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Modi Cabinet Decision: मोदी कैबिनेट ने सिंकुलना टनल को दी मंजूरी, जानें क्यों है महत्वपूर्ण
Modi Cabinet Decision: मोदी कैबिनेट ने चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए बुधवार को अहम फैसला लिया है.
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Modi Cabinet Decision: केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार (15 फरवरी) को ऐसा अहम फैसला लिया जिससे कि लद्दाख में सुरक्षा मजबूत होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल की मीटिंग में मू-पदम-दरचा सड़क सम्पर्क पर 4.1 किलोमीटर लंबी शिंकुन ला सुरंग के निर्माण को मंजूरी दी. इससे लद्दाख को ऑल वेदर रोड कनेक्टिविटी (सभी मौसम में काम करने वाले) मिल जाएगी. इसकी लंबाई 4.8 किलोमीटर होगी.
शिंकुन ला टनल को सेना के लिए काफी अहम बताया जा रहा है. इसके शुरू होने से किसी भी मौसम में आर्मी के जवान और साजो- समान आ सकेगा. बीआरओ ने दारचा- पदम- नीमो 2019 में तैयार किया था लेकिन इस रोड पर ठंड और 16 हजार 703 फीट पर स्थित शिंकुन ला ला में बर्फबारी के कारण इसमें सेना को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। उन्होंने बताया कि सुरंग के निर्माण का कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा हो जायेगा और इस पर 1681 करोड़ रूपये की लागत आयेगी।
क्यों जरूरी है?
शिंकुन ला टनल सेना के लिए चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि एलओसी के पास श्रीनगर-द्रास-काकसर-कारगिल राजमार्ग और एलएसी के पास मनाली उपशी-लेह हाईवे से ज्यादा टनल सुरक्षित है. भारतीय सेना ने 2020 में चीन की आर्मी से हुई झड़प के बाद हथियार और अन्य सामान के लिए दारचा- पदम- नीमो रोड को इस्तेमाल किया था. बता दें कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत-चीन सीमा की सुरक्षा करने वाली भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की सात नई बटालियन और एक क्षेत्रीय हेडक्वार्टर के गठन को भी मंजूरी प्रदान कर दी.
सुरक्षा को लेकर तैयारी
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में भी वित्त वर्ष 2022-23 से 2025-26 के दौरान लागू किया जाएगा. इसके लिए 4800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जिसमें 2500 करोड़ रुपये सड़कों के निर्माण पर खर्च किए जाएंगे. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह देश की उत्तरी सीमा के सामरिक महत्व को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण है. इससे इन सीमावर्ती गांवों में सुनिश्चित आजीविका मुहैया करायी जा सकेगी जिससे पलायन रोकने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी.
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