'अब तक ग्रोथ के जिन पैरामीटर्स पर काम हुआ, उनकी वजह से बड़ी आबादी...', PM मोदी ने G-20 में रखे ये प्रस्ताव
PM Modi in G20 Summit: PM नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका में पहली बार आयोजित हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जोहान्सबर्ग पहुंचे. इस दौरान उन्होंने वैश्विक विकास के मॉडल पर संबोधन दिया.

दक्षिण अफ्रीका में पहली बार आयोजित किए गए G20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान वैश्विक विकास के मानकों पर गहन पुनर्विचार करने का आह्वान किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लंबे समय से G20 ने वैश्विक वित्त और विकास को आकार दिया है, लेकिन वर्तमान में इस्तेमाल हो रहे मॉडल ने एक बहुत बड़ी आबादी को संसाधनों से वंचित कर दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार (21 नवंबर, 2025) को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग पहुंचे, जहां वे 21 से 23 नवंबर, 2025 तक होने वाले तीन दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं. जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने सम्मेलन में ‘सभी को साथ लेकर समावेशी और सतत आर्थिक विकास’ के विषय पर आयोजित सत्र में अपना संबोधन दिया.
#WATCH | Johannesburg, South Africa | Prime Minister Narendra Modi attends the G-20 Summit
— ANI (@ANI) November 22, 2025
(Source: Reuters/Host Broadcaster Pool) pic.twitter.com/NtDmjfl0cF
जी-20 शिखर सम्मेलन में बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
पीएम मोदी ने कहा, ‘पिछले कई दशकों में, जी-20 ने वैश्विक वित्त और वैश्विक आर्थिक विकास को दिशा दी है, लेकिन विकास के जिन पैरामीटर्स पर अबतक काम हुआ है, उनके कारण बहुत बड़ी आबादी संसाधनों से वंचित रह गई है. साथ ही, प्रकृति के अति शोषण को भी बढ़ावा मिला है. अफ्रीका इसका बहुत बड़ा भुक्तभोगी है. आज जब अफ्रीका पहली बार जी-20 समिट की मेजबानी कर रहा है, तो यहां हमें विकास के पैरामीटर्स पर फिर से विचार करना चाहिए.’
Spoke at the first session of the G20 Summit in Johannesburg, South Africa, which focussed on inclusive and sustainable growth. With Africa hosting the G20 Summit for the first time, NOW is the right moment for us to revisit our development parameters and focus on growth that is… pic.twitter.com/AxHki7WegR
— Narendra Modi (@narendramodi) November 22, 2025
उन्होंने कहा, ‘इसका एक रास्ता भारत की सभ्यता के मूल्यों में है और वो रास्ता इंटग्रल ह्यूमनिज्म (Integral Humanism) का है. यानि हमें मानव, समाज और प्रकृति तीनों को एक इंटिग्रेटेड होल (Integrated Whole) के रूप में देखना होगा. तभी प्रगति और प्रकृति के बीच सद्भाव संभव हो पाएगी.’
कई समुदायों ने अपनी पारंपरिक जीवनशैली को संभालकर रखा- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, ‘दुनिया में ऐसे कई समुदाय हैं, जिन्होंने अपने पारंपरिक और पर्यावरण-संतुलित जीवनशैली (Traditional & Eco-Balanced Lifestyle) को संभाल कर रखा है. इन परंपराओं में सस्टेनिबिलिटी तो दिखती ही है, साथ ही इनमें, सांस्कृतिक ज्ञान, सामाजिक एकता और प्रकृति के प्रति गहरे सम्मान के भी दर्शन होते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘भारत का प्रस्ताव है कि जी-20 के तहत एक ग्लोबल ट्रेडिशनल नॉलेज रिपोजिटरी बनाई जाए. भारत का जो, इंडियन नॉलेज सिस्टम्स इनिशिएटिव है, वो इसका आधार बन सकता है. यह वैश्विक प्लेटफॉर्म, मानवता के सामूहिक ज्ञान को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद करेगा.’
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Source: IOCL























