एक्सप्लोरर

नई रक्षा मंत्री का पहला फैसलाः पूर्व सैनिकों, विधवाओं, आश्रित सैनिकों को अनुदान

निर्मला सीतारमण के नाम के नाम की घोषणा 3 सितंबर को ही हो गई थी, लेकिन उसी शाम अरूण जेटली को जापान की यात्रा पर जाना पड़ गया था, जिसके चलते निर्मला सीतारमण पदभार नहीं संभाल सकी थीं. इसीलिए आज उन्होनें ये पदभार संभाल लिया.

नई दिल्लीः देश को आज पहली बार निर्मला सीतारमण के तौर पर अपनी (स्थायी या फिर पूर्ण-कालिक) महिला रक्षा मंत्री मिल गई. आज राजधानी दिल्ली के पॉवर-सेंटर यानि रायसीना हिल्स पर साउथ ब्लॉक में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने उन्हें रक्षा मंत्री का पदभार सौंप दिया. पिछले छह महीने से अरूण जेटली रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त पदभार संभाल रहे थे. हालांकि निर्मला सीतारमण के नाम के नाम की घोषणा 3 सितंबर को ही हो गई थी, लेकिन उसी शाम अरूण जेटली को जापान की यात्रा पर जाना पड़ गया था, जिसके चलते निर्मला सीतारमण पदभार नहीं संभाल सकी थीं. इसीलिए आज उन्होंने ये पदभार संभाल लिया.

रक्षा मंक्षी निर्मला सीतारमण का पहला काम देश की पहली पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री के तौर पह निर्मला सीतारमण ने सेना के आधुनिकीकरण से जुड़ा फैसला लिया है. पदभार संभालने के तुरंत बाद मीडिया को संबोधित करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि वे रक्षा मंत्री के तौर पर सेनाओं के आधुनिकिरण और सैनिकों के कल्याण के लिए काम करेंगी.

पदभार संभालने के तुंरत बाद ही ही निर्मला सीतारमण रक्षा मंत्रालय के करीब डीआरडीओ हेडक्वार्टर में केन्द्रीय पुलिसबलों को जरूरी साजों-सामान देने के एक कार्यक्रम में पहुंच गईं, जिसमें गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी शिरकत की. ये सभी हथियार, राइफल, बुलेट प्रुफ जैकैट, बुलेटप्रुफ बस, एटीवी भारत में ही मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई हैं. कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होनें मेक इन इंडिया पर जोर दिया.

रक्षा मंत्री का दायित्व मिलना बेहद बड़ी उपलब्धि हालांकि 70 के दशक के मध्य में और एक बार 1980-82 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त पदभार संभाला था, लेकिन ये पहली बार हुआ है कि देश को एक स्थायी महिला रक्षा मंत्री मिली हैं. इससे पहले तक निर्मला सीतारमण केन्द्र में ही वाणिज्यिक मंत्रालय का स्वतंत्र पदभार संभाल रही थीं. लेकिन जब मोदी कैबिनेट का हाल ही में विस्तार हुआ तो, किसी को इस बात का जरा भी इल्म नहीं था कि निर्मला सीतारमण ‘डार्क-हॉर्स’ साबित होंगी. वाणिज्य मंत्रालय में राज्यमंत्री से सीधे रक्षा मंत्री का दायित्व मिलना उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. क्योंकि रक्षा मंत्री की गिनती किसी भी सरकार के कैबिनट के सबसे बड़े मंत्रियों में होती है.

रक्षा मंत्री सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी का हिस्सा होता है, जो देश की रक्षा और सुरक्षा की सबसे बड़ी कमेटी होती है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में रक्षा मंत्री के अलावा गृहमंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री ही सदस्य होते हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी इस कमेटी के (गेस्ट) मेम्बर होते हैं. यानि निर्मला सीतारमण का नाम अब कैबिनेट के टॉप मंत्रियों में शुमार हो गया है. यूपीए काल में चाहे प्रणब मुखर्जी (बाद में राष्ट्रपति बने) हो या फिर ए के एंटनी, दोनों ही सरकार में नंबर-दो की पोजिशन पर थे—यानि कैबिनेट में प्रधानमंत्री के बाद वाली पोजिशन.

निर्मला सीतारमण से पहले मोदी सरकार के रक्षा मंत्री (चाहे वो अरूण जेटली हों या मनोहर पर्रीकर) कैबिनेट में उन्हें शीर्ष स्थान दिया गया है.

हालांकि जिस दिन मोदी सरकार ने नए मंत्रिमंडल के सदस्यों के नाम की घोषणा की, उनका नाम (और मंत्रालय) 26वें नंबर पर था और सिर्फ अल्पसंख्यक मामलों को मंत्रालय ही उनसे नीचे था. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि देश की रक्षा और सुरक्षा को निर्मला सीतारमण कैसे सर्वोपरि रख पाएंगी. क्योंकि इस वक्त देश जिस दौर से गुजर रहा है उसमें रक्षा मंत्री का कार्य बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है. वैसे भी उनके पास मात्रा डेढ़ साल ही काम करने के लिए है (मोदी सरकार के कार्यकाल के करीब साढ़े तीन साल पूरे हो चुके हैं.)

देश की सरहदों को सुरक्षित रखना बड़ी जिम्मेदारी निर्मला सीतारमण के सामने सबसे बड़ी जिम्मेदारी है देश की सरहदों को सुरक्षित रखना. उनके पदभार संभालने से ठीक पहले ही भारत का चीन से डोकलाम को लेकर विवाद खत्म हुआ है. लेकिन चीन भविष्य में भी भारत के लिए मुश्किलें खड़े कर सकता है. बुधवार को ही थलेसना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने ना केवल सेनाओं को बल्कि पूरे देश को चीन और पाकिस्तान से एक साथ युद्ध करने के लिए तैयार रहने के लिए आगाह किया था.

देश के सामरिक जानकार भी मानते हैं कि भले ही चीन से डोकलम विवाद खत्म हो गया हो लेकिन खतरा बरकरार है. चीन फिर से सीमा पर भारत को परेशान कर सकता है. साथ ही चीन से सीमा विवाद का फायदा पाकिस्तान भी उठा सकता है. वैसे भी चीन और पाकिस्तान की दोस्ती जगजाहिर है. ऐसे में देश क्या टू-फ्रंट वॉर के लिए तैयार है. क्योंकि थलसेना हो या वायुसेना या फिर नौसेना आधुनिकिरण के लिए जद्दोजेहद कर रही हैं. बावजूद इसके कि भारत अभी भी दुनिया के सबसे हथियारों के आयातक के तौर पर जाना जाता है, सेनाओं को सैन्य साजों-सामान और हथियारों की सख्त जरुरत है.

जानिए भारतीय सेना के तीनों अंगों की सामरिक क्षमता भारतीय वायुसेना के पास फिलहाल मात्र 33 स्कॉवड्रन हैं जबकि टू-फ्रंट वॉर के लिए कम से कम 42 स्कॉवड्रन की जरुरत है. हालांकि मनोहर पर्रीकर के कार्यकाल में 36 रफाल लडाकू जेट्स की डील पूरी हो गई थी लेकिन अभी भी वायुसेना को कम से कम 400 फाइटर प्लेन्स की जरुरत है. रशिया से फिफ्थ जेनरेशन फाइटर प्लेन्स की डील अभी तक नहीं हो पाई है. जल्द ही रक्षा मंत्रालय मेक इन इंडिया के तहत 100 सिंगल इंजन लड़ाकू विमानों की खरीद प्रक्रिया शुरु करने वाली है.

वायुसेना, नौसेना और थलसेना को कम से कम 800 हेलीकॉप्टर्स की जरुरत है. हाल ही में नौसेना ने 243 और थलसेना ने एचएएल से 60 हेलीकॉप्टर्स को खरीदने की प्रकिया शुरु कर दी है, लेकिन अभी भी ये जरुरत के हिसाब से काफी कम हैं.

नौसेना को हिंद महासागर में अपना दबदबा कायम करने के लिये कम से चार सौ युद्धपोतों की जरुरत है जबकि फिलहाल नौसेना के पास मात्र 200 जंगी जहाजों का बेड़ा है. चीन के पास जहां 80 से ज्यादा पनडुब्बियां है भारतीय नौसेना के पास मात्र 15 पनडुब्बियां हैं. अगले कुछ सालों में भारतीय नौसेना को फ्रांस की मदद से बनी छह स्कोर्पिन पनडुब्बियां मिलने वाल हैं, लेकिन चीन की तुलना में ये संख्या बेहद कम है.

थलसेना कों टैंक और तोपों के साथ-साथ अभी तक एक उम्दा स्वदेशी राइफल तक नहीं मिल पाई है. थलेसना के 1999 के आर्टेलेरी प्लान के तहत वर्ष 2027 तक 2800 तोपें मिलनी हैं, लेकिन ये प्लान अभी बेहद सुस्त गति से चल रहा है. अमेरिका से हाल ही में 145 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर गन्स मिलनी शुरू हो गई हैं. साथ ही डीआरडीओ और ओएफबी द्वारा तैयार गई तोंपों का भी फील्ड ट्रायल शुरु हो गया है लेकिन अभी भी रक्षा मंत्रालय को इस पर काफी काम करना बाकी है.

सेनाओं का एकीकरण भी बड़ी चुनौती रक्षा मंत्रालय में माना जाता है कि फाईलें बेहद धीमी गति से खिसकती हैं. ऐसे में सबकी निगाह इस और लगी होंगी कि क्या एक वक्त में बीजेपी की फायर-ब्रांड प्रवक्ता और जेएनयू की पॉस-आऊट निर्मला सीतारमण इन फाइलों को तेजी से खिसका पाने में कामयाब हो पायेंगी. क्या रक्षा मंत्रालय और सेनाओं के बीच समन्वय बैठाने में वे कामयाब हो पायेंगी. निगाहें इस बात पर भी लगी हैं कि क्या वाणिज्य मंत्रालय का अनुभव निर्मला सीतारमण रक्षा मंत्रालय में ला पायेंगी. क्योंकि पिछले तीन सालों में रक्षा क्षेत्र में सबसे कम एफडीआई (मात्र तीन करोड़ ही) आ पाया है.

सेनाओं का एकीकरण भी निर्मला सीतारमण के सामने एक बड़ी चुनौती है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीनों सेनाओं के साझा सैन्य कमांडर सम्मेलन को पहली बार संबोधित करते हुए तीनों सेनाओं को एक साथ मिलकर काम करने की सलाह दी थी. लेकिन उस बात को तीन साल बीत चुके हैं लेकिन अभी तक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की पोस्ट अभी तक नहीं बनाई जा सकी है. जबकि बीजेपी ने वर्ष 2014 के चुनावी घोषणापत्र में सीडीएस को अपनी प्रमुखता बताई थी. चीन ने पिछले साल तीनों सेनाओं का एकीकरण कर थियेटर-कमांड खड़ी कर दी है लेकिन भारत अभी भी इस दिशा में कई कोस पीछे दिख रहा है.

महिलाओं को लड़ाकू पायलट की जिम्मेदारी देने की बड़ी चुनौती एक और चुनौती निर्मला सीतारमण के सामने महिला रक्षा मंत्री के तौर पर जो सामने आने वाली है वो है सेनाओं में महिलाओं को लड़ाकू भूमिका देने की. वायुसेना में तो महिलाएं फायटर पायलट बन गई हैं लेकिन थलसेना और वायुसेना में अभी भी महिलाएं नॉन-काम्बेट रोल में ही हैं. उन्हें सीधे लड़ाई के मैदान में उतरने वाली भुमिका नहीं दी गई है.

एक और चुनौती बीबीसी की पूर्व पत्रकार और अब रक्षा मंत्री बन चुकी निर्मला सीतारमण को अपनी ही अल्मा-मटर जेएनयू में टैंक लगाने में आ सकती है. देशविरोधी और देश के टुकड़े करने वाले नारों से बदनाम हो चुकी दिल्ली की इस यूनिवर्सिटी में हाल ही में छात्रों में देशभक्ति की भावना बढ़ाने के लिए टैंक लगाने की बात सामने आए थी. लेकिन विरोध के बाद ये प्लान ठंडे बस्ते में चला गया. लेकिन अब सोशल मीडिया पर ये बात जोर शोर से की जा रही है कि जेनएनयू के लिए एक टैंक मांगा था, लेकिन रक्षा मंत्री ही दे दिया. यानि अब तो जेएनयू में टैंक लग कर रहेगा.

कौन हैं निर्मला सीतारमण निर्मला सीतारमन का जन्म 18 अगस्त 1959 में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ. उनके पिता रेलवे में नौकरी करते थे और मां गृहणी थी. पिता के अनुशासन और मां के किताबों के प्रति प्यार का असर उनके जीवन पर भी हुआ. निर्मला सीतारमण ने अपना ग्रेजुएशन तिरुचिरापल्ली में किया. इसके बाद मास्टर्स के लिए वे दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय आ गईं. साल 1986 में पराकला प्रभाकर से शादी के बाद वे लंदन शिफ्ट हो गईं. वहां कॉर्पोरेट के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल करने के बाद वे 1991 में भारत वापस आ गईं. निर्मला सीतारमण के पति और परिवार का झुकाव कांग्रेस की ओर था इसके बावजूद उन्होंने साल 2006 में बीजेपी ज्वाइन किया. अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती दिनों में वे रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में बीजेपी की प्रवक्ता बनीं. लंदन में हासिल की गई अपनी उपलब्धियों के दम पर पार्टी में लगातार सफलता की सीढ़ी चढ़ती चली गईं. साल 2010 में जब पार्टी की कमान नितिन गडकरी के हाथ में आई तब उन्हें बीजेपी का आधिकारिक प्रवक्ता बनाया गया. निर्मला सीतारमण फिलहाल रक्षा मंत्री हैं लेकिन इससे पहले उनके पास वाणिज्य मंत्रालय का पदभार था.

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

इंडिगो संकट पर सरकार सख्त, जांच कमेटी के सामने पेश हुए CEO एल्बर्स , आज DGCA करेगी सवाल-जवाब
इंडिगो संकट पर सरकार सख्त, जांच कमेटी के सामने पेश हुए CEO, आज DGCA करेगी सवाल-जवाब
अखिलेश यादव का आरोप, 'सरकार की आलोचना करो तो BJP पुराने केस खोलकर गिरफ्तार करती है'
अखिलेश यादव का आरोप, 'सरकार की आलोचना करो तो BJP पुराने केस खोलकर गिरफ्तार करती है'
कश्मीर का कहवा, बंगाल का रसगुल्ला, पंजाब की मिस्सी रोटी... PM मोदी के NDA सांसदों को दिए डिनर का मेन्यू वायरल
कश्मीर का कहवा, बंगाल का रसगुल्ला... PM मोदी ने NDA सांसदों को दिया डिनर; मेन्यू वायरल
IND vs SA 2nd T20: 10 या 12 नहीं... भारतीय गेंदबाजों ने फ्री में दक्षिण अफ्रीका को दिए पूरे 22 रन; बन गया 'शर्मनाक' रिकॉर्ड
10 या 12 नहीं... भारतीय गेंदबाजों ने फ्री में दक्षिण अफ्रीका को दिए पूरे 22 रन; बन गया 'शर्मनाक' रिकॉर्ड

वीडियोज

सीक्रेट लव का शैतान दुश्मन | Sansani
TMC सांसद ने मकर द्वार पर सुलगाई सिगरेट...Giriraj Singh ने सांसद को टोका | ABP News
UP Sir Update: घुसपैठियों के खिलाफ देश में पहली बार इतना बड़ा एक्शन! | SIR Controversy
Sandeep Chaudhary: विपक्ष को बिहार वाला भय...3 करोड़ वोट कटना तय? | SIR | Gyanesh Kumar
Hanumangarh Farmers Protest: देश का किसान इतना क्रोधित क्यों है? | Bharat ki Baat With Pratima

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
इंडिगो संकट पर सरकार सख्त, जांच कमेटी के सामने पेश हुए CEO एल्बर्स , आज DGCA करेगी सवाल-जवाब
इंडिगो संकट पर सरकार सख्त, जांच कमेटी के सामने पेश हुए CEO, आज DGCA करेगी सवाल-जवाब
अखिलेश यादव का आरोप, 'सरकार की आलोचना करो तो BJP पुराने केस खोलकर गिरफ्तार करती है'
अखिलेश यादव का आरोप, 'सरकार की आलोचना करो तो BJP पुराने केस खोलकर गिरफ्तार करती है'
कश्मीर का कहवा, बंगाल का रसगुल्ला, पंजाब की मिस्सी रोटी... PM मोदी के NDA सांसदों को दिए डिनर का मेन्यू वायरल
कश्मीर का कहवा, बंगाल का रसगुल्ला... PM मोदी ने NDA सांसदों को दिया डिनर; मेन्यू वायरल
IND vs SA 2nd T20: 10 या 12 नहीं... भारतीय गेंदबाजों ने फ्री में दक्षिण अफ्रीका को दिए पूरे 22 रन; बन गया 'शर्मनाक' रिकॉर्ड
10 या 12 नहीं... भारतीय गेंदबाजों ने फ्री में दक्षिण अफ्रीका को दिए पूरे 22 रन; बन गया 'शर्मनाक' रिकॉर्ड
'शोले' की री-रिलीज से पहले अभिषेक बच्चन का खुलासा, कभी थिएटर में नहीं देखी पिता अमिताभ बच्चन की फिल्म
'शोले' की री-रिलीज से पहले अभिषेक बच्चन का खुलासा, कभी थिएटर में नहीं देखी फिल्म
आसिम मुनीर के CDF बनते ही एक्शन! ISI के पूर्व चीफ का कोर्ट मार्शल, 14 साल की सजा का ऐलान; इमरान के करीबी थी फैज
मुनीर के CDF बनते ही एक्शन! ISI के पूर्व चीफ का कोर्ट मार्शल, इमरान के करीबी थी फैज
कोई वेबसाइट या ऐप फेक या नहीं, कैसे करें पता? फ्रॉड होने से बचा लेगा यह तरीका
कोई वेबसाइट या ऐप फेक या नहीं, कैसे करें पता? फ्रॉड होने से बचा लेगा यह तरीका
यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान में किसे कितना मिलता है रिजर्वेशन, जानें किन स्टूडेंट्स को मिलता है सबसे ज्यादा फायदा?
यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान में किसे कितना मिलता है रिजर्वेशन, जानें किन स्टूडेंट्स को मिलता है सबसे ज्यादा फायदा?
Embed widget