रामनवमी पर बंगाल में बवाल! पथराव के आरोप और उठते सवाल, क्या हथियार बने राम? 5 प्वाइंट में समझें मामला
रामनवमी के दौरान बंगाल में हुई पथराव की घटना ने बीजेपी और TMC के बीच आरोप-प्रत्यारोप को जन्म दिया, जिसमें दोनों पक्षों ने राम के नाम पर सियासी समीकरण साधने की कोशिश की.

कोलकाता के पार्क सर्कस इलाके में रामनवमी के जुलूस के दौरान पथराव के आरोपों ने पश्चिम बंगाल में एक बार फिर धार्मिक तनाव को बढ़ा दिया है. बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बीच इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं.
बीजेपी सांसद सुकांत मजूमदार ने सोशल मीडिया पर पथराव का दावा करते हुए वीडियो शेयर किए, जिसमें गाड़ियों के शीशे टूटे हुए और झंडे क्षतिग्रस्त दिखाई दे रहे थे. इन वीडियों के आधार पर सुकांत मजूमदार ने ममता सरकार और पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाया है.
इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं कि इस बार रामनवमी के दौरान बंगाल में क्या हुआ, किसने किसपर आरोप लगाया और क्या है असली मामला.
1. बीजेपी का आरोप
बीजेपी सांसद सुकांत मजूमदार ने आरोप लगाया कि पार्क सर्कस में रामनवमी जुलूस से लौट रहे हिंदू श्रद्धालुओं पर जानबूझकर हमला किया गया. उन्होंने कहा कि भगवा झंडे ले जाने के कारण हिंदू श्रद्धालुओं को निशाना बनाया गया और गाड़ियों पर पथराव किया गया. सुकांत ने यह भी दावा किया कि पुलिस ने घटना को देखा, लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की. उनका कहना था कि यह हमला पूर्व-निर्धारित था और ममता बनर्जी की सरकार द्वारा हिंदू समुदाय के खिलाफ यह साजिश रची गई.
सुकांत मजूमदार ने अपने आरोपों को और गंभीर बनाते हुए कहा, 'यह कायरतापूर्ण निष्क्रियता इस बात का प्रमाण है कि रामनवमी के दौरान बंगाली हिंदू समाज की एकजुटता से राज्य सरकार हिल चुकी है. अगले साल पार्क सर्कस से बड़ा और शक्तिशाली रामनवमी जुलूस निकलेगा.'
2. पुलिस का बयान
कोलकाता पुलिस ने इन आरोपों को सिरे से नकारा किया. पुलिस ने स्पष्ट किया कि पार्क सर्कस में कोई जुलूस नहीं निकाला गया था, क्योंकि इसके लिए अनुमति नहीं ली गई थी. पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा, 'जुलूस के लिए कोई इजाजत नहीं ली गई थी और इलाके में कोई ऐसी गतिविधि नहीं हुई थी. एक गाड़ी के नुकसान की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया और व्यवस्था बहाल की. मामले की जांच की जा रही है और लोग अफवाहों पर ध्यान न दें.'
3. रामनवमी का माहौल
इस साल रामनवमी के दौरान पश्चिम बंगाल में स्थिति अपेक्षाकृत शांत रही. प्रशासन और हिंदू संगठनों के बीच तालमेल से शोभायात्राओं का आयोजन किया गया. सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बावजूद, कोलकाता के कुछ हिस्सों में मामूली तनाव पैदा हुआ. पश्चिम बंगाल पुलिस की ओर से अलर्ट जारी किया गया था और विभिन्न जिलों में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी. हालांकि, रामनवमी के जुलूसों के दौरान किसी बड़े हिंसक घटनाक्रम से बचने में सफलता मिली.
4. राजनीतिक दृष्टिकोण
रामनवमी के जुलूसों के आयोजन में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंकी, ताकि बंगाल के हिंदू समाज को एकजुट किया जा सके. बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार, अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती, पूर्व सांसद अर्जुन सिंह जैसे बड़े चेहरों ने बंगाल के विभिन्न जिलों में रामनवमी कार्यक्रमों में शिरकत की. बीजेपी ने ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर हिंदू विरोधी होने का आरोप भी लगाया.
पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी ने राम के नाम को अपने राजनीतिक अभियान में जोर-शोर से शामिल किया है. इस बार बीजेपी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि राज्य में जब तक बीजेपी सत्ता में नहीं आएगी, तब तक हिंदू समुदाय को तृणमूल कांग्रेस से कोई लाभ नहीं मिलेगा.
5. तृणमूल कांग्रेस की प्रतिक्रिया
तृणमूल कांग्रेस भी रामनवमी के मौके पर धार्मिक सुलह को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रही. हावड़ा में निकाली गई एक रामनवमी शोभायात्रा में TMC विधायक गौतम चौधरी भी शामिल हुए. उन्होंने कहा कि भगवान राम सभी के हैं और ममता बनर्जी की सरकार भी सभी समुदायों के लिए काम कर रही है. इसके अलावा, कोलकाता में TMC नेता कुणाल घोष ने भी रामनवमी शोभायात्रा में भाग लिया और इसे सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बताया.
बीजेपी ने आरोप लगाया कि यह हमला हिंदू समुदाय को डराने के लिए किया गया, वहीं पुलिस ने इसे नकारते हुए मामले की जांच का आश्वासन दिया. रामनवमी की शोभायात्राओं के दौरान बढ़ती धार्मिक सक्रियता और राजनीतिक बयानबाजी यह संकेत देती है कि आगामी विधानसभा चुनावों में राम का नाम एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन सकता है.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























