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डॉ. मोहन भागवत ने दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव में क्या संदेश दिया?
हमें गीता जीनी है, रोज दो श्लोक पढ़ने हैं, उन पर मनन करना है और जीवन में लागू करना है।
गीता को केवल पढ़ना चाहिए, समझने की आवश्यकता नहीं है।
हमें गीता से भागने की प्रेरणा मिलती है।
हमें गीता जीनी है, रोज दो श्लोक पढ़ने हैं, उन पर मनन करना है और जीवन में लागू करना है।
गीता का महत्व केवल उत्सव आयोजित करने तक सीमित है।
संघ प्रमुख के अनुसार, आज दुनिया किस स्थिति में है?
असमंजस की स्थिति में, जहां गीता सही दिशा दे सकती है।
अत्यधिक शांति और संतोष की स्थिति में
असमंजस की स्थिति में, जहां गीता सही दिशा दे सकती है।
पहले की तरह युद्ध और लालच से मुक्त
केवल भौतिक प्रगति की ओर अग्रसर
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भागवत जी ने गीता को किस ज्ञान का सार बताया है?
भारत में युगों-युगों से स्थिर ज्ञान का सार
आधुनिक विज्ञान का सार
भारत में युगों-युगों से स्थिर ज्ञान का सार
केवल युद्ध कौशल का सार
केवल धार्मिक अनुष्ठानों का सार
गीता हमें किससे बचने की प्रेरणा देती है?
समस्या से, लड़ने की प्रेरणा मिलती है
जीवन के सुखों से
धर्म से
समस्या से, लड़ने की प्रेरणा मिलती है
उत्तम विचारों से
भागवत जी के अनुसार, हमारा परम कर्तव्य क्या है?
राष्ट्र की सेवा करना
केवल भक्तिपूर्वक कर्म करना।
दुविधाओं में फंसना।
राष्ट्र की सेवा करना
विश्व में अशांति फैलाना
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