'...तो रैपिड रेल प्रोजेक्ट का भुगतान क्यों नहीं किया', सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा
Rapid Rail Project: दिल्ली को आस-पास के शहरों से जोड़ने के लिए रैपिड रेल परियोजना शुरू की गई है. इसके लिए केंद्र सरकार के अलावा उन राज्यों को भी योगदान देना है जहां से यह ट्रेन गुजरेगी.

Delhi Rapid Rail Project: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वह रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए अपना योगदान 2 हफ्ते में दे. दिल्ली सरकार की तरफ से 415 करोड़ रुपए का भुगतान न करने पर कोर्ट ने कहा, "आपने 3 साल में विज्ञापन पर 1100 करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन आम लोगों से जुड़ी अहम परियोजना के लिए अपना हिस्सा नहीं दिया. " दिल्ली सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि 2 हफ्ते में बकाया रकम चुका दी जाएगी.
दिल्ली को आस-पास के शहरों से जोड़ने के लिए रैपिड रेल परियोजना शुरू की गई है. इसके लिए केंद्र सरकार के अलावा उन राज्यों को भी योगदान देना है जहां से यह ट्रेन गुजरेगी. इस प्रोजेक्ट का दिल्ली-अलवर ट्रांजिट सिस्टम दिल्ली से शुरू होकर हरियाणा के गुरुग्राम होते हुए राजस्थान के अलवर तक जाना है. दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से जुड़े मामले ' एम सी मेहता बनाम भारत सरकार' के चलते सुप्रीम कोर्ट भी परियोजना की निगरानी कर रहा है.
3 साल के खर्च का ब्यौरा रखा कोर्ट में
पिछली सुनवाई में जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच को बताया गया था कि दिल्ली ने फंड की कमी का हवाला देकर अपना योगदान नहीं दिया है. इस पर कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार विज्ञापन पर काफी खर्च करती है. वह विज्ञापन पर किए 3 साल के खर्च का ब्यौरा कोर्ट में रखे.
3 साल का विज्ञापन बजट है 1073 करोड़ रुपए
आज की सुनवाई में कोर्ट को जानकारी दी गई कि दिल्ली की केजरीवाल का पिछले 3 साल का विज्ञापन बजट 1073 करोड़ रुपए का है. इस पर कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार का जितना योगदान बकाया है, वह लगभग उतना है जितना उसका 1 साल का विज्ञापन बजट है. जस्टिस कौल ने पूछा कि क्या कोर्ट को दिल्ली सरकार का 1 साल का विज्ञापन बजट ज़ब्त करना पड़ेगा? इस पर दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि कुछ दिक्कतों का चलते भुगतान नहीं हो पाया था। इसे जल्द ही चुका दिया जाएगा.
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Source: IOCL
























