'लॉटरी डिस्ट्रीब्यूटर्स को टैक्स देने की जरूरत नहीं', केंद्र से बोला सुप्रीम कोर्ट- आपकी अपील में दम नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने सिक्किम हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि सिर्फ राज्य सरकार ही लॉटरी पर कर लगा सकती है, केंद्र नहीं.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (11 फरवरी, 2025) को कहा कि लॉटरी टिकटों के प्रचार, डिस्ट्रीब्यूशन या बिक्री पर सर्विस टैक्स नहीं लगाया जा सकता. कोर्ट केंद्र और राजस्व विभाग की याचिकाओं को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है.
जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन के सिंह की पीठ ने कहा, 'भारत संघ और अन्य द्वारा दायर अपील में कोई दम नहीं है इसलिए इन अपील को खारिज किया जाता है. करदाता द्वारा दायर अपील का तदनुसार निपटारा किया जाता है.'
सिक्किम हाईकोर्टट के फैसले को बरकरार रखते हुए 120 पेज का फैसला सुनाते हुए जस्टिस नागरत्ना ने वित्त कानून, इसके संशोधनों और मामले के इतिहास पर चर्चा की. जस्टिस नागरत्ना ने कहा, 'हमने पाया है कि प्रत्येक स्तर पर लॉटरी टिकटों के एकमात्र वितरक/खरीदार (प्रतिवादी-करदाता) पर सेवा कर लगाने के लिए वित्त अधिनियम, 1994 में किए गए संशोधन असफल रहे हैं.'
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि क्योंकि प्रतिवादी-करदाता की ओर से सिक्किम सरकार के लिए कोई एजेंसी या एजेंट के रूप में कोई सेवा प्रदान नहीं की गई है, इसलिए लॉटरी टिकटों के खरीदार (प्रतिवादी-करदाता) और सिक्किम सरकार के बीच हुए लेन-देन पर सेवा कर नहीं लगाया जा सकता.
फैसला सुनाते हुए जस्टिस नागरत्ना ने कहा, 'चूंकि इस संबंध में कोई एजेंसी नहीं है, इसलिए प्रतिवादी (लॉटरी डिस्ट्रीब्यूटर) सेवा कर का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं. हालांकि प्रतिवादी संविधान की सूची 2 की प्रविष्टि 62 के तहत राज्य की ओर से लगाए गए जुआ कर (गैंबलिंग टैक्स) देना जारी रखेंगे.'
बेंच ने कहा, 'लॉटरी टिकट के खरीदार और फर्म के बीच हुए लेन-देन पर सेवा कर नहीं लगाया जाता... उपरोक्त चर्चाओं के मद्देनजर, हमें भारत संघ और अन्य द्वारा दायर अपील में कोई दम दिखाई नहीं देता इसलिए, इन अपील को खारिज किया जाता है.'
सुप्रीम कोर्ट ने सिक्किम हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि सिर्फ राज्य सरकार ही लॉटरी पर कर लगा सकती है, केंद्र नहीं. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का यह कहना सही था कि लॉटरी सट्टेबाजी और जुआ की श्रेणी में आती है, जो संविधान की राज्य सूची की प्रविष्टि 62 का हिस्सा है और केवल राज्य सरकार ही इस पर कर लगा सकती है.
केंद्र ने 2013 में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हाईकोर्ट ने लॉटरी फर्म ‘फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड’ की ओर से दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया था.
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