जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बोले मनोज बाजपेयी- ओटीटी रेलवे स्टेशन जैसा, जहां एडल्ट किताबें भी, आपके हाथ में है पढ़ना न पढ़ना
मनोज बाजपेयी ने ओटीटी कंटेट के पक्ष में बोलते हुए कहा कि यहां हर तरह का कंटेंट है. मगर उसे देखना या न देखना दर्शकों पर है. उन्होंने किसी भी तरह के सेंसरशिप को गलत माना.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का सातवां दिन भी धमाकेदार रहा. इस दिन कई खास मेहमानों में एक थे मशहूर एक्टर मनोज बाजपेयी. अभिनेता ने जेएलएफ के मंच पर कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. जिन मुद्दों पर मनोज ने बात की उनमें ओटीटी में सेंसरशिप और विलेन के रोल जैसे मुद्दे भी थे.
मनोज बाजपेयी ने ओटीटी कंटेट के पक्ष में बोलते हुए कहा कि यहां हर तरह का कंटेंट है. मगर उसे देखना या न देखना दर्शकों पर है. उन्होंने किसी भी तरह के सेंसरशिप को गलत माना.
मनोज बाजपेयी ने ओटीटी प्लेफॉर्म की तुलना रेलवे स्टेशन से करते हुए कहा कि यहां हर तरह की चीज उपलब्ध है. यहां अच्छी-बुरी और अश्लील सभी तरह की किताबें हैं, जैसे रेलवे स्टेशन पर होती है. इसे चुनना लोगों के हाथ में है. उन्होंने आगे कहा कि ओटीटी ने आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक सबको जोड़ा है. अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोग भी एक-दूसरे की फिल्में देख रहे हैं.
मनोज ने ओटीटी फिल्ममेकर्स का बचाव करते हुए कहा कि बच्चों पर ध्यान रखने की जिम्मेदारी माता-पिता की हैं. डायरेक्टर पर आरोप लगाना गलत है. इंडियन सोसायटी में माता-पिता से बड़ा सेंसर कोई नहीं हो सकता. हर तरह की कंटेट को फ्रीडम होनी चाहिए.
15 अलग-अलग भाषाओं के साहित्य पर चर्चा
जेएलएफ का आयोजन इस साल नए स्थान पर किया जा रहा है. बता दें कि जेएलएफ के पांच दिवसीय ऑनग्राउंड कार्यक्रम में दुनिया की 15 अलग-अलग भाषाओं के साहित्य पर चर्चा होगी. साहित्य के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ यूक्रेन-रूस विवाद, जलवायु परिवर्तन, नई विश्व व्यवस्था, कल्पना की कला, कविता, यात्रा, विज्ञान, इतिहास जैसे विषयों पर जेएलएफ में चर्चा की जा रही है.
इस बार 400 वक्ता भाग ले रहे हैं, महोत्सव में कई ऐसे सत्र होंगे, जहां राजस्थान की कई भाषाओं और बोलियों पर चर्चा की जाएगी.
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