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Pegasus spying: राहुल गांधी, प्रशांत किशोर, बीजेपी के दो मंत्री और प्रवीण तोगड़िया समेत इन लोगों के फोन नंबर थे निशाने पर, रिपोर्ट में बड़ा दावा

Pegasus spying: सरकार ने पेगासस का इस्तेमाल कर भारतीयों की जासूसी की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं.

Pegasus spying: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, भारतीय जनता पाार्टी के मंत्रियों अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उन लोगों में शामिल हैं, जिनके फोन नंबरों को इजराइली स्पाइवेयर के जरिये हैकिंग के लिये सूचीबद्ध किया गया था. एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने सोमवार को यह जानकारी दी.

'द वायर' न्यूज पोर्टल ने पेगासस प्रोजेक्ट नामक अंतरराष्ट्रीय संयुक्त पड़ताल के खुलासे के दूसरे भाग में बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद अभिषेक बनर्जी और भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर अप्रैल 2019 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की कर्मचारी और उसके रिश्तेदारों से जुड़े 11 फोन नंबर हैकरों के निशाने पर थे.

सरकार ने जासूसी की खबरों को किया खारिज

सरकार ने पेगासस का इस्तेमाल कर भारतीयों की जासूसी की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं.

लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिये गए अपने बयान में सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.

वायर ने कहा है कि हाल ही में मंत्री बने वैष्णव का नंबर भी इजरायल स्थित एनएसओ समूह के एक ग्राहक द्वारा 2017-2019 के दौरान निगरानी के लिए संभावित लक्ष्य के रूप में सूचीबद्ध 300 सत्यापित भारतीय नंबरों में था.

कांग्रेस ने पीएम मोदी की भूमिका की जांच की मांग की

पेगासस मामले में लोकसभा में वैष्णव के बयान के बावजूद मानसून सत्र के पहले दिन संसद में जमकर हंगामा हुआ. कांग्रेस ने इस प्रकरण को लेकर गृह मंत्री अमित शाह को बर्खास्त करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच की मांग की तो बीजेपी ने इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दल पर निशाना साधा और दावा किया कि पेगासस जासूसी मामले से सत्तारूढ़ दल या मोदी सरकार को जोड़े जाने का एक भी साक्ष्य नहीं है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कड़े बयान में कहा कि कथित जासूसी के बारे में रिपोर्ट को कुछ लोगों ने आगे बढ़ाया है, जिनका एकमात्र उद्देश्य विश्व स्तर पर भारत को अपमानित करने के लिए हर संभव प्रयास करना है. शाह ने कहा, ‘‘यह विघटनकारियों की अवरोधकों के लिए रिपोर्ट है. विघटनकारी वैश्विक संगठन हैं जो भारत की प्रगति को पसंद नहीं करते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अवरोधक भारत में राजनीतिक खिलाड़ी हैं जो नहीं चाहते कि भारत उन्नति करे. भारत के लोग इस ‘क्रोनोलॉजी’ और संबंध को अच्छे से समझते हैं.’’

'द वायर' ने पड़ताल के नए भाग को जारी करते हुए कहा कि कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी द्वारा इस्तेमाल किए गए कम से कम दो मोबाइल फोन नंबरों को "इजरायल के निगरानी प्रौद्योगिकी विक्रेता समूह एनएसओ के एक आधिकारिक भारतीय ग्राहक" द्वारा संभावित लक्ष्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया था.

एमनेस्टी इंटरनेशनल की तकनीकी लैब द्वारा इस सूची से लिए गए फोन के क्रॉस-सेक्शन के फोरेंसिक निरीक्षण ने 37 उपकरणों में पेगासस स्पाइवेयर की उपस्थिति की पुष्टि की है, जिनमें से 10 भारत में हैं.

राहुल गांधी के फोन की नहीं हो सकी जांच

रिपोर्ट में कहा गया है कि गांधी उन लोगों में शामिल नहीं हैं, जिनके फोन नंबरों की जांच की गई क्योंकि उनके पास अब वे हैंडसेट नहीं हैं, जिनका इस्तेमाल उन्होंने उस समय किया था जब उनके नंबर को 2018 के मध्य से 2019 के मध्य तक निशाना बनाने के लिये चुना था.

रिपोर्ट के अनुसार फोरेंसिक जांच नहीं होने की सूरत में निश्चित रूप से यह स्थापित करना संभव नहीं है कि पेगासस को गांधी को निशाना बनाने के लिये कहा गया था या नहीं.

पेरिस स्थित गैर-लाभकारी मीडिया संगठन 'फॉरबिडन स्टोरीज' और अधिकार समूह एमनेस्टी द्वारा की गई एक जांच रिपोर्ट को भारत में 'द वायर' न्यूज पोर्टल और 'वाशिंगटन पोस्ट', द गार्जियन और 'ले मोंडे' सहित 16 अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों ने मीडिया पार्टनर के रूप में प्रकाशित किया है. रिपोर्ट में कहा गया है इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ समूह के पेगासस सॉफ्टवेयर के माध्यम से दुनिया भर से 50,000 से अधिक फोन नंबरों को निशाना बनाने के लिये सूचीबद्ध किया था.

'द वायर' ने कहा कि गांधी और केंद्रीय मंत्रियों वैष्णव और प्रहलाद सिंह पटेल के अलावा जिन लोगों के फोन नंबरों को निशाना बनाने के लिये सूचीबद्ध किया गया उनमें चुनाव पर नजर रखने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक जगदीप छोकर और शीर्ष वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग शामिल हैं.

लिस्ट में प्रवीण तोगड़िया का भी नाम

रिपोर्ट के अनुसार सूची में राजस्थान की मुख्यमंत्री रहते वसुंधरा राजे सिंधिया के निजी सचिव और संजय काचरू का नाम शामिल था, जो 2014 से 2019 के दौरान केन्द्रीय मंत्री के रूप में स्मृति ईरानी के पहले कार्यकाल के दौरान उनके विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) थे. इस सूची में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े अन्य जूनियर नेताओं और विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया का फोन नंबर भी शामिल था.

समाचार पोर्टल ने कहा कि सूची से पता चलता है कि चुनाव के कामकाज से जुड़े कई लोगों को भी संभावित निगरानी के लिए निशाने पर रखा गया था जिसमें लवासा भी शामिल हैं. लवासा 3 सदस्यीय चुनाव आयोग के एकमात्र सदस्य थे, जिन्होंने इस बात को माना था कि 2019 के आम चुनाव के लिए प्रचार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया था.

गांधी ने द वायर को बताया कि उन्हें अतीत में संदिग्ध व्हाट्सएप संदेश प्राप्त हुए थे और वह समय समय पर नंबर बदलते रहते थे, जिससे उन्हें निशाना बनाना 'उनके लिये थोड़ा मुश्किल' हो जाता था.

राहुल गांधी ने कही ये बात

इस खबर पर उनकी प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने द वायर से कहा, "लक्षित निगरानी जिसके बारे में आप बता रहे हैं, वह मेरे संबंध में या विपक्ष के अन्य नेताओं या कानून का पालन करने वाले किसी अन्य भारतीय नागरिक के संबंध में अवैध और निंदनीय है."

कांग्रेस के पूर्व प्रमुख ने कहा, "यदि आपकी सूचना सही है, यह मामला किसी व्यक्ति की गोपनीयता पर हमले से भी कहीं अधिक है. यह हमारे देश की लोकतांत्रिक नींव पर हमला है. इसकी पूरी जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार लोगों की पहचान करक उन्हें दंडित किया जाना चाहिए. "

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