जम्मू कश्मीर: छह महीने के लिए बढ़ा राष्ट्रपति शासन, शाह बोले- आतंकवाद बर्दाश्त नहीं, PoK हमारा है
आज राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने आज जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल पेश किया. इसके साथ ही उन्होंने घाटी में राष्ट्रपति शासन बढ़ाए जाने की वजह बताई. केंद्र सराकर के इस बिल का राज्यसभा में एसपी ने समर्थन किया है.

नई दिल्ली: राज्यसभा ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 6 महीना बढ़ाने की मंजूरी दी है. गृहमंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में जम्मू कश्मीर में छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन की मियाद बढ़ाने के लिए प्रस्ताव पेश किया था. लोकसभा पहले ही इस प्रस्ताव पर मुहर लगा चुकी है. इसके साथ ही जम्मू कश्मीर आरक्षण बिल को भी राज्यसभा से मंजूरी मिल गई, इस बिल को लोकसभा से मंजूरी मिल चुकी है.
राज्यसभा में चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार जम्मू कश्मीर के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. हम अटल जी की नीतियों पर चल रहे हैं, हमारी नीति जम्हूरियत, कश्मीरियत और इंसानियत की है. अमित शाह ने कश्मीरी पंडितों का मुद्दा भी उठाया और कहा कि जल्द कश्मीरी पंडित कश्मीर के मंदिरों में पूजा करेंगे.
अमित शाह ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी जीरो टॉलरेंस की नीति है. उन्होंने कहा, ''मैं नरेन्द्र मोदी सरकार की तरफ से सदन के सभी सदस्यों तक ये बात रखना चाहता हूं कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं और इसे कोई देश से अलग नहीं कर सकता. मैं फिर दोहराना चाहता हूं कि नरेन्द्र मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है.''
अमित शाह ने कहा, ''जम्हूरियत सिर्फ परिवार वालों के लिए ही सीमित नहीं रहनी चाहिए. जम्हूरियत गाँव तक जानी चाहिए, चालीस हज़ार पंच, सरपंच तक जानी चाहिए और ये ले जाने का काम हमने किया. जम्मू कश्मीर में 70 साल से करीब 40 हजार लोग घर में बैठे थे जो पंच-सरपंच चुने जाने का रास्ता देख रहे थे. क्यों अब तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव नहीं कराये गये, और फिर जम्हूरियत की बात करते हैं. मोदी सरकार ने जम्हूरियत को गांव-गांव तक पहुंचाने का काम किया है.''
गृहमंत्री ने कहा, ''सूफी परंपरा कश्मीरियत का हिस्सा नहीं थी क्या? पूरे देश में सूफियत का गढ़ था कश्मीर, कहां चली गई वो संस्कृति? उनको घरों से निकाल दिया गया. उनके धार्मिक स्थानों को तोड़ दिया गया. सूफी संतों को चुन-चुन कर मारा गया.'' उन्होंने कहा कि जो भारत को तोड़ने की बात करेगा उसको उसी भाषा में जवाब मिलेगा और जो भारत के साथ रहना चाहते है उसके कल्याण के लिए हम चिंता करेंगे. जम्मू कश्मीर के किसी भी लोगों को डरने की जरुरत नहीं है.
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा, ''गुलाम नबी साहब ने बोला कि चुनाव आप करा दीजिए. हम कांग्रेस नहीं हैं कि हम ही चुनाव करा दें. हमारे शासन में चुनाव आयोग ही चुनाव कराता है. हमारे शासन में हम चुनाव आयोग को नहीं चलाते.'' वहीं एसपी को लेकर शाह ने कहा कि राम गोपल जी ने कहा कि कश्मीर विवादित है तो मैं बताना चाहूंगा कि न कश्मीर विवादित है, न पीओके कश्मीर विवादित है ये सब भारत का अभिन्न अंग हैं.
उन्होंने कहा, ''मनोज झा जी और गुलाम नबी आजाद जी ने बड़ी आपत्ति जाहिर की कि हम नेहरू जी के बारे में देश की जनता में कुछ गलत विचार खड़ा करना चाहते हैं. ये ठीक सोच नहीं है. हम नेहरू जी के बारे में कोई गलत विचार खड़ा करना नहीं चाहते है और न जनता को गुमराह करना चाहते हैं.''
जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल प्रस्ताव के तहत अब अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर से सटे गांव के लोगों को भी आरक्षण का फायदा मिलेगा. इसका सीधा फायदा जम्मू, सांबा और कठुआ के साढ़े 3 लाख लोगों को होगा. दरअसल अब तक जम्मू कश्मीर सरकार की नौकरियों में आरक्षण का फायदा सिर्फ एलओसी से सटे गांव के लोगों को ही मिलता था, लेकिन अब अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर से सटे गांव के लोगों को भी इसका फायदा मिल सकेगा.
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