कभी फिल्म बनाते थे अब कर्नाटक की किस्मत चमकाएंगे कुमारस्वामी
कर्नाटक की राजनीति में कुमार स्वामी और उनका पार्टी ने हमेशा बेहद अहम रोल निभाया. कर्नाटक में सरकार बनाने से गिराने तक के इतिहास में कुमार स्वामी का नाम जरूर आता है.

बेंगलुरू: कर्नाटक चुनाव नतीजों के बाद हर किसी की जुबान पर सिर्फ एक ही नाम है, एचडी कुमार स्वामी. तमाम एग्जिट पोल में किंग मेकर कहे जा रहे कुमारस्वामी दरअसल असली किंग बनकर उभरे हैं. तीसरी बड़ी पार्टी के नेता होने के बावजूद कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हैं.
फिल्म मेकर और डिस्ट्रीब्यूटर से राजनेता बने कुमारस्वामी की राजनीतिक जिंदगी भी कम फिल्मी नहीं रही है. कर्नाटक की राजनीति में कुमार स्वामी और उनका पार्टी ने हमेशा बेहद अहम रोल निभाया. कर्नाटक में सरकार बनाने से गिराने तक के इतिहास में कुमार स्वामी का नाम जरूर आता है.
कर्नाटक के नए मुखिया बनने जा रहे जनता दल सेक्युलर के नेता एचडी कुमार स्वामी पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बड़े बेटे हैं. राजनीति में आने से पहले कुमारस्वामी एक सफल फिल्म निर्माता और डिस्ट्रीब्यूटर थे.
1996 लोकसभा चुनाव में कनकपुरा सीट से जीत दर्ज कर उन्होंने राजनीति में एंट्री ली लेकिन इसके बाद 1998 के आम चुनाव में वे कांग्रेस के दिवंगत नेता एमवी चंद्रशेखर से चुनाव हार गए. इस चुनाव में कुमारस्वामी की जमानत तक जब्त हो गई थी.
इसके बाद 1999 के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने उतरे कुमार स्वामी को एक बार फिर हार का मुंह देखना पड़ा. इसके बाद कर्नाटक विधानसभा में एंट्री के लिए पांच साल इंतजार करना पड़ा. 2004 के विधानसभा चुनाव में रामनगर सीट से जीत दर्ज कर वे विधानसभा पहुंचे.
रामनगर सीट से कुमार स्वामी आज तक अपराजेय हैं. इस साल त्रिशंकु विधानसभा होने पर जेडीएस ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया. कर्नाटक के इतिहास में पहली बार गठबंधन की सरकार बनी, उस जेडीएस में रहे सिद्धारमैया उपमुख्यमंत्री बने. करीब 20 महीने कांग्रेस के साथ सरकार चलाने के बाद समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद मुख्यमंत्री धरम सिंह ने इस्तीफा दे दिया और कुमार स्वामी ने बीजेपी के साथ सरकार बना ली.
कुमार स्वामी ने बीजेपी के साथ 20-20 महीने सरकार चलाने की शर्त रखी लेकिन 20 महीने पूरे होने के बाद कुमार स्वामी ने बीएस येदुरप्पा को सत्ता की चाभी देने से मना कर दिया. कुमार स्वामी ने अक्टूबर 2007 में इस्तीफा दे दिया, इसी के साथ राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.
इसके बाद एक और नाटकीय घटना क्रम में जेडीएस ने बीजेपी को सपोर्ट दिया. बीएस येदुरप्पा ने राज्य के 19वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. इसके सात दिन बाद बीजेपी और जेडीएस ने फिर मनमुटाव हुआ. इस बार बीजेपी ने समर्थन वापस लिया और मुख्यमंत्री बनने के सात दिन के बाद की येदुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया.
कुमारस्वामी ने मेराजुद्दीन पटेल के निधन के बाद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान संभाली. लेकिन यहां भी भाग्य ने उनका ज्यादा दिन साथ नहीं दिया. बैंगलौर ग्रामीण लोकसभा सीट और मंड्या सीट पर हुए उप चुनाव में हुई हार के बाद उन्हें अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद साल 2014 में एक बार फिर पार्टी की कमान अपने हाथ में ली.
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