SC प्रोफेसर उत्पीड़न मामले में कानपुर IIT के प्रोफेसर्स को मिली HC से राहत, FIR पर रोक
अनुसूचित जाति के प्रोफ़ेसर के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने के मामले में कानपुर आईआईटी के तीन प्रोफेसरों और धनबाद आईआईटी के डायरेक्टर को आज इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है.

प्रयागराज: अनुसूचित जाति के प्रोफ़ेसर के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने के मामले में कानपुर आईआईटी के तीन प्रोफेसरों और धनबाद आईआईटी के डायरेक्टर को आज इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इन सभी के खिलाफ तीन दिन पहले कानपुर में दर्ज हुई एफआईआर पर रोक लगा दी है. अदालत ने एफआईआर दर्ज किये जाने पर नाराज़गी जताते हुए यूपी सरकार और शिकायतकर्ता प्रोफ़ेसर को नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब भी कर लिया है.
इन दोनों को अपना जवाब देने के लिए चार हफ्ते की मोहलत दी गई है. अगला आदेश होने तक कानपुर के कल्याणपुर थाने में दर्ज एफआईआर के अमल होने पर रोक रहेगी. एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी प्रोफेसरों ने आज ही हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है. मामले की सुनवाई जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस राजीव जोशी की डिवीजन बेंच में हुई. हाईकोर्ट ने इससे पहले इसी मामले में नेशनल एससी एसटी कमीशन द्वारा एफआईआर दर्ज किये जाने के आदेश पर भी रोक लगा रखी है.
गौरतलब है कि कानपुर आईआईटी के एयरोस्पेस डिपार्टमेंट में इसी साल जनवरी महीने में डा. सुब्रमण्यम सडरेला नाम के एक अनुसूचित जाति के टीचर ने असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के तौर पर ज्वाइन किया था. नौ मार्च को उन्होंने शिकायत की थी कि डिपार्टमेंट के प्रोफ़ेसर डा० राजीव शेखर, प्रो० ईशान शर्मा, प्रो० सीएस उपाध्याय और प्रो० संजय मित्तल उन पर जातिसूचक टिप्पणी कर उनका मजाक उड़ाते हैं. डा० सडरेला ने संस्थान के निदेशक के साथ ही इसकी शिकायत नेशनल एससी कमीशन से शिकायत की थी. इस बीच डा० राजीव शेखर धनबाद आईआईटी के डायरेक्टर नियुक्त हो गए.
कमीशन ने तेरह अप्रैल को एक आदेश जारी कर आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर को चारों आरोपी प्रोफेसरों को सस्पेंड करने, उन्हें प्रशासनिक पदों से हटाए जाने और उनके खिलाफ एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई किये जाने को कहा था. तेरह अप्रैल के इस आदेश पर संस्थान ने कार्यवाही प्रक्रिया शुरू कर दी थी.
हाईकोर्ट ने अठारह अप्रैल को पूरी प्रक्रिया व एफआईआर के आदेश पर रोक लगा दी थी. एससी कमीशन ने इसके बाद फिर से एफआईआर का आदेश दिया, जिस पर फिर से हाईकोर्ट की रोक लग गई. इससे पहले आईआईटी के बोर्ड आफ गवर्नेंस भी आरोपी प्रोफेसरों को क्लीन चिट दे चुकी है. मामला अदालत में पेंडिंग होने के बावजूद प्रोफ़ेसर सड़रेला ने चारों प्रोफेसरों के खिलाफ अठारह नवम्बर को कानपुर के कल्याणपुर थाने में एफआईआर दर्ज करा दी.
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