'अस्पताल की फार्मेसी में महंगी दवाईयां बिकने पर हम ऑर्डर नहीं दे सकते, HC जाइए', जज के आदेश पर याचिकाकर्ता बोला- आपको ही सुनना...
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सीधे निजी अस्पतालों को आदेश नहीं दे सकता क्योंकि दवाओं की कीमत का मसला एक नीतिगत विषय है.

निजी अस्पतालों में महंगी दवाइयां बेचे जाने की शिकायत करने वाली एक याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने निपटारा कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की चिंता से सहमति जताई, लेकिन कहा कि वह सीधे निजी अस्पतालों को कोई आदेश नहीं दे सकता. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा है कि वह इस बारे में विचार कर पॉलिसी बनाएं.
याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया था कि उसने एक करीबी रिश्तेदार के इलाज के दौरान यह पाया कि निजी अस्पताल लोगों को अपनी ही फार्मेसी से दवा खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं. वहां कई बार एमआरपी से भी अधिक मूल्य पर दवा दी जाती है या दवाओं पर एमआरपी लिखी ही नहीं जाती. याचिका में जीवन के अधिकार और दवाओं की कीमत से जुड़े सरकारी नियमों का हवाला देते हुए कोर्ट से दखल की मांग की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया था. केंद्र और कई राज्य सरकारों ने जवाब दाखिल कर लोगों को मुफ्त इलाज और दवाएं उपलब्ध कराने की अपनी योजनाओं के बारे में बताया था. मामले को सुनते हुए 2 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि यह देश इतना बड़ा है कि इस तरह के सरकारी प्रबंध सबको राहत नहीं दे सकते.
जजों ने याचिकाकर्ता से कहा, 'हम आपकी चिंता से सहमत हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि निजी अस्पतालों में दवाई की कीमतों को नियमित कैसे किया जाए? क्या हम निजी अस्पतालों को आदेश दे सकते हैं?' सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य और ड्रग कंट्रोल को राज्यों का विषय बताते हुए याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने की सलाह दी है. इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया यह पूरे देश का मामला है. इसे सुप्रीम कोर्ट को ही सुनना चाहिए.
मामले का निपटारा करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह कोई ऐसा आदेश नहीं देना चाहता, जो वास्तव में लागू ही न हो सके. कोर्ट ने यह भी कहा कि वह सीधे निजी अस्पतालों को आदेश नहीं दे सकता. कोर्ट ने कहा कि दवाओं की कीमत का मसला एक नीतिगत विषय है. उस पर सरकार ही फैसला ले सकती है. नीतिगत मामलों पर कोर्ट सरकार को आदेश नहीं देता. आदेश के अंत में कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों से कहा कि वह याचिका में उठाए गए विषय पर विचार करें और अपने यहां उचित नीति बनाने की कोशिश करें.
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