'अंतिम मतदाता सूची के तुरंत बाद ही हो जाएगी चुनावों की घोषणा ताकि...', बंगाल में SIR को लेकर भड़कीं ममता बनर्जी
ममता बनर्जी ने दावा किया कि अगर तृणमूल कांग्रेस सरकार ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को रोक दिया होता तो केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा देती.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार (9 दिसंबर, 2025) को दावा किया कि नई मतदाता सूची को लेकर कानूनी चुनौतियों से बचने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के बाद फरवरी में अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के तुरंत बाद राज्य में विधानसभा चुनावों की घोषणा की जाएगी.
ममता बनर्जी ने यहां रास मेला मैदान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया का इस्तेमाल मतदाताओं में डर उत्पन्न करने के लिए किया जा रहा है. उन्होंने 100 दिन की कार्य योजना के तहत धनराशि कथित रूप से रोके जाने को लेकर भी केंद्र पर हमला बोला और मंच पर एक पर्चा फाड़ दिया, जिसमें उन्होंने भुगतान बहाल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई शर्तों का जिक्र किया था.
उन्होंने कहा, 'फरवरी में एसआईआर की अंतिम सूची जारी होने के तुरंत बाद चुनाव घोषित किए जाएंगे, ताकि किसी को भी इसे कानूनी रूप से चुनौती देने का मौका न मिले. ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि चुनाव उसी सूची के आधार पर हों.' ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि आयोग की ओर से चार नवंबर को एसआईआर लागू करने से लोगों के बीच डर का माहौल बन गया है और उन्हें यह आशंका है कि उनके नाम मनमाने ढंग से मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे.
उन्होंने कहा, 'अब हमें अपनी नागरिकता साबित करनी होगी? इससे बड़ी शर्म की बात और क्या हो सकती है? जो लोग पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं, उनसे यह साबित करने के लिए कहा जा रहा है कि वे कौन हैं.' मुख्यमंत्री ने केंद्र पर हमला तेज करते हुए भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर ‘अराजक और निरंकुश’ शासन चलाने का आरोप लगाया.
उन्होंने आरोप लगाया कि अगर भाजपा राज्य में सत्ता में आई तो पार्टी बंगाल की संस्कृति, भाषा और विरासत को नष्ट कर देगी. ममता ने यह भी दावा किया कि अगर तृणमूल कांग्रेस सरकार ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को रोक दिया होता तो केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगा देती.
उन्होंने आरोप लगाया, 'वे (भाजपा) मौके की तलाश में थे. अगर हमने एसआईआर को रोक दिया होता, तो यहां राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता.' ममता बनर्जी ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बावजूद केंद्र ने एक साल बाद भी बकाया राशि जारी नहीं की तथा इसके बजाय एक पत्र भेजकर योजना के कार्यान्वयन पर कई शर्तें लगा दीं.
उन्होंने मंच से पर्चा फाड़ने से पहले घोषणा की, 'हमें ये शर्तें स्वीकार नहीं हैं. बंगाल 100 दिन की कार्य योजना अपने दम पर चलाएगा.' ममता बनर्जी ने ग्रामीण रोजागार योजना के तहत धनराशि चार साल से बंद होने का दावा करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र ने ग्रामीण आवास एवं ग्रामीण सड़क परियोजनाओं जैसे अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों को भी रोक दिया है.
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी तरफ से काम उपलब्ध कराकर एक वैकल्पिक योजना ‘कर्मश्री’ शुरू की थी और दावा किया कि यह कार्यक्रम सफल रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा, 'हमें किसी से भीख नहीं चाहिए. बंगाल अपने पैरों पर खड़ा होना जानता है.'
ममता बनर्जी ने पर्चा पढ़ते हुए एक शर्त का हवाला दिया जिसके तहत श्रम विभाग को तिमाही श्रम बजट प्रस्तुत करना आवश्यक है. उन्होंने पूछा, 'अभी दिसंबर है. फरवरी में चुनावों की घोषणा होगी. हम यह सब कब दिखाएंगे?' मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि एक और शर्त के तहत हर ग्राम सभा में मजदूरों की संख्या 10 तक सीमित है.
उन्होंने कहा, 'क्या ऐसा कभी होता है? एक परिवार में भी 10 गरीब लोग हो सकते हैं.' ममता ने कहा कि केंद्र ने मजदूरों के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण की भी बात कही है. मुख्यमंत्री ने कागज दिखाते हुए कहा, 'इसका कोई मूल्य नहीं है. यह एक बेकार कागज है. मैं इसे अपमान मानती हूं.' इसके बाद उन्होंने मंच से कागज फाड़ दिया.
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Source: IOCL





















