'गुजरात मॉडल' की मदद से यूपी में दूध की नदी बहाएंगे योगी आदित्यनाथ!

लखनऊ: यूपी में खेती और राशन बांटने के लिए छत्तीसगढ़ मॉडल तो राज्य में दूध-दही की नदी बहाने के लिए गुजरात मॉडल लागू होने जा रहा है. चुनाव से पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह दूध की नदियां बहाने के सपने दिखा चुके हैं. अब उस सपने को हकीकत बनाने के लिए योगी सरकार गुजरात मॉडल लागू करने जा रही है. वही गुजरात मॉडल जिसने राज्य की सूरत ही बदल दी थी.
कैसी है उत्तर प्रदेश की मौजूदा हालत
राज्य की 47 फीसदी आबादी खेती पर आधारित है. लेकिन 15 सालों में कृषि विकास दर सिर्फ ढाई फीसदी रही, जबकि देश में 2.9 फीसदी थी. ये हाल तब है जब राज्य की 78 फीसदी जमीन सिंचाई के दायरे में जबकि पूरे देश में ये औसत 47 फीसदी है.
जानकार मानते हैं कि राज्य अगले दस साल तक पांच फीसदी कृषि विकास दर से आगे बढ़ने की क्षमता रखता है. इसके लिए सबसे जरूरी है डेयरी उद्योग को आगे बढ़ाना, क्योंकि इससे किसानों की कमाई भी बढ़ेगी और 70 फीसदी तक महिलाओं को भी काम मिल जाएगा. लेकिन इसके लिए योगी सरकार को अमूल जैसे संगठित डेयरी उद्योगों को राज्य में प्लांट लगाने के लिए बुलाना पड़ेगा.
देश में सबसे ज्यादा ढाई करोड़ लीटर दूध का उत्पादन यूपी में होता है
देश में सबसे ज्यादा ढाई करोड़ लीटर दूध का उत्पादन यूपी में होता है. यह पूरे देश में होने वाले दूध के उत्पादन का सत्रह फीसदी है, लेकिन सिर्फ बारह फीसदी दूध ही डेयरी उद्योग को जाता है. इसका सबसे बड़ी वजह यह है कि किसानों को दूध के अच्छे दाम नहीं मिलते. जबकि गुजरात में 50 फीसदी से ज्यादा दूध डेयरी उद्योग को जाता है.
क्या है गुजरात मॉडल?
गुजरात-राजस्थान बॉर्डर पर बसे बनासकांठा की बनास डेयरी एशिया की सबसे बड़ी डेयरी में गिनी जाती है. इस डेयरी को किसान ही चलाते हैं. इलाके के 1200 गांव और एक लाख 80 हजार किसानों की बनी यह मंडली गुजरात कोऑपरेटिव को दूध बेचती है. गांव में कलेक्शन सेंटर पर किसान जमा दूध करवाते हैं. शाम को डेयरी में दूध पहुंचता है और आधुनिक मशीनों से दूध और अलग-अलग प्रोडक्ट तैयार होते हैं.
दूध का भाव डेयरी और सहकारी संघ के मुनाफे के आधार पर निकाला जाता है. जिसके बाद हर महीने किसानों के खाते में पैसे जमा होते हैं. इसके अलावा जानवरों के इलाज और खाने का इंतजाम भी कोऑपरेटिव से ही होता है. गुजरात में साढ़े 18 हजार गांवों से एक करोड़ सत्तर लाख लीटर दूध रोजाना कोऑपरेटिव सोसाइटी लेती है. इससे 36 लाख परिवारों को सीधा फायदा होता है. अगर गुजरात की तरह यूपी में भी दूध-घी की नदियां बहानी है तो राज्य में संगठित डेयरी उद्योग खड़ा करना होगा और इसीलिए योगी मोदी के गुजरात मॉडल को अपना रहे हैं.
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