Imran Khan Arrested: कांग्रेस सांसद ने राहुल गांधी से जोड़ी इमरान खान की गिरफ्तारी, कार्ति चिदंबरम बोले- 'भारत को कॉपी कर रहा पाक...'
Toshakhana Case: पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को 3 साल की जेल की सजा सुनाई गई है. अब भारतीय राजनेताओं की भी इसे लेकर प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
Imran Khan Convicted: कांग्रेस सांसद कार्ति पी चिदंबरम ने शनिवार (5 अगस्त) को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया दी. इमरान खान को तोशाखाना मामले में दोषी पाया गया है और तीन साल जेल की सजा सुनाई गई है.
कार्ति पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, "प्रमुख विपक्षी नेता को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए पाकिस्तान भारत मॉडल को फॉलो कर रहा है." कांग्रेस सांसद की प्रतिक्रिया इमरान की गिरफ्तार के कुछ मिनट बाद ही आई. इमरान को लाहौर में उनके जमान पार्क घर से गिरफ्तार किया गया.
Pakistan following the India model in preventing the principal opposition leader from contesting elections. https://t.co/vhmNtxyday
— Karti P Chidambaram (@KartiPC) August 5, 2023
3 साल की जेल और 1 लाख का जुर्माना
तोशाखाना मामले में इमरान खान को 3 साल जेल की सजा सुनाई गई है. कोर्ट उनपर पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना नहीं देने पर उन्हें छह महीने और जेल में सजा काटनी पड़ेगी. सजा सुनाते हुए कोर्ट ने साथ ही कहा कि इमरान खान ने जानबूझकर फर्जी जानकारी दी.
क्या है तोशाखाना मामला?
"तोशाखाना" वह जगह है जहां विदेशी गणमान्य व्यक्तियों की तरफ से सरकारी अधिकारियों को दिए गए उपहार संग्रहीत किए जाते हैं. यह विभाग पाकिस्तान के कैबिनेट डिवीजन की प्रशासनिक देखरेख में संचालित होता है.
अगस्त 2018 से अप्रैल 2022 तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत इमरान खान पर अपने कार्यकाल के दौरान तोशाखाना से अपने पास रखे गए उपहारों की जानकारी जानबूझकर छिपाने का आरोप लगाया गया था. ये उपहार, जिनमें एक ग्रेफ कलाई घड़ी, एक अंगूठी और एक रोलेक्स घड़ी शामिल थी.
इमरान के खिलाफ कब दायर हुआ था केस?
पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के सदस्यों की तरफ से अगस्त 2022 में खान के खिलाफ तोशाखाना से जुड़ा मामला दायर किया गया था. पाकिस्तान चुनाव आयोग (ECP) ने मामले की जांच शुरू की और 21 अक्टूबर, 2022 को खान को बेईमान व्यवहार, मनगढ़ंत जानकारी और गलत घोषणाओं के कारण पांच साल के लिए सार्वजनिक पद संभालने से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
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