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राज्य सभा चुनाव : सिंधिया जीते तो दिग्विजय का क्या होगा? राजस्थान में MLA बचाने का खेल आख़िरी राउंड में

राज्य सभा चुनाव में सबसे ज्यादा कांटे की टक्कर मध्य प्रदेश में है. राज्य की सत्ता गंवाने के बाद कमलनाथ हिसाब बराबर करने के लिए बेचैन हैं.

नई दिल्ली: भारत चीन सीमा पर तनाव है और इधर राज्य सभा चुनाव भी है. इस चुनाव को लेकर  बीजेपी और कांग्रेस के बीच तलवारें खिंच गई हैं. कांग्रेस के कई दिग्गजों की  क़िस्मत दांव पर है. दिग्विजय सिंह, के सी वेणुगोपाल और शक्ति सिंह गोकुल जैसे बड़े नेता चुनावी दंगल में फंसे हैं. अगर जीते तो ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार राज्य सभा पहुंचेंगे. हाल में ही कांग्रेस छोड़ कर वे बीजेपी में आए हैं. जेएसएम के अध्यक्ष शिबू सोरेन भी राज्य सभा पहुंचने की जुगाड़ में हैं. 19 जून को आठ राज्यों में राज्य सभा की 19 सीटों के लिए मतदान होगा.

सबसे पहले बात राजस्थान से शुरू करते हैं जहां कांग्रेस और बीजेपी के विधायक अलग-अलग होटलों में ठहराए गए हैं. यहां कांग्रेस सत्ता में है. अशोक गहलोत सीएम हैं. फिर भी कांग्रेस ही बीजेपी पर विधायकों को तोड़ने का आरोप लगा रही है. यहां राज्य सभा की तीन सीटें हैं. लेकिन उम्मीदवार चार हैं. कांग्रेस ने केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगें को टिकट दिया है. वेणुगोपाल पार्टी के महासचिव हैं और राहुल गांधी के करीबी नेता भी हैं. कांग्रेस ने दोनों को जीताने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया है. रणदीप सूरजेवाला को  अब्ज़र्वर बना कर चार्टर प्लेन से  जयपुर भेजा गया है.

बीजेपी ने राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत को उम्मीदवार बनाया है. यहां जीतने के लिए 51 वोट चाहिए. कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं और 12 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है. इस हिसाब से कांग्रेस के दोनों उम्मीदवारों की जीत पक्की है. बीजेपी के 72 विधायक है और हनुमान बेनीवाल की पार्टी के तीन विधायकों का भी समर्थन है. इस हिसाब से बीजेपी का आंकड़ा 75 पर रुक जाता है. इस गणित से पार्टी के एक उम्मीदवार का जीतना तय है लेकिन दूसरे का तो लगभग नामुमकिन है लेकिन बीजेपी को लगता है कि मोदी है तो मुमकिन है.

पीएम नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य गुजरात चलते हैं. जहां तीन साल पहले कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल ने बीजेपी को चित कर दिया था. वे एक वोट से राज्य सभा का चुनाव जीत गए थे. लेकिन इस बार तो कांग्रेस का खेल ख़राब करने में जुटी है. यहां राज्य सभा की चार सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. कांग्रेस ने शक्ति सिंह गोहिल और अमर सिंह सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है. लेकिन बीजेपी ने तीन उम्मीदवार उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. बीजेपी से अभय भारद्वाज, रमिला बेन बारा और नरहरि अमीन चुनावी मैदान में हैं. एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 35 वोट चाहिए.

बीजेपी के पास 103 विधायक हैं. तीनों उम्मीदवारों को जीताने के लिए 105 वोट चाहिए. यानी उसे कांग्रेस कैंप से दो वोटों का जुगाड़ करना पड़ेगा. कांग्रेस के 65 विधायक हैं. विधानसभा चुनाव में 77 जीते थे. नेता पार्टी छोड़ छोड़ कर बीजेपी जा रहे हैं. कांग्रेस के बीटीपी के दो, एनसीपी के एक और एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन है. ये निर्दलीय विधायक जिगनेश मेवाणी हैं. इस हिसाब से कांग्रेस के खाते में 69 विधायक ही हुए. कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल जो कि बिहार और दिल्ली के प्रभारी हैं. अहमद पटेल के करीबी हैं उनकी जीत की पूरी गारंटी है लेकिन अमर सिंह सोलंकी का मामला फंसा है. यहां बीजेपी अपने तीनों उम्मीदवार जिताने में कामयाब होगी.

सबसे कांटे की टक्कर मध्य प्रदेश में हैं. सत्ता गंवाने के बाद पूर्व सीएम कमलनाथ हिसाब बराबर करने को बेचैन हैं. सामने उनके धुर विरोधी ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार बीजेपी से हैं. जिनकी मदद से बीजेपी ने कमलनाथ की सरकार गिरा दी. सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी बीजेपी के उम्मीदवार हैं. दिग्विजय सिंह औ फूल सिंह बरैया कांग्रेस से हैं. जीतने के लिए 52 वोट चाहिए. बीजेपी के 107  विधायक हैं. दोनों उम्मीदवारों की जीत के लिए 104 विधायक चाहिए. इस हिसाब से ये  जीत तो क़रीब क़रीब तय है. लेकिन कई बार जैसा दिखता है वैसा होता नहीं है.

कांग्रेस के 92 विधायक हैं. बीएसपी के दो, समाजवादी पार्टी के एक और चार निर्दलीय  हैं. इन सबको जोड़ दें तो कुल 99 विधायक होते हैं. इस हिसाब से पार्टी के दोनों नेताओं की जीत के लिए पांच और वोटों की ज़रूरत पड़ेगी. कांग्रेस के रणनीतिकारों का सारा ज़ोर बीजेपी कैंप में सेंधमारी की है. दिग्विजय सिंह की जीत तो पक्की है बस दलित नेता फूल सिंह बरैया के लिए ज़ोर लगाना पड़ेगा.

अब झारखंड चलते हैं. यहां भी कांग्रेस फंस गई है. जबकि पार्टी सहयोगियों के साथ पावर में है. यहां राज्य सभा की दो सीटों पर चुनाव है. कुल उम्मीदवार तीन हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और बीजेपी ने एक एक उम्मीदवार उतारा है. जीत के लिए कम से कम 27 वोट चाहिए. जेएसएम के उम्मीदवार और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन की जीत तो एकदम पक्की है. पार्टी के 29 विधायक हैं. दो वोट बचते हैं. कांग्रेस के 17 विधायक हैं. उसके पास सीपीआईएमएल के एक, एनसीपी के एक, आरजेडी के एक और दो निर्दलियों में से एक का समर्थन है. कुल मिलाकर 23 वोट होते हैं. जीत के लिए चार और विधायक चाहिए. बीजेपी के 25 विधायक हैं. सुरेश महतो की पार्टी आजसू के दो विधायक का समर्थन भी मिलेगा. फिर पूर्व सीएम रघुवर दास को हराने वाले बीजेपी के बाग़ी विधायक सरयू राय का भी साथ मिल गया है. ऐसे हालात में कांग्रेस की जीत बड़ी दूर की कौड़ी लग रही है.

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