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Famers Protest: कृषि मंत्री ने कहा- क़ानूनों में नहीं है कोई ख़राबी, किसान आंदोलन के सम्मान में दिया बदलाव का प्रस्ताव
11वें राउंड की वार्ता ख़त्म करने के पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों के सामने जो बात कही उसे उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर भी शेयर किया है. ऐसा पहली बार हुआ है कि तोमर ने बैठक में दिए अपने भाषण को सार्वजनिक किया है.
![Famers Protest: कृषि मंत्री ने कहा- क़ानूनों में नहीं है कोई ख़राबी, किसान आंदोलन के सम्मान में दिया बदलाव का प्रस्ताव Narendra Singh Tomar - There is no defect in agricultural laws, a proposal for change in respect of farmers movement ANN Famers Protest: कृषि मंत्री ने कहा- क़ानूनों में नहीं है कोई ख़राबी, किसान आंदोलन के सम्मान में दिया बदलाव का प्रस्ताव](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2021/01/02022906/Agriculture-Minister-Narendra-Singh-Tomar.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ डेढ महीन से ज्यादा समय से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं. वहीं11 राउंड की बातचीत के बाद सरकार और किसान संगठनों के बीच अब आगे की बातचीत पर सवाल खड़ा हो गया है. जैसी की आशंका थी , शुक्रवार को दोनों पक्षों के बीच हुई वार्ता बेनतीजा ही रही. किसान संगठनों ने सरकार के उस प्रस्ताव को खारिज़ कर दिया जिसमें तीनों क़ानूनों के अमल पर डेढ़ साल तक की रोक लगाने और एक कमिटी का गठन कर बिंदुवार चर्चा का सुझाव दिया गया था.
कृषि मंत्री ने बैठक में दिए भाषण को किया सार्वजनिक
11वें राउंड की वार्ता ख़त्म करने के पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों के सामने जो बात कही उसे उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल पर भी शेयर किया है. ऐसा पहली बार हुआ है कि तोमर ने बैठक में दिए अपने भाषण को सार्वजनिक किया है. भाषण में वार्ता विफल रहने की निराशा और किसानों के अड़ियल रवैये पर नाराज़गी कृषि मंत्री के चेहरे पर साफ़ देखी जा सकती है. नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से कहा कि कृषि क़ानूनों में कोई ख़राबी नहीं है. लेकिन किसान नेताओं और उनके आंदोलन के प्रति संवेदनशील और सम्मान के चलते सरकार ने क़ानूनों में बदलाव और उसे कुछ महीनों तक स्थगित रखने का प्रस्ताव दिया है.
किसान संगठनों सरकार की कर रहे हैं आलोचना
तोमर का बयान महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि किसान संगठन इस बात को लेकर सरकार की आलोचना कर रहे हैं कि जब सरकार क़ानूनों में बदलाव और उसे स्थगित करने को तैयार है तो फिर उसे वापस ही क्यों नहीं ले लेती ? किसान संगठन ये भी तर्क़ देते आए हैं कि क़ानूनों में बदलाव करने की बात कर सरकार ने ये स्वीकार कर लिया है कि क़ानूनों में ख़राबी है.
कानून को वापस लेने का सरकार को कोई इरादा नहीं
तोमर ने अपने भाषण में कहा कि अगर किसान संगठन सरकार का सबसे ताज़ा प्रस्ताव मंज़ूर कर सरकार को बताते हैं तो सरकार उनको तुरंत बातचीत के लिए बुलाएगी. तोमर ने ये भी साफ़ कर दिया कि ताज़ा प्रस्ताव सरकार की ओर से दिया जानेवाला सबसे बेहतर प्रस्ताव है, लिहाज़ा किसानों को इसे मंज़ूर कर लेना चाहिए. उनके बयान ने ये भी साफ़ कर दिया कि क़ानूनों को वापस लेने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. अपने समापन भाषण में कृषि मंत्री ने इस बात पर अपनी आपत्ति जताई कि सरकार के साथ चल रही वार्ता के साथ साथ किसान न सिर्फ़ आंदोलन की अपनी नई रूपरेखा और कार्यक्रम भी बनाते रहे बल्कि उन कार्यक्रमों को अंजाम भी देते रहे. तोमर के मुताबिक़ बातचीत की भावना के ख़िलाफ़ रहने के बावजूद सरकार ने किसानों के इस रवैये का मसला कभी नहीं उठाया .
कृषि मंत्री ने किसानों पर बातचीत के दौरान लचीलापन न दिखाने पर जताया अफसोस
कृषि मंत्री ने किसानों पर बातचीत के दौरान लचीलापन नहीं दिखाने पर भी अफ़सोस जताया. तोमर ने आख़िर में कहा - " मैं आप सबके सामने आज भारी मन से यह बात रखना चाहता हूं कि जो दृष्टिकोण वार्ता के दौरान उपस्थित होना चाहिए था उसका हमारी मीटिंग में अभाव रहा और इसी अभाव के कारण ही हम सब वार्ता को आगे नहीं बढ़ा पाए ." उन्होंने उम्मीद जताई कि आंदोलन पहले की तरह ही अहिंसक और अनुशासित रहेगा.
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