शिवपुरी सीट है. जहां सिंधिया परिवार की साख दांव पर लगी है.
शिवपुरी से बीजेपी के टिकट पर यशोधरा राजे सिंधिया हैं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए इस जिले में अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे हैं.
शिवपुरी का सियासी समीकरण शिवपुरी जिले में विधानसभा की पांच सीटें हैं. शिवपुरी और पोहरी सीट पर बीजेपी का कब्जा है तो वहीं करैरा, पिछोर और कोलारस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है.
सियासत से अलग शिवपुरी जिला अपने प्राकृतिक सौंदर्य और एतिहासिक विरासत के लिए भी जाना जाता है जिसकी निशानियां शहर के चौक-चौराहों पर दिखती हैं. यहां सैकड़ों साल पहले बना नरवर का किला है तो माधव नेशनल पार्क भी जिले में मौजूद है. लेकिन इन सब के अलावा जिले में थोक के हिसाब से मुसीबतें भी हैं. जिनकी समाधान की बाट जिले की जनता कई सालों से खोज रही है.
शिवपुरी के लोगों की समस्या शिवपुरी के ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में पीने के पानी की परेशानी है. शहर की जलावर्धन योजना 10 साल से लटकी है. पत्थर के खदान बंद पड़े हैं और दूसरा कोई उद्योग है नहीं लिहाजा जिले में बेरोजगारी भी बड़े पैमाने पर है. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह इसी जिले से आते हैं बावजूद इसके जिला अस्पताल का आईसीयू पिछले दो सालों से बंद पड़ा है. शहर की सीवर योजना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. 60 करोड़ का प्रोजेक्ट 110 करोड़ का हो गया है.
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चुनौती बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए होगी. जिले में कांग्रेस अपनी बढ़त बनाए रखने के मकसद से उतरेगी तो वहीं बीजेपी, कांग्रेस के इस किले में भीतर तक सेंधमारी करने के मकसद से उतर चुकी है. लेकिन इन सब के बीच आखिरी फैसला शिवपुरी की जनता को करना है कि आखिर बुआ यानि यशोधरा राजे सिंधिया या फिर भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया में उनका नेता कौन है.
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Source: IOCL























