पीएम मोदी ने की नेपाल के नए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से बात, कहा- दोनों देशों के रिश्तों की मजबूती के लिए मिलकर करेंगे काम
भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए भारत और नेपाल के प्रधानमंत्रियों के बीच साथ मिलकर काम करने पर सहमति बनी है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को नेपाल के नए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से फोन पर बात की और उन्हें नई जिम्मेदारी के लिए बधाई व शुभकामनाएं दीं. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए हम कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई समेत भारत-नेपाल के बीच विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए एक साथ मिलकर काम करेंगे.
इधर, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए भारत और नेपाल के प्रधानमंत्रियों के बीच साथ मिलकर काम करने पर सहमति बनी है. विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच खासकर कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के खिलाफ आपसी सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा की गई.
Spoke with Nepal PM Sher Bahadur Deuba to convey my congratulations and best wishes. We will work together to further enhance the wide-ranging cooperation between India and Nepal, including in the fight against the COVID-19 pandemic: PM Narendra Modi
— ANI (@ANI) July 19, 2021
(File pic) pic.twitter.com/emEjr7wJI8
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा पांचवीं बार देश के प्रधानमंत्री बने. राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने संविधान के अनुच्छेद 76(5) के तहत उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया. यह पांचवीं बार है जब देउबा (74) ने नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर सत्ता में वापसी की है. उनकी नियुक्ति उच्चतम न्यायालय द्वारा सोमवार को दिए गए फैसले के अनुरूप है. जिसने के पी शर्मा ओली को हटाते हुए प्रधानमंत्री पद के लिए उनके दावे पर मुहर लगाई थी.
इससे पूर्व देउबा चार बार- पहली बार सितंबर 1995- मार्च 1997, दूसरी बार जुलाई 2001- अक्टूबर 2002, तीसरी बार जून 2004- फरवरी 2005 और चौथी बार जून 2017- फरवरी 2018 तक- प्रधानमंत्री रह चुके हैं. संवैधानिक प्रावधान के तहत प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति के बाद देउबा को 30 दिनों के अंदर सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा.
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को प्रधानमंत्री ओली के 21 मई के संसद की प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले को रद्द कर दिया था और देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया था. प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि प्रधानमंत्री के पद पर ओली का दावा असंवैधानिक है.
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