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आप जिस दिल्ली-NCR में रहते हैं, जानिए- उसके बारे में A टू Z जानाकरी
एनसीआर में दिल्ली से सटे सूबे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई शहर शामिल हैं. इन राज्यों के ये शहर जुड़कर दिल्ली को न सिर्फ हसीन और जीवंत बनाते हैं, बल्कि रोजगार से लेकर व्यापार, बल्कि शैक्षनिक और सांस्कृतिक तौर पर भी एक नई दुनिया आबाद करने का मौका देते हैं.
नई दिल्ली: भारत में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) न सिर्फ देश का सबसे बड़ा कैपिटल रीजन है, बल्कि इसे दुनिया के बड़े कैपिटल रीजन में गिने जाने का गर्व है. एनसीआर में 4 करोड़ 70 से ज्यादा आबादी रहती है. एनसीआर में दिल्ली से सटे सूबे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई शहर शामिल हैं. इन राज्यों के ये शहर जुड़कर दिल्ली को न सिर्फ हसीन और जीवंत बनाते हैं, बल्कि रोजगार से लेकर व्यापार, बल्कि शैक्षनिक और सांस्कृतिक तौर पर भी एक नई दुनिया आबाद करने का मौका देते हैं.
यहां जानें एनसीआर के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य:
- नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड (एनसीआरपीबी) एक्ट, 1985 के तहत तीन पड़ोसी राज्यों - हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ जिले और भारत की राजधानी मिल कर एनसीआर का निर्माण करते हैं.
- समूचे एनसीआर में दिल्ली का क्षेत्रफल 1,484 स्क्वायर किलोमीटर है. देश की राजधानी एनसीआर का 2.9 फीसदी भाग कवर करती है.
- एनसीआर के तहत आने वाले क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर (नोएडा), बुलंदशहर, बागपत, हापुड़ और मुजफ्फरनगर जैसे जिले शामिल हैं.
- हरियाणा के फरीदाबाद, गुड़गांव, मेवात, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, महेंद्रगढ़, भिवाड़ी, जिंद और करनाल जैसे जिले एनसीआर में आते हैं.
- राजस्थान से दो जिले - भरतपुर और अलवर एनसीआर में शामिल किए गए हैं.
- जुलाई 2013 में एनसीआर में तीन और जिलों को शामिल किया गया है जिसमें हरियाणा राज्य के भिवाड़ी और महेंद्रगढ़, राजस्थान राज्य के भरतपुर जैसे जिले शामिल कर एनसीआर को विस्तारित किया गया था. अब एनसीआर में सामिल जिलों की संख्या बढ़ कर 19 हो गई है.
- उत्तर प्रदेश अब एनसीआर में अलीगढ़, मथुरा और आगरा जैसे जिलों को शामिल करने के लिए जोर दे रहा है.
- साल 2011-12 में एनसीआर के सभी क्षेत्रों ने एक साथ देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 128.9 यूएस अरब डॉलर का उत्पादन किया, जो कि भारतीय जीडीपी का 7.5 प्रतिशत था.
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अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
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