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जानिए- पश्चिम बंगाल के उस फरक्का बांध के बनने की कहानी, जिससे बिहार पानी-पानी है

आज हम आपको पश्चिम बंगाल के फरक्का बांध के बनने की कहानी बताने जा रहे हैं. अक्सर कहा जाता है कि इसी बांध के कारण बिहार में बाढ़ आती है.

पटना: बिहार में बाढ़ जैसी स्थिति है, कई इलाके पानी-पानी हो गए हैं. राजधानी पटना के कुछ इलाके तो जैसे डूब ही गए हैं.  राज्य में बाढ़ का गंभीर खतरा मंडरा रहा है. नीतीश कुमार कई बार कह चुके हैं कि फरक्का बांध की वजह से स्थिति बिहार में खराब है. साल 2016 में जब राज्य में बाढ़ आई थी तो नीतीश ने इस बांध को तोड़ने की भी बात पीएम मोदी से की थी. अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर यह फरक्का बांध क्या है ?  इसका इतिहास क्या है ?. साथ ही यह बांध कैसे बिहार में बाढ़ जैसी स्थिति के लिए जिम्मेदार है? आइए जानते हैं फरक्का बांध के बारे में सबकुछ

फरक्का बांध का इतिहास

फरक्का बांध भारत के पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के उपर बना बांध है. इसका निर्माण साल 1975 में हुआ. 1975 में इसे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में गंगा नदी पर बनाया गया. इसे हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बनाया था और इसकी लंबाई 2.62 किलोमीटर है. दरअसल उन्नीसवीं सदी में सर आर्थर काटन जो  एक ब्रिटिश जनरल और सिंचाई इंजीनियर थे, उन्होंने पहली बार ऐसा कोई बांध बनाने का सुझाव दिया था. देश आजाद होने के बाद ऐतिहासिक कोलकाता बंदरगाह गाद की समस्या के चलते लगातार बदहाली की ओर बढ़ता रहा. एक दौर ऐसा भी आया जब पानी की गहराई कम हो जाने की वजह से बड़े जहाज कोलकाता तक नहीं पहुंच पाते थे. उसी दौरान सर आर्थर काटन के सुझावों पर नए सिरे से विचार करते हुए फरक्का में बांध बनाने का फैसला किया गया.

अब सवाल है कि इसका निर्माण क्यों और किस उद्देश्य के लिए किया गया था. दरअसल फरक्का बांध का निर्माण का एक मात्र मकसद गंगा से 40 हजार क्यूसेक पानी को हुगली में भेजना था ताकि हुगली में कोलकाता से फरक्का के बीच बड़े जहाज चल सकें. इस बांध में 109 गेट बनाए गए थे. ग्रीष्म ऋतु में हुगली नदी के बहाव को निरंतर बनाये रखने के लिये गंगा नदी के पानी के एक बड़े हिस्से को फ़रक्का बांध के द्वारा हुगली नदी में मोड़ दिया जाता है.

जब इस बांध का निर्माण किया गया तो सोचा गया कि इस पानी से कोलकाता बंदरगाह में जमा होने वाली गाद बह जाएगी और यह दोबारा काम लायक हो जाएगा. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. कोलकाता बंदरगाह की हालत अब भी जस की तस है. फरक्का बांध हुगली के मुहाने से गाद साफ करने के अपने मकसद में नाकाम रहा है.

बिहार में बाढ़ के लिए फरक्का बांध जिम्मेदार है ?

अब सवाल उठता है कि बिहार में पहले आई बाढ़ या फिर आज की स्थिति के लिए क्या फरक्का बांध जिम्मेदार है. आइए इस सवाल का जवाब तलाशते हैं. थोड़ा पीछे जाएं तो साल 2016 में बिहार में बड़ी बाढ़ आई थी. जलस्तर के पिछले रिकॉर्ड टूट गए थे. इसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम मोदी से मुलाकात कर के फरक्का बांध तोड़ने की बात कही थी. दरअसल फरक्का बांध तोड़ने की बात कहते हुए नीतीश ने कहा था कि गंगा उथली हो गई है और पानी को निकालने में पहले जैसी समर्थ नहीं है. उन्होंने कहा था कि जबतक गंगा से गाद नहीं निकाली जाएगी तब तक बिहार में हर साल बाढ़ आएगी.

दरसअल गंगा बिहार के ठीक मध्य से होकर गुजरती है. यह पश्चिम में बक्सर जिले से राज्य में प्रवेश करती है और भागलपुर तक 445 किलोमीटर की दूरी तय करती हुई झारखंड और फिर बंगाल में प्रवेश कर जाती है. कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के आंकड़ों का कहना है कि फरक्का बांध बनने से पहले हुगली में गाद जमा होने की रफ्तार 6.40 मिलियन क्यूबिक मीटर सालाना थी जो अब बढ़ कर सालाना 21.88 मिलियन क्यूबिक मीटर तक पहुंच चुकी है.

कपिल भट्टाचार्य ने चेतावनी 1950 में ही दे दी थी चेतावनी

बंगाल के एक इंजीनियर जिनका नाम कपिल भट्टाचार्य था उन्होंने बहुत पहले बिहार में फरक्का बांध की वजह से बाढ़ आने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि फरक्का के कारण बंगाल के मालदा और मुर्शीदाबाद में तो बाढ़ आएगी ही साथ ही बिहार के पटना, बरौनी, मुंगेर, भागलपुर और पूर्णिया हर साल पानी में डूबेंगे. उन्होंने कहा था कि फरक्का बैराज से पैदा हुई रुकावट के कारण गंगा की गति धीमी हो जाएगी. इससे पानी में बहकर आई गाद गंगा के तल में जमने लगेगी. गाद जमने से यह होगा कि गंगा उथली होगई और इससे बाढ़ का प्रभाव बढ़ेगा.

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