रिपोर्ट: भारत में वायु प्रदूषण से 1.16 लाख से अधिक नवजातों की हुई मौत, जानिए और क्या कहा गया है रिपोर्ट में
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 नाम की एक वैश्विक रिपोर्ट मे दावा किया गया है कि भारत में वायु प्रदूषण की वजह से एक साल में तकरीबन 1,16,000 लाख से ज्यादा नवजात शिशुओं की मौत हुई है.

कोरोना संक्रमण लॉकडाउन के बाद लगातार जलाई जा रही पराली के कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की आबो-हवा एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है. यह हर साल की बात है जब दिल्ली समेत उत्तर भारत में सर्दियो का सीजन शुरू होते ही वायु प्रदूषण से हालात चिंताजनक हो जाते हैं. इन हालातों के बीच वायु प्रदूषण की भयावह तस्वीर पेश करती हुई एक रिपोर्ट सामने आई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण की वजह से एक साल में तकरीबन 1,16,000 लाख से ज्यादा नवजात शिशुओं की मौत हुई है. इसका साफ अर्थ है कि वायु प्रदूषण नवजातों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है. बता दें कि यह दावा स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 नाम की एक वैश्विक रिपोर्ट मे किया गया है.
आधे से ज्यादा नवजातों की मौत का कारण बने प्रदूषक तत्व
रिपोर्ट के मुताबिक 1,16,000 लाख में से करीब आधे से ज्यादा बच्चों की मौत बाहरी PM 2.5 प्रदूषक तत्वो से संबंधित है. इनमे खाना पकाने का ईंधन, लकड़ी का कोयला, गोबर जैसे ईंधन खासतौर पर शामिल हैं. इनसे उत्पन्न हुए वायु प्रदूषण ने ही नवजातों की जिंदगी को लील लिया. वहीं वायु प्रदूषण की वजह से मौत की नींद सोने वाले बच्चों में ये भी पाया गया कि या तो जन्म के बाद उनका वजन काफी कम था या फिर उनका जन्म प्रीमैच्योर हुआ था.
हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट ने जारी की है रिपोर्ट
भारत में 2019 में ही बाहरी और घरेलू वायु प्रदूषण के लंबे समय के प्रभाव की वजह से स्ट्रोक, दिल का दौरा, डायबिटीज, फेफड़े के कैंसर, पुरानी फेफड़ों की बीमारियों और नवजात रोगों से 16.7 लाख यानी 1.67 मिलियन मौतें हुई हैं. नवजात शिशुओं में ज्यादातर मौतें जन्म के समय कम वजन और समय से पहले जन्म से संबंधित जटिलताओं से हुई है. वहीं रिपोर्ट की माने तो वायु प्रदूषण अब दूसरों के बीच भी मौतों का सबसे बड़ा खतरा हैं. बता दें कि इस रिपोर्ट को बुधवार को हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट(HEI1) ने प्रकाशित किया है. यह एक स्वतंत्र, गैर-लाभकारी अनुसंधान संस्थान हैं. इसे अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी और अन्य वित्त पोषित करती हैं.
कोरोना और वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों में संबंध
गौरतलब है कि यह रिपोर्ट कोरोना महामारी के समय में आई है. दरअसल कोरोना भी दिल और फेफड़ों को प्रभावित करने वाली बीमारी है. इस कराण बड़ी संख्या में भारत में लोगों की जान भी गई है. भारत में कोरोना की वजह से अब तक 1 लाख 15 हजार से ज्यादा लोग मौते के आगोश में समा चुके हैं. वहीं रिपोर्ट की माने तो कोरोना से मरने वाले ज्यादातर लोग पहले से ही फेफड़ों या हृदय संबंधी किसी न किसी बीमीरी से पीड़ित थे और इसकी वजह कहीं न कहीं वायु प्रदूषण भी थी. इस रिपोर्ट के बाद अब वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों और कोरोना में गहरा संबंध बताया जा रहा है.
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