‘भारत की परंपरा में धर्म के साथ शांति और...’, प्रेरणा उत्सव कार्यक्रम में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने क्या-क्या कहा
Mohan Bhagwat: सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भारत की परंपरा में धर्म के साथ शांति और सौहार्द की व्यवस्था है. भारत में सत्य के निकट बैठकर ज्ञान प्राप्त करने का निचोड़ श्रीमद्भगवत गीता में है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए, जहां उन्होंने श्रीमद्भगवत गीता को लेकर अपना संबोधन दिया. उन्होंने कहा कि हमें गीता जीनी है. गीता में 700 श्लोक हैं. इसके लिए गीता पठान का क्रम बनाना चाहिए, रोज दो श्लोक पढ़े. उस पर मनन करें. उसको अपने जीवन में लागू करेंगे और एक-एक कमी को सुधारेंगे.
भारत की परंपरा में धर्म के साथ शांति और सौहार्द की व्यवस्था- भागवत
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, ‘गीता के माध्यम से जीवन में सीख लेंगे तो कल्याण हो जाएगा. आज दुनिया असमंजस की स्थिति में है. गीता के माध्यम से सही दिशा दी जा सकती है. यदि जीवन में शांति, संतोष नहीं होगा तो समस्या होगी. जैसे हजार साल पहले युद्ध होता था, आज भी वैसे ही युद्ध हो रहा है. जैसे हजार साल पहले लोग अपनी लालसा-लालच के लिए गुंडई करते थे, वैसे ही आज भी दुनिया की स्थिति है.’
उन्होंने कहा, ‘भारत में प्रभाव के दिनों में पूरी दुनिया को सुख और शांति प्रदान की. जीवन में अर्थ की कोई कमी नहीं है, फिर भी लोग धर्म के साथ चलकर मोक्ष की ओर अपने जीवन को अग्रसर कर रहे हैं. इस प्रकार का अपने देश का चित्र था. उज्जीवन को दुनिया चाहती है और दुनिया जानती है कि भारत के पास यह ज्ञान है. युगों-युगों से जो ज्ञान भारत में स्थिर हुआ है, उस ज्ञान का सार श्रीमद्भगवत गीता है. भारत की परंपरा में धर्म के साथ शांति और सौहार्द की व्यवस्था है. भारत में सत्य के निकट बैठकर ज्ञान प्राप्त करने का निचोड़ श्रीमद्भगवत गीता में है.’
गीता से हमें समस्या से भागने के बजाए लड़ने की प्रेरणा मिलती है- भागवत
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा, ‘अर्जुन के गंभीर प्रश्नों का उत्तर ही गीता है. हमें गीता पढ़ना चाहिए, समझना चाहिए और मनन करना चाहिए. इससे हमें सदा-सर्वदा उपाय मिलते हैं. गीता हमें समस्या से भागने के बजाय फेस करने की प्रेरणा मिलती है. धर्म के आधार पर हमें सफलता अवश्य मिलती है. उत्तम विचार चाहिए तो उत्तम अधिष्ठान होने आवश्यक है. यदि अपना पुरुषार्थ मजबूत है तो भाग्य भी साथ है. धर्म धारण करने वाला होना चाहिए. हमें धर्म रक्षा के लिए लड़ना है.’
दुविधाओं से बाहर निकलकर राष्ट्र की सेवा करना ही हमारा परम कर्तव्य- भागवत
उन्होंने कहा, ‘छोटा कार्य जो निष्काम से किया गया हो, वह धर्म है. आपने भक्तिपूर्वक कर्म करने का आह्वान किया. विश्व में शांति की स्थापना गीता के माध्यम से ही की जा सकती है. दुविधाओं से बाहर निकलकर राष्ट्र की सेवा करना ही हमारा परम कर्तव्य है, जिसे गीता के माध्यम से जीवन में शामिल करना चाहिए. आज जियो गीता के माध्यम से हम यशस्वी भी होंगे, सार्थक होंगे. जिसके पथ पर ही चलकर भारत विश्वगुरु बन सकता है.’
कार्यक्रम का संयोजन मणि प्रसाद मिश्र ने किया. दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव कार्यक्रम के दौरान ज्येष्ठ प्रचारक प्रेमकुमार, शिवनारायण, क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक कौशल, संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपा शंकर, प्रांत प्रचारक प्रमुख यशोदानंदन, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. अशोक, डॉ. लोकनाथ, ब्रजनंदन, डॉ. उमेश, डॉ. राकेश के साथ तमाम कार्यकर्ता उपस्थित रहे.
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