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जम्मू-कश्मीर: गृहमंत्री अमित शाह ने राजौरी और बारामूला ही जाना क्यों चुना?

बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में रहने वाले पहाड़ी समुदाय की काफी समय से लंबित मांग के तहत उन्हें अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने का वादा किया था.

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कब होंगे, ये तो अभी तय नहीं है. लेकिन गुजरात और हिमाचल प्रदेश के साथ इसी साल 2022 के अंत तक जम्मू कश्मीर में भी चुनाव का ऐलान किया जा सकता है. इन अनुमानों के बीच राज्य में सभी पार्टियां एक्टिव हो गई है. एक तरफ जहां हाल ही में कांग्रेस से निकले गुलाम नबी आजाद ने अपनी नई पार्टी बनाकर चुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया है तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी भी अपनी पहली सरकार बनाने के लिए पूरी तैयारी से चुनावों में कूदने के लिए कमर कस रही है. 

इसी क्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सोमवार यानी 3 अक्टूबर को तीन दिवसीय दौरे पर जम्मू-कश्मीर पहुंचे. उनके इस दौरे को जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के प्रचार अभियान की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ शाह के इस दौरे को लेकर पहाड़ी और गुर्जर समुदाय को काफी उम्मीदें हैं. हाल ही में बीजेपी ने गुर्जर मुस्लिम को मनोनीत सदस्य के तौर पर राज्यसभा भेजा था. उनके इस कदम से बाद उम्मीद जताई जा रही है कि शाह आज होने वाली रैली में पहाड़ी लोगों को एसटी का दर्जा देने को लेकर कोई घोषणा कर सकते हैं. 

शाह से कल यानी सोमवार को डोगरा समेत पांच समुदाय के लोगों से मुलाकात की. शाह से मिलने वाले इस प्रतिनिधिमंडल में गुर्जर, बकरवाल, पहाड़ी, सिख और राजपूत समुदाय के लोग शामिल थे. वहीं आज केंद्रीय मंत्री  राजौरी और बारामूला में दो रैलियों को संबोधित करेंगे, इन दो क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पहाड़ी लोग मौजूद हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि इस रैली में पहाड़ी समुदाय के शामिल होंगे. दरअसल उन्हें उम्मीद है कि केंद्रीय मंत्री आज पहाड़ी लोगों को एसटी का दर्जा देने को लेकर कोई घोषणा कर सकते हैं. 

गुर्जर और बकरवाल ने जताई नाराजगी 

बता दें कि बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में रहने वाले पहाड़ी समुदाय की काफी समय से लंबित मांग के तहत उन्हें अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने का वादा किया था. हालांकि पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति श्रेणी में शामिल करने के प्रस्ताव पर गुर्जरों और बकरवालों ने नाराजगी भी जताई है. 

ये नाराजगी इस हद तक बढ़ गई है कि गुर्जर जनजाति के सदस्यों ने बीते सोमवार यानी 3 अक्टूबर को शोपियां में विरोध प्रदर्शन भी किया. उनकी मांग है कि अनुसूचित जनजाति समुदाय की स्थिति के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए. 

वहीं दूसरी तरफ पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बीते दिनों बीजेपी पर फूट की राजनीति का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जम्मू संभाग में गुर्जरों को पहाड़ियों के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रही है. मुफ्ती ने कहा कि गुर्जर और पहाड़ी सदियों से एक साथ रह रहे हैं लेकिन पार्टी के पहाड़ी समुदाय को आरक्षण देने की बात से पीर पंजाल क्षेत्र में काफी तनाव है. इस पार्टी ने भाइयों को दुश्मन बना दिया गया है. उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है. 


जम्मू-कश्मीर: गृहमंत्री अमित शाह ने राजौरी और बारामूला ही जाना क्यों चुना?
नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के अंदर मतभेद 

पहाड़ी लोगों को ST का दर्जा देने की संभावना ने नेशनल कांफ्रेंस पार्टी के अंदर भी राजनीतिक विवाद और मतभेद पैदा कर दिया है.  नेकां के वरिष्ठ नेता कफील उर रहमान ने पहाड़ी भाषियों को शाह की बारामुला रैली में शामिल होने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा, 'बिरादरी (समाज) पहले है, राजनीति बाद में.  हमारे लिए एकता दिखाने अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त करने का यही मौका है. अगर अब चूक गए तो फिर यह बहुत मुश्किल होगा. '  नेकां के वरिष्ठ नेता के इस टिप्पणी से पार्टी के अंदर अनबन शुरू हो गई है. 

अमित शाह ने राजौरी और बारामूला को क्यों चुना?

जम्मू-कश्मीर में गुर्जर और बकरवाल की लगभग 99.3 फीसदी आबादी इस्लाम का पालन करती है. 2011 की जनगणना के अनुसार, जम्मू-कश्मीर की आबादी में हिंदू 28.44 फीसदी और मुस्लिम 68.31 फीसदी हैं. माना जा रहा है कि गुर्जर और पहाड़ी मुसलमानों को लुभाने की कोशिश की जा रही है. 

पहाड़ियों को एसटी का दर्जा देना बीजेपी के जम्मू-कश्मीर में ज्यादातर सीटें अपने नाम करने के एक बड़े राजनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है. शाह की बारामूला रैली में पूरे कश्मीर से बीजेपी समर्थकों के जुटने की उम्मीद है.

इन दोनों ही इलाकों में पहाड़ी भाषी लोगों की एक बड़ी आबादी रहती हैं, इन्हें भाजपा से उम्मीद है कि अपने वादे के अनुसार यह पार्टी अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने को लेकर कोई कदम उठाएगी.

कहा जा रहा है कि अमित शाह अपनी इस रैली में सीधे पहाड़ी समुदाय के लोगों से बातचीत करने की कोशिश करेंगे. पहाड़ी मुसलमानों को भी उनसे अच्छी खबर की उम्मीद है.


जम्मू-कश्मीर: गृहमंत्री अमित शाह ने राजौरी और बारामूला ही जाना क्यों चुना?

विकास की कई परियोजनाओं का भी करेंगे उद्घाटन

पहाड़ी मुस्लिम समुदाय से बातचीत के अलावा अमित शाह इस रैली में विकास की कई परियोजनाओं का उद्घाटन भी कर सकते हैं. अपने इस दौरे के दौरान शाह जम्मू शहर के ईदगाह इलाके में प्रस्तावित कैंसर अस्पताल की आधारशिला रख सकते हैं. इसके अलावा पुंछ राष्ट्रीय राजमार्ग, जम्मू-अखनूर फ्लाईओवर और कई अन्य परियोजनाओं का उद्घाटन भी करेंगे. 

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