राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 10 महीनों बाद दोबारा खुले स्कूल, शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने लिया जायज़ा
दिल्ली में दोबारा खुलने पर स्कूल के कॉरिडोर छात्रों की चहलकदमी से गुलज़ार दिखाई दिये. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया भी आज पहले दिन स्कूल में तैयारियों का जायज़ा लेने पहुंचे. सिसोदिया ने ग्रेटर कैलाश के कौटिल्य गवर्नमेंट सर्वोदय बाल विद्यालय का दौरा किया. abp न्यूज़ से बात करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा, "बच्चों को क्लास में लिटमस टेस्ट प्रैक्टिकल करते देखा, उन्हें देखकर लगा कि आज हमारा भी लिटमस टेस्ट है और सबको इसमें पास होना है."

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में आज से 10वीं और 12वीं के स्कूल दोबारा खुल गए. कोरोना संकट काल में करीब 10 महीने पहले स्कूल बंद किए गए थे. आज दोबारा खुलने पर स्कूल के कॉरिडोर छात्रों की चहलकदमी से गुलज़ार दिखाई दिये. सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाओं के मद्देनज़र दिल्ली सरकार ने छात्रों की प्री-बोर्ड तैयारियों और प्रैक्टिकल वर्क के लिये स्कूलों को खोलने का फैसला किया है. लेकिन सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन करना और अभिभावकों की अनुमति के साथ ही छात्रों का आना अनिर्वाय है.
10 महीनों बाद दिल्ली में खुले 10वीं और 12वीं के स्कूल
स्कूल में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की थर्मल स्कैनिंग और हाथ सैनिटाइज करने के बाद ही अंदर आने की इजाज़त है. कॉरिडोर और क्लास रूम में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य है. इसके लिये जगह जगह मार्किंग की गई है और क्लास रूम और लैब्स में भी एक-एक सीट छोड़कर ही बैठने की इजाज़त है. सभी को मास्क पहनना अनिवार्य है. स्कूल के पहले दिन छात्रों के ही नहीं शिक्षकों के चेहरे पर भी खुशी दिखाई दी. 10 महीने से घरों में रहकर ऑनलाइन क्लासेज के ज़रिए ही बच्चे अभी तक अपने दोस्तों से मिल पा रहे थे. लेकिन आज इतने दिन बाद मिलकर छात्र और शिक्षक दोनों ही खुश नजर आए.
पहले दिन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने लिया जायजा
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया भी आज पहले दिन स्कूल में तैयारियों का जायज़ा लेने पहुंचे. सिसोदिया ने ग्रेटर कैलाश के कौटिल्य गवर्नमेंट सर्वोदय बाल विद्यालय का दौरा किया. abp न्यूज़ से बात करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा, "बच्चों को क्लास में लिटमस टेस्ट प्रैक्टिकल करते देखा, उन्हें देखकर लगा कि आज हमारा भी लिटमस टेस्ट है और सबको इसमें पास होना है." उन्होंने कहा कि प्रशासन, अधिकारी, बच्चे, टीचर सब में थोड़ी नर्वसनेस है लेकिन प्रैक्टिकल वर्क के लिये स्कूल खोलना ज़रूरी है.
कोरोना काल में स्कूल खोलने की ज़रूरत पर बात करते हुए उन्होंने बताया ये समय बहुत मुश्किल भरा रहा है, पूरी दुनिया के लिए भी और बच्चों के लिए भी, लेकिन खुशी है कि स्थिति अब बेहतर हुई है. अभी हालात पूरी तरह से नियंत्रण में नहीं हैं. इसलिए सभी क्लासेज को नहीं खोलने की अनुमति नहीं दी गई है. 10वीं और 12वीं के बच्चों की क्लासेज, प्रैक्टिकल और काउंसिलिंग के लिए क्लास शुरू की गई हैं. सिसोदिया ने एकाएक बच्चों को परीक्षा हॉल में बैठाने को सही नहीं माना.
डिप्टी सीएम ने स्कूल आये बच्चों से भी बात की. सिसोदिया ने कहा, "बच्चे बता रहे हैं कि उन्होंने स्कूल के दोस्तों को बहुत मिस किया है. उनके चेहरे पर खुशी है, मुझे भी अच्छा लग रहा है कि स्कूल फिर से गुलजार हुए हैं. स्कूल के लिए सारे प्रोटोकॉल बनाए हैं." उन्होंने बताया कि क्लासेज अभी बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन फिर भी लैब्स में बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, किताबें एक दूसरे से शेयर ना करें.
पहले दिन स्कूल में कम छात्रों के आने पर सिसोदिया ने कहा कि स्कूल में अभी करीब 700 बच्चे हैं, जिसमें से 100 बच्चे आए हैं. किसी की भी अटेंडेंस मायने नहीं रखेगी. अभिभावक, बच्चे और टीचर अगर तीनों में आत्मविश्वास बढ़ेगा तो सभी बच्चे स्कूल आना शुरू हो जायेंगे. उन्होंने उम्मीद जताई कि बाकी बच्चों का भी धीरे-धीरे हौसला बढ़ेगा. हौसला बढ़ने पर प्रैक्टिकल और क्लासेज के लिए भी आएंगे. 1 मार्च से प्रैक्टिकल भी होने हैं, अगर बच्चे प्रैक्टिकल करेंगे ही नहीं, लैब नहीं देखेंगे तो प्रैक्टिकल परीक्षा कैसे लेंगे. इसलिए बोर्ड की परीक्षा और बोर्ड के प्रैक्टिकल के मद्देनजर स्कूल खोले गए हैं. अन्य क्लासेज के लिए स्कूल खोलने पर भी सोचेंगे, तब तक वैक्सीनेशन का प्रोग्राम भी आगे बढ़ जायेगा.
स्कूल पहुंचे बच्चों ने साथियों से मिलने पर जताई खुशी
स्कूल आये छात्रों ने भी स्कूल आने पर खुशी जताई. 10वीं के छात्र धनिष का कहना था कि 10 महीने बाद स्कूल दोबारा आने पर बहुत अच्छा लग रहा है. 12वीं के छात्र सुमित ने कहा कि बोर्ड एग्जाम की टेंशन और दोस्तों से मिलने की खुशी दोनों है. सबसे ज़्यादा राहत इस बात की है कि प्रैक्टिकल वर्क कर पा रहे हैं. लेकिन खुशी दोस्तों से मिलकर ज़्यादा हुई. 12वीं में पढ़ाई करने वाले छात्र अजय कुमार ने कहा कि घर का और स्कूल का माहौल अलग होता है. घर पर पढ़ाई हो जाती है लेकिन प्रैक्टिकल नहीं हो पाते. हमारा आखिरी साल है इसलिये भी चाहते थे कि स्कूल आयें और क्लासेज अटेंड करें.
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Source: IOCL






















