यूपी में बीजेपी को हराना है तो मुसलमानों को... चुनावों में करारी हार के बाद बोलीं मायावती
UP News: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कहा कि बीजेपी को हराना है तो मुस्लिम समाज अपनी भूल सुधारे.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कहा कि बीजेपी को हराना है तो मुस्लिम समाज अपनी भूल सुधारे. सत्ताधारी बीजेपी और समाजवादी पार्टी (सपा) पर विधानसभा चुनाव में मिलीभगत करने का आरोप लगाते हुए मायावती ने कहा कि इन पार्टियों ने हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करके आतंक और डर का माहौल बनाया.
ट्वीट में मायावती ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में सपा और बीजेपी की अंदरूनी मिलीभगत जग-जाहिर है कि उन्होंने विधानसभा चुनाव में हिन्दू-मुस्लिम कराकर (हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करके) यहां डर और आतंक का माहौल बनाया, जिससे खासकर मुस्लिम समाज गुमराह हुआ और उसने सपा को एकतरफा वोट देने की भारी भूल की. इस भूल को सुधार कर ही बीजेपी को यहां हराना संभव है.'
यूपी में सपा व भाजपा की अन्दरूनी मिलीभगत जग-जाहिर रही है कि इन्होंने विधान सभा आमचुनाव को भी हिन्दू-मुस्लिम कराकर यहाँ भय व आतंक का माहौल बनाया, जिससे खासकर मुस्लिम समाज गुमराह हुआ व सपा को एकतरफा वोट देने की भारी भूल की, जिसको सुधार कर ही भाजपा को यहाँ हराना संभव।
— Mayawati (@Mayawati) March 29, 2022
10 मार्च को आए यूपी चुनाव के नतीजों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 273, सपा गठबंधन को 125, कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को दो-दो सीट मिलीं जबकि बसपा महज एक सीट पर सिमट कर रह गई.
इससे पहले मायावती ने रविवार को कहा था कि वह किसी भी पार्टी की ओर से मिले राष्ट्रपति पद के प्रस्ताव को कभी स्वीकार नहीं करेंगी. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस ने उनके समर्थकों को गुमराह करने के लिए यह झूठा प्रचार किया था कि अगर उत्तर प्रदेश विधानसभा में बीजेपी को जीतने दिया गया, तो बहन जी (मायावती) को राष्ट्रपति बनाया जाएगा.
मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और इससे पहले ही इस पद के लिए चुनाव होना है. बसपा मुख्यालय से जारी बयान के अनुसार उन्होंने कहा कि उनके लिए राष्ट्रपति बनना तो बहुत दूर की बात है, वह इस बारे में अपने सपने में भी नहीं सोच सकतीं.
बसपा प्रमुख ने कहा कि बहुत पहले ही मान्यवर कांशीराम ने उनका यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था और मैं तो उनके पदचिह्नों पर चलने वाली उनकी मजबूत शिष्या हूं. उन्होंने सफाई दी कि जब उन्होंने (कांशीराम) यह पद स्वीकार नहीं किया तो भला फिर मैं कैसे यह पद स्वीकार कर सकती हूं.
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