टनल में रेस्क्यू की जंग कैसे जीतें? GSI और NGRI एक्सपर्ट बताएंगे, टनल से निकाला जा रहा पानी, जानें लेटेस्ट अपडेट
Telangana Tunnel Collapse Rescue: नागरकुरनूल के जिलाधिकारी बी. संतोष ने कहा कि आगे कोई भी कदम उठाने से पहले सुरंग की स्थिरता को ध्यान में रखा गया है और पानी निकालने का काम जारी है.

Telangana Tunnel Collapse Rescue: तेलंगाना सरकार ने श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग के निर्माणाधीन खंड के शनिवार (22 फरवरी) को आंशिक रूप से ढह जाने के बाद उसमें फंसे आठ लोगों को बचाने के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) के विशेषज्ञों की मदद ली गई है. एक अधिकारी ने मंगलवार (25 फरवरी) को बताया कि आठ लोग चौथे दिन भी फंसे हुए हैं, इसलिए जीएसआई और एनजीआरआई के विशेषज्ञों को बचाव प्रयासों में शामिल किया गया है.
नागरकुरनूल के जिलाधिकारी बी. संतोष ने मंगलवार को कहा कि आगे कोई भी कदम उठाने से पहले सुरंग की स्थिरता को ध्यान में रखा गया है और पानी निकालने का काम जारी है. जिलाधिकारी ने बताया, ‘‘अब तक हम उनसे (फंसे हुए लोगों से) संपर्क नहीं कर पाए हैं. हम भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और कुछ अन्य लोगों की सलाह ले रहे हैं. अभी हम पानी निकाल रहे हैं और आगे की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन आखिरी 40 या 50 मीटर तक हम नहीं पहुंच पाए हैं. अब तक हम जीएसआई और एनजीआरआई की सलाह ले रहे हैं. एलएंडटी के विशेषज्ञ भी यहां आ चुके हैं.’’
जहां मजदूर फंसे, वहां कीचड़ और मलबा जमा
जिलाधिकारी ने कहा कि यह टीम आखिरी पचास मीटर तक नहीं जा पा रही हैं, जहां आठ लोग फंसे हुए हैं, क्योंकि वहां कीचड़ और मलबा जमा हो गया है. जीएसआई और एनजीआरआई के अलावा, एलएंडटी से जुड़े एक आस्ट्रेलियाई विशेषज्ञ को भी दुर्घटना स्थल पर एसएलबीसी सुरंग की स्थिरता का आकलन करने के लिए बुलाया गया है, जिसे सुरंग संबंधी कार्यों का व्यापक अनुभव है. सूत्रों ने बताया कि उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क और सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी आज बचाव कार्यों की निगरानी करने और कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए दुर्घटना स्थल पर पहुंच सकते हैं.
सीमेंट के ब्लॉक, लोहे के स्ट्रक्चर राह में रोड़ा
सेना, नौसेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और अन्य एजेंसियों के अथक प्रयासों के बावजूद बचाव अभियान में अब तक कोई सफलता नहीं मिली है. बचाव अभियान में जुटी टीम को तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) परियोजना के निर्माणाधीन खंड के आंशिक रूप से ढहने के बाद सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के लिए दुर्घटना स्थल तक पहुंचने के लिए मिट्टी के टीलों, लोहे के ढांचों और सीमेंट के ब्लॉक से गुजरना पड़ रहा है.
रेस्क्यू टीम ने 7 बार किया सुरंग का निरीक्षण
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सेना, नौसेना, सिंगरेनी कोलियरीज और अन्य एजेंसियों के 584 कुशल कर्मियों की एक टीम ने केंद्रीय एवं राज्य आपदा प्रतिक्रिया टीम के साथ मिलकर सात बार सुरंग का निरीक्षण किया है. उन्होंने बताया कि धातु की छड़ को काटने के लिए लगातार गैस कटर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
'फंसे लोगों के बचने की संभावना बहुत कम'
तेलंगाना के मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने सोमवार को कहा था कि सुरंग में फंसे लोगों के बचने की संभावना ‘‘बहुत कम’’ है और फंसे हुए लोगों को बचाने में कम से कम तीन से चार दिन लगेंगे, क्योंकि दुर्घटना स्थल कीचड़ और मलबे से भरा हुआ है जिससे बचावकर्मियों के लिए यह एक मुश्किल काम बन गया है.
रैट माइनर्स की टीम पर रेस्क्यू में लगी
उन्होंने यह भी बताया कि 2023 में उत्तराखंड में ‘सिल्कयारा बेंड-बरकोट’ सुरंग में फंसे निर्माण श्रमिकों को बचाने वाले ‘‘रैट माइनर्स’’ (हाथ से पर्वतीय क्षेत्रों की खुदाई करने में महारत रखने वाले व्यक्तियों) की एक टीम लोगों को निकालने के लिए बचाव दल के साथ सहयोग कर रही है.
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Source: IOCL





















