Haldwani Case: हल्द्वानी में अतिक्रमण विरोधी अभियान पर रोक 2 मई तक बढ़ी, रेलवे ने समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगा समय
Haldwani Case Hearing: कोर्ट ने कहा, "यह ठीक है कि रेलवे वहां विकास करना चाहता है, लेकिन लोगों को अचानक हटा देना सही नहीं है."

Indian Railway: उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने पर लगी रोक 2 मई तक के लिए बढ़ गई है. रेलवे के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने आज सुप्रीम कोर्ट से कहा कि समाधान निकालने में 8 हफ्ते का समय लगेगा. इस पर जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने रोक को आगे बढ़ा दिया. 5 जनवरी को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि लोगों के पुनर्वास का इंतजाम करने के बाद ही अतिक्रमण हटाया जाए.
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 78 एकड़ जमीन पर रेलवे के दावे को सही मानते हुए अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 50 हजार लोगों को अचानक नहीं हटाया जा सकता. पहले उनका पुनर्वास किया जाना चाहिए.
'50-75 साल से रह रहे हैं'
गफूर बस्ती इलाके में बसे लोगों का दावा है कि वे 50-75 साल से वहां पर रह रहे हैं. उनमें से कई लोगों ने नजूल की जमीन नीलामी में राज्य सरकार से ली है. कई लोग पट्टेदार हैं, कई लोग जमीन के मालिक भी हैं. वे हाउस टैक्स भरते हैं, उनके पास बिजली का कनेक्शन है. उस पूरे इलाके में लगभग 4500 घर हैं. वहां स्कूल हैं, मंदिर मस्जिद भी बने हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ताओं का यह भी दावा है कि जमीन रेलवे की है ही नहीं.
'लोगों को अचानक हटाना सही नहीं'
रेलवे की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा था कि हल्द्वानी उत्तराखंड का प्रवेश द्वार है. वहां रेलवे स्टेशन का विस्तार किया जाना है. वहां और भी विकास कार्य करने हैं, लेकिन अवैध कब्जे के चलते यह नहीं हो पा रहा है. इस पर जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा था, "यह ठीक है कि रेलवे वहां विकास करना चाहता है, लेकिन लोगों को अचानक हटा देना सही नहीं है."
'लोगों को वैकल्पिक जगह देनी चाहिए'
कोर्ट ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पास पुनर्वास नीति है. उसके मुताबिक इन लोगों से बात की जानी चाहिए और उन्हें वैकल्पिक जगह देनी चाहिए. इसके बाद कोर्ट ने अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई पर रोक लगाते हुए सुनवाई 7 फरवरी के लिए टाल दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे और उत्तराखंड सरकार को मामले पर नोटिस भी जारी किया था.
याचिकाकर्ताओं के लिए पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि लोग वहां से हटने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि जगह उनकी है. रेलवे का दावा ही गलत है. याचिकाकर्ता पक्ष के दूसरे वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि अगर उनका सुझाव माना जाए तो मामला मिनटों में हल हो सकता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि वह सरकार की तरफ से गठित कमेटी को अपने सुझाव दें. मामले पर अगली सुनवाई 2 मई को होगी.
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