INS विराट को तोड़ने को SC की मंजूरी, याचिकाकर्ता से कहा- आपको बहुत देर हो गयी
इस पर मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा, ''किसी ने इस जहाज के लिए कीमत चुकायी है. जहां देश देशभक्ति की भावना की बात है हम आपके साथ हैं. लेकिन आपको बहुत देर हो गयी.''

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएस विराट को तोड़ने की जारी प्रक्रिया पर अपनी मंजूरी दे दी. इसे रोकने के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुत देर इसे दायर किया गया. कोर्ट ने कहा, ''याचिकाकर्ता बहुत देर से सुप्रीम कोर्ट आए. 40% जहाज पहले ही तोड़ा जा चुका है. हम इसके तोड़ने प्रक्रिया में दखल नहीं देंगे.''
याचिका कर्ता ने दलील दी कि अभी सिर्फ 40 प्रतिशत ही तोड़ गया है. इसे रिपेयर करके म्यूजियम में बदला जा सकता है. अगर इसे तोड़ दिया गया तो यह देश के लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा.
इस पर मामले की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा, ''किसी ने इस जहाज के लिए कीमत चुकायी है. जहां देश देशभक्ति की भावना की बात है हम आपके साथ हैं. लेकिन आपको बहुत देर हो गयी.''
जानिए आईएनएस विराट का इतिहास
एमएसटीसी लिमिटेड द्वारा की गई एक नीलामी में इस जहाज को गुजरात के श्रीराम ग्रीन शिप रिसाइक्लिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा 38.50 करोड़ रुपये में खरीदा गया. इसे पहले 'एचएमएस हर्मिस' के रूप में जाना जाता था, इसने नवंबर 1959 से अप्रैल 1984 तक ब्रिटिश नौसेना की सेवा की थी.
साल 1974 में ब्रिटिश सिंहासन के उत्तराधिकारी प्रिंस चार्ल्स ने 'एचएमएस हर्मिस' पर सवार 845 नेवल एयर स्क्वाड्रन उड़ाए थे. बाद में इसे भारतीय नौसेना में अपने दूसरे विमान वाहक पोत, 'आईएनएस विराट' के रूप में मई 1987 में व्यापक नवीनीकरण और अपनी युद्धक क्षमताओं को बढ़ाने के बाद शामिल किया गया था.
दशकों तक सराहनीय सेवा के बाद भारतीय नौसेना ने आखिरकार मार्च 2017 में उसे सेवानिवृत्त कर दिया और तब से यह नौसेना डॉकयार्ड में था.
करीब 1,500 क्रू दल के साथ वह लड़ाकू-तैयार हवाई जहाजों और हेलीकाप्टरों का एक बड़ा भार उठा सकता था. इसने अक्टूबर 2001-जुलाई 2002 में ऑपरेशन पराक्रम में भाग लिया, 18 जुलाई से 17अगस्त, 1989 तक श्रीलंका में ऑपरेशन पवन में भाग लिया, और अपने लंबे समुद्री करियर में उसने कई अन्य असाधारण उपलब्धियां हासिल की थीं.
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