महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में क्या है कांग्रेस और एनसीपी के समझौते का फॉर्मूला?
एक तरफ जहां बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की राह पर चलना चाहती है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस-एनसीपी सीटों के बंटवारे पर बातचीत जारी है. सीटों के बंटवारे को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मंगलवार को मुलाकात की.

नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और एनसीपी के बीच सीट बँटवारे को लेकर घमासान चल रहा है एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को सोनिया गांधी से दिल्ली में मुलाक़ात की और सीट बँटवारे को लेकर अपनी बात रखी. सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद शरद पवार के साथ ये उनकी पहली मुलाक़ात थी. महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटे हैं एनसीपी इस बार पचास फ़ीसदी यानी 144 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है लेकिन कांग्रेस इस पर राज़ी नहीं है.
वहीं महाराष्ट्र में MIM और प्रकाश अंबेडकर का समझौता टूट गया है. प्रकाश अंबेडकर चाहते हैं कि कांग्रेस उनके साथ समझौता करें और एनसीपी को समझौते से बाहर कर दें वहीं कांग्रेस की कोशिश है कि प्रकाश अंबेडकर और एनसीपी दोनों को साथ लेकर चलें जोकि मुमकिन नहीं लगता. कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक़ एनसीपी को साथ रखने के लिए एक फ़ॉर्मूला तैयार किया गया है. इस फॉर्मूले में कांग्रेस की 123 सीटें स्क्रीनिंग कमेटी ने क्लियर कर दी हैं और लगभग उतनी ही सीटों पर एनसीपी की भी सहमति बन चुकी है. नए फ़ॉर्मूले के तहत जो 38 सीटें बचती हैं वो कुछ छोटी पार्टियों को दी जाएंगी. बाक़ी सीटों में एनसीपी और कांग्रेस के उम्मीदवारों के बीच ये देखा जाएगा कौन उम्मीदवार सीट जीत सकता है यानी 38 सीटें ऐसी हैं जिन पर सहमति अभी नहीं बन पायी है.
इन सीटों पर छोटी पार्टियों को शामिल करने के अलावा जो उम्मीदवार जीतेगा फिर चाहे वो कांग्रेस का हो या फिर एनसीपी का उसे तव्वजो दी जाएगी. 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में NCP और कांग्रेस अलग अलग चुनाव लड़े थे लेकिन 2009 में दोनों पार्टियां समझौते में लड़ी थी. कांग्रेस 171 सीटों पर लड़ी थी तो वहीं NCP के हिस्से में 117 सीटें आयी थी.
इस वक़्त कांग्रेस और एनसीपी दोनों पार्टियों की सबसे बड़ी समस्या है कि दोनों ही पार्टियों के नेता छोड़कर शिवसेना और भाजपा में शामिल हो रहे हैं कल ही कांग्रेस को दो बड़े झटके लगे. पहला लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुई उर्मिला मातोंडकर और उसके बाद मुम्बई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह ने भी कांग्रेस को अलविदा कह दिया.
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