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भारत में 1981 से अब तक हुए 31 से ज़्यादा बड़े ट्रेन हादसे, आजादी के 75 साल बाद कितनी बदली भारतीय रेल

कोरोमंडल एक्सप्रेस में शुक्रवार को बड़ा हादसा हुआ. हादसे में करीब 238 लोगों की जान चली गई. भारत में 2017 के बाद रेलवे हादसा कम जरूर हुआ है. लेकिन इसका इतिहास स्याह है.

'मैं जब ट्रेन की बोगी से बाहर आया तो देखा कि लोगों के शरीर से खून बह रहा है, किसी का पैर नहीं है, किसी का हाथ नहीं है... कई तो ऐसे भी थे जिनका पूरा चेहरा ही बिगड़ चुका था'. ये आपबीती कोरोमंडल एक्सप्रेस पर सवार एक चश्मदीद की है.

शुक्रवार (2 जून) को शाम सात बजे ओडिशा के बालासोर में तीन रेल गाड़ी आपस में टकरा गए. इस दुर्घटना में सबसे ज्यादा क्षति कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार यात्रियों को हुई. अब तक 267 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है. 900 से ज्यादा लोग घायल हैं.

ओडिशा सीएम नवीन पाटनायक ने रेल हादसे के बाद एक दिन के राजकीय शोक का एलान किया है. टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से इस्तीफा मांगा है. 

ममता बनर्जी ने इस दुर्घटना को सदी का सबसे बड़ा हादसा बताया है और रेल मंत्रालय पर सवाल उठाया है. सोशल मीडिया पर भी रेलवे और उसकी सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं.

भारत में यह पहली बार नहीं है, जब एक्सिडेंट की वजह से रेलवे सुर्खियों में है. पिछले 42 साल में 31 से ज्यादा रेलवे दुर्घटनाएं दर्ज की जा चुकी है.

हादसे के बाद घटनास्थल और अस्पताल की तस्वीरें डराने वाली

भारत में 1981 से अब तक हुए 31 से ज़्यादा बड़े ट्रेन हादसे, आजादी के 75 साल बाद कितनी बदली भारतीय रेल 

 

भारत में 1981 से अब तक हुए 31 से ज़्यादा बड़े ट्रेन हादसे, आजादी के 75 साल बाद कितनी बदली भारतीय रेल

रेलवे के मुताबिक भारत में हर दिन 12 करोड़ से ज्यादा लोग ट्रेन से सफर करते हैं. ये 12 करोड़ लोग हर दिन 14, 000 ट्रेनों की सवारी करते हैं. रेल सुरक्षा में सुधार के लिए सरकारी प्रयासों के बावजूद, भारत के रेलवे में हर साल कई सौ दुर्घटनाएं होती हैं. ज्यादातर मामलों में मानव त्रुटि या पुराने सिग्नलिंग उपकरण का इस्तेमाल बताया जाता है.

देश में हुए अब तक के सबसे बड़े रेल हादसों पर एक नज़र

भारत में 1981 से अब तक हुए 31 से ज़्यादा बड़े ट्रेन हादसे, आजादी के 75 साल बाद कितनी बदली भारतीय रेल

2010 से 2014 के बीच ट्रेन में टक्कर और ट्रेन पलटने के कई हादसे सामने आए. 


भारत में 1981 से अब तक हुए 31 से ज़्यादा बड़े ट्रेन हादसे, आजादी के 75 साल बाद कितनी बदली भारतीय रेल

पिछले लगभग एक दशक में भारत ने कई रेल दुर्घटनाएं देखी हैं, जिनके परिणामस्वरूप जान-माल का भारी नुकसान हुआ है.


भारत में 1981 से अब तक हुए 31 से ज़्यादा बड़े ट्रेन हादसे, आजादी के 75 साल बाद कितनी बदली भारतीय रेल

भारत दुनिया भर के देशों में सबसे बड़े पैमाने पर रेल का इस्तेमाल करता है. अमेरिकन इकोनॉमिक रिव्यू में प्रकाशित 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, भारत की लगभग सभी रेल लाइनें (कुल 98 प्रतिशत) 1870 और 1930 के बीच बनाई गई थीं.
भारत में 1981 से अब तक हुए 31 से ज़्यादा बड़े ट्रेन हादसे, आजादी के 75 साल बाद कितनी बदली भारतीय रेल

भारतीय रेल के इतिहास में सबसे खतरनाक दुर्घटना 1981 में हुई थी. एक यात्री ट्रेन बिहार राज्य में एक पुल को पार करते समय पटरी से उतर गई थी. इसकी कारें बागमती नदी में डूब गईं. हादसे में 800 यात्रियों की मौत हो गई. कई पीड़ितों की लाश आज तक नहीं मिली है. 


भारत में 1981 से अब तक हुए 31 से ज़्यादा बड़े ट्रेन हादसे, आजादी के 75 साल बाद कितनी बदली भारतीय रेल

1980 से लगभग 2002 तक हर साल औसतन 475 ट्रेन के पटरी से उतरने की घटनाएं सामने आई. हाल के सालों में रेल सुरक्षा में सुधार हुआ है. गंभीर ट्रेन दुर्घटनाओं की कुल संख्या दो दशक में 300 से 2020 में घटकर 22 हो गई है. 2017 तक हर साल 100 से अधिक यात्री ट्रेन दुर्घटना में मारे जाते थे. 

सुधार के बावजूद खतरनाक हादसे होते ही रहते हैं. 2016 में भारत के पूर्वोत्तर राज्य में आधी रात को 14 ट्रेन कारें पटरी से उतर गईं. हादसे में  140 से ज्यादा सो रहे यात्रियों की मौत हो गई. 200 यात्री घायल हो गए. उस समय के अधिकारियों ने कहा था कि पटरियों में 'फ्रैक्चर' की वजह से हादसा हुआ. 2017 में दक्षिण भारत में देर रात ट्रेन के पटरी से उतरने से कम से कम 36 यात्रियों की मौत हो गई थी और 40 अन्य घायल हो गए थे.

पीएम मोदी ने परिवहन में सुधार की दिशा में क्या काम किया

पीएम मोदी ने साल 2019 में रेलवे की सुरक्षा की दिशा में कदम उठाए. साल 2019 में कई अंडरपास बनाए गए और ज्यादा सिग्नल कंडक्टर पोस्ट किए गए. जिससे रेलवे दुर्घटना कम हुई है.  

रेल दुर्घटना के बाद जब शास्त्री-नीतीश ने छोड़ा पद

भारत में रेल दुर्घटना की वजह से 2 मंत्री अपना पद छोड़ चुके हैं या छोड़ने की पेशकश कर चुके हैं. नेहरु सरकार के दौरान लाल बहादुर शास्त्री ने रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

ठीक इसी तरह अटल बिहारी की सरकार में नीतीश कुमार ने रेल दुर्घटना के बाद पद छोड़ दिया था. इसी तरह अब अश्विणी वैष्णव का इस्तीफा मांगा जा रहा है. हालांकि, उन्होंने पद छोड़ने को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है.

पिछले 9 साल में मोदी सरकार में 4 रेल मंत्री बदले जा चुके हैं. इनमें सदानंद गौड़ा, सुरेश प्रभु, पीयूष गोयल और अश्विनी वैष्णव का नाम शामिल हैं.

अब 9 प्वॉइंट्स में रेलवे के बारे में...

1. भारत में रेलवे का इतिहास - 1947 में स्वतंत्रता के बाद रेलवे में भारत सरकार ने बहुत खर्च किया, क्योंकि लगभग 40% रेलवे ट्रैक पाकिस्तान में स्थित थे. आजादी के बाद भारत में कई रेल पटरियां बिछाई गई. 

2. रेलवे का राष्ट्रीयकरण- स्वतंत्रता के बाद भारत में 75% सार्वजनिक परिवहन और 90% माल ढुलाई ट्रेन भारतीय रेलवे द्वारा बनाई गई थी. भारत सरकार को अलग से रेल बजट की बनाने की जरूरत पड़ी. भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण 1951 में किया गया था जो अब एशिया का दूसरा सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है.

3. भारतीय रेलवे में आरक्षण- भारतीय रेलवे ने शुरुआती दिनों में यात्रियों के लिए सीट आरक्षित करने की प्रणाली शुरू कर दी थी. शुरू में लंबी दूरी तय करने वाले यात्रियों को आरक्षण की सुविधा दी जाती थी. उस दौरान कंप्यूटर नहीं था और यात्रियों को लंबी लाइन लगाना पड़ता था. 1986 में भारतीय रेलवे द्वारा नई दिल्ली में पहली बार कम्प्यूटरीकृत आरक्षण प्रणाली शुरू की गई थी.

4. रेल बजट का पहला सीधा प्रसारण- आजादी के बाद से सरकार ने हर साल एक रेल बजट बनाना शुरू कर दिया. 24 मार्च, 1994 को रेल बजट का पहला सीधा प्रसारण हुआ था. 2004 से 2009 तक रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने पूरे कार्यकाल में छह बार बजट पेश किया. पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भारतीय इतिहास में रेलवे का पद संभालने वाली पहली महिला थीं.

5. पहली एसी डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट- पीएम मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु थे. प्रभू ने देश में पहली बार वातानुकूलित डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट की शुरुआत की थी. जून 2005 में भारत की पहली वातानुकूलित डेमू ट्रेन जिसे कोच्चि में लॉन्च किया गया था.

6. पहली सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन- भारतीय रेलवे ने सौर ऊर्जा संचालित ट्रेनों की शुरुआत की. सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन प्रति वर्ष 2.7 टन तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने में मदद करती है.

14 जुलाई 2017 को भारतीय रेलवे ने दिल्ली के सफदरजंग स्टेशन से पहली डीईएमयू (डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) लॉन्च की. ट्रेन दिल्ली के सहराई रोहिला से हरियाणा के फारुख नगर तक जाती है. ट्रेन कुल 16 सौर पैनलों है.

7. भारत की पहली सीएनजी ट्रेन- रेल मंत्रालय ने हरित ईंधन को अपनाने के लिए जनवरी 2005 में उत्तरी क्षेत्र के रेवाड़ी-रोहतक खंड पर पहली सीएनजी गैस की शुरुआत की. 

8. भारत की सबसे तेज ट्रेन "वंदे भारत"- भारतीय रेलवे की सबसे तेज़ ट्रेन को "ट्रेन 18" या आमतौर पर वंदे भारत के रूप में जाना जाता है. यह पूरी तरह से वातानुकूलित है. दिल्ली से वाराणसी तक जाती है. यह मेक इन इंडिया पहल के तहत 180 किमी प्रति घंटे की यात्रा करने वाली एकमात्र ट्रेन है. 

9. पहली डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन- हरियाणा के न्यू अटेली से न्यू किशनगंज तक दुनिया की पहली डबल स्टैक हॉल कंटेनर ट्रेन की शुरुआत जनवरी 2021 में हुई. 

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