दिल्ली: कई इतिहास बना गया मात्र 10 दिनों तक चला संसद का मॉनसून सत्र
राज्यसभा और लोकसभा के अनिश्चितकाल तक स्थिगित होने के बाद संसद का मॉनसून सत्र बुधवार को खत्म हो गया. कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते इसे जल्दी खत्म करने का फैसला लिया गया.

दिल्ली: लोकसभा और राज्यसभा के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के साथ ही संसद का मॉनसून सत्र बुधवार को ख़त्म हो गया. सत्र की अवधि तो एक अक्टूबर तक की थी लेकिन संसद भवन परिसर में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते इसे जल्दी खत्म करने का फैसला लिया गया.
14 सितंबर से शुरु हुआ ये सत्र कई मायनों में अनोखा रहा. सत्र की सबसे खास बात ये रही कि ये लगातार 10 दिनों तक चला. संसद के इतिहास में जहां लोकसभा में पहली बार रविवार को भी काम हुआ वहीं राज्यसभा में शनिवार और रविवार, दोनों ही दिन पहली बार कामकाज हुआ.
कोरोना के साए में हुए इस सत्र में विशेष इंतजाम करने पड़े. पहली बार ऐसा हुआ जब लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य एक दूसरे के सदन में भी बैठे. यही नहीं, सांसदों को पहली बार उपर की गैलरी में भी बिठाया गया. 17वीं लोकसभा का ये चौथा सत्र तो कई और कारणों से इतिहास बना गया. इस छोटे सत्र की उत्पादकता 167% रही जो संसद के इतिहास में एक रिकॉर्ड है. इसके पहले सबसे ज्यादा 163% कामकाज आठवीं लोकसभा के तीसरे सत्र में हो पाया था.
21 सितंबर को तो लोकसभा में 234% काम हुआ जो एक दिन में आजतक का रिकॉर्ड है. लोकसभा में निर्धारित 38 घण्टों की जगह 60 घण्टे कामकाज हुआ. इस दौरान कुल 25 बिल पारित किए गए और 16 नए बिल पेश किए गए. सत्र के दौरान कोरोना के 8029 कोरोना के टेस्ट भी हुए.
राज्यसभा में भी इस बार का सत्र बेहद सफल करार दिया गया. सभापति वेंकैया नायडू ने सदन में कामकाज की जानकारी देते हुए कहा कि राज्यसभा की उत्पादकता 100.47 फ़ीसदी रही. पिछले चार सत्रों को मिलाकर राज्यसभा में 96.5 फ़ीसदी कामकाज हुआ जो पिछले पांच सालों के औसत में सबसे ज्यादा है, इस दौरान राज्यसभा में भी 25 बिल पारित हुए और 6 नए बिलों को पेश किया गया. 38.30 घण्टे के निर्धारित समय की जगह 38.41 घण्टे कामकाज हुआ.
कुछ ज़रूरी और चर्चित बिल भी इस सत्र में पारित हुए. इनमें किसानों और खेती से जुड़े 3 नए बिल, विदेशी चंदा को पारदर्शी बनाने वाला एफसीआरए कानून और श्रम सुधारों से जुड़े तीन बिल शामिल हैं. हालांकि किसानों से जुड़े बिल पारित होते समय राज्यसभा में घटित हुई घटना ने राज्यसभा की चमक फीकी ज़रूर कर दी.
इस घटना के चलते 8 सांसदों को सदन से निलंबित कर दिया गया. वेंकैया नायडू ने कहा कि हमें ऐसी घटनाओं पर विचार कर इसे भविष्य में दोहराने से रोकना चाहिए.
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