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नीतीश ने अब PM मोदी की फसल बीमा योजना को किया इग्नोर, किसानों के लिए शुरू की सहायता योजना

बिहार की नीतीश सरकार ने कहा कि नई फसल सहायता योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जगह आई है और यह खरीफ फसलों के समय में 2018 से लागू किया जाएगा.

पटना: बिहार में नीतीश सरकार ने नरेंद्र मोदी सरकार की किसानों के लिए फसल बीमा योजना की जगह फसल सहायता योजना को लागू कर दिया है. सहकारी विभाग के प्रमुख सचिव अतुल प्रसाद ने बताया कि यह नई योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जगह आई है और यह खरीफ फसलों के समय में 2018 से लागू किया जाएगा. उन्होंने किसानों को स्पष्ट किया कि यह आर्थिक सहायता योजना है न कि बीमा योजना.

प्रसाद ने बताया कि कोई भी किसान जो इस योजना के तहत पंजीकृत रहेंगे उन्हें प्रीमियम जमा नहीं करना होगा बल्कि प्राकृतिक कारणों की वजह से फसलों को पहुंची क्षति मामले में इसका लाभ लेने के हकदार होंगे. उन्होंने बताया कि पहले वाली योजना में किसानों से ज्यादा बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचा. प्रसाद ने बताया कि राज्य सरकार को बीमा योजना के तहत वह राशि भी नहीं मिली जिसे उसने फसलों के बीमा के लिए प्रीमियम राशि (495 करोड़) के तौर पर जमा किया था.

केंद्र की योजना से क्या हो रहा था नुकसान? उन्होंने बताया कि पूर्व में फसल बीमा योजना जिसमें केन्द्र को 49 प्रतिशत, राज्य को 49 प्रतिशत और लाभ पाने वाले किसानों को 02 प्रतिशत प्रीमियम राशि में हिस्सा भुगतान करना पड़ता था. जिसकी वजह से ऋणी किसानों को थोड़ा फायदा मिलता था. प्रसाद ने आंकड़ों के हवाले से बताया कि पूर्व की फसल बीमा योजना के तहत राज्य को प्रीमियम राशि के रूप में 495 करोड़ रूपये देनी पड़ी थी, जबकि किसानों को राहत राशि मात्र 221 करोड़ रूपये ही देना पड़ा. यानी बाकी रुपये बीमा कंपनी को बच गए.

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किसानों को क्या लाभ होगा? इस योजना का लाभ राज्य सरकार की कृषि इनपुट योजना और डीजल अनुदान योजना के तहत लाभार्थी किसानों को मिलेगा. इस संदर्भ में सहकारिता विभाग के पूर्व प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने जानकारी दी कि इस अनूठी योजना की चार प्रमुख बातें हैं. किसानों को कोई प्रीमियम राशि या रजिस्ट्रेशन शुल्क भुगतान नहीं करना होगा. वे किसी भी वसुधा केन्द्र, इंटरनेट कैफे या घर से ऑनलाइन रजिस्टेशन करा सकते हैं और इसके तहत रैयती और गैररैयती दोनों तरह के किसान आते हैं. रैयती किसानों को लैंड पॉजिशन सर्टिफिकेट देना होगा और गैररैयती वालों को वार्ड मेंबर से दस्तखत करवाना होगा. इसके अलावा आवासीय प्रमाण पत्र, फोटो पहचान पत्र, आधार कार्ड, बैंक पासबुक के कागजात जरूरी होंगे. किसानों को सहायता राशि फसल कटनी के आधार पर खरीफ के लिए मार्च-अप्रैल और रबी के लिए सितंबर के अंत तक भुगतान कर दिया जायेगा. यह भुगतान उनके आधार इनेबल्ड बैंक खातों में ऑनलाइन होगा.

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एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए बिहार के कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान बीमा योजना एक अच्छी योजना थी पर नीतीश कैबिनेट का किसान फसल सहायता योजना बेहतर है. बीमा कंपनियों को पैसा न देकर सीधे किसानों के खाते में पैसा जाएगा. बिहार जैसे गरीब राज्य के किसानों के लिए ये अच्छी योजना है. इस योजना से रैयत और गैर रैयत किसानों को भी फायदा मिलेगा. गैर रैयत वैसे किसानों को कहा जाता है जो लीज या बंटेदारी के आधार पर बड़े किसानों से जमीन लेकर खेती करते हैं.

बिहार में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन की सरकार है. ऐसे में केंद्र की योजना को हटाकर नई योजना लागू किये जाने के नीतीश कुमार के फैसले के बाद कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. नीतीश हाल ही में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग भी नये सिरे से शुरू कर चुके हैं. उन्होंने नोटबंदी के फैसले की भी आलोचना की है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या नीतीश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्या आइना दिखाना चाहते हैं?

In Depth: इन पांच वजहों से नीतीश कुमार ने तेज कर दी विशेष राज्य के दर्जे की मांग

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