महाराष्ट्र: वसई विरार में लोगों को पानी के लिए करनी पड़ रही है जद्दोजहद, सड़क की सुविधा से भी हैं दूर
गांव वालों के मुताबिक वह करीब 40 सालों से अपनी समस्या को लेकर शासन-प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं लेकिन आज तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है वहीं अब उनका गांव वसई विरार महानगरपालिका के तहत भी आ चुका है.
मुंबई से करीब 40 किलोमीटर दूर वसई विरार महानगरपालिका के तहत आने वाले निशान डोंगरी गांव की महिलाओं को रोजाना पैदल करीब 1 दूर रेलवे लाइन पार करके पानी लाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. साथ ही स्कूल पहुंचने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को रेलवे ट्रैक का सहारा लेना पड़ता है. लेकिन सबसे खतरे की बात यह है कि जब यहां से ट्रेनें गुजरती हैं तो अक्सर यह ट्रेनें इस गांव के पास देर तक खड़ी हो जाती हैं. जिसकी वजह से इन स्कूली बच्चों को या गांव के लोगो को मजबूरी में ट्रेन के नीचे से जाना पड़ता है. जिसमें बेहद खतरा हो सकता है.
40 साल से लगा रहे हैं गुहार
गांव वालों के मुताबिक वह करीब 40 सालों से अपनी समस्या को लेकर शासन-प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं लेकिन आज तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है. वहीं अब उनका गांव वसई विरार महानगरपालिका के तहत भी आ चुका है लेकिन अभी भी गांव तक कोई सड़क और पानी की सुविधा नहीं पहुंची है. इस गांव के लोग आगरी समाज से आते हैं.
वहीं जब इस इलाके में रहने वाले समाजसेवी कैलाश पाटिल से मुलाकात कर इस गंभीर समस्या की वजह जानने की कोशिश की गई तो वह शासन प्रशासन पर गुस्सा हो गया. उन्होंने स्थानीय नेताओं के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए वसई विरार महानगरपालिका और यहां सत्ता में बैठे सांसद और विधायक के प्रति गहरी असंतुष्टी जताई. उन्होंने आरोप लगाया कि संबंधित सांसद और विधायक इस इलाके को लूट रहे हैं और इन गांव वालो कि कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही.
ग्राम पंचायत में भी बढ़ता जा रहा है पानी का संकट
कैलाश पाटिल कि वह इन गांव वालों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और वह यह लड़ाई जीतेंगे जरूर. आपको बता दें कि फिलहाल इस इलाके के ग्राम पंचायत में भी पानी का संकट बढ़ता जा रहा है जहां पानी के नल पहुंच चुके है फिर भी वहां गर्मी आते ही पानी की किल्लत शुरू हो गई है.
इस इलाके में भारी तादाद में लोग पानी के डिब्बों के साथ सड़कों पर नल के पास लाइन लगाए खडे रहते हैं और जब पानी आता है तो यहां पर हड़कंप मच जाता है. वहीं आपको बता दें कि यहां पर पानी सिर्फ दो-तीन दिन में एक ही बार आता है और अब गर्मियों में इन लोगों की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है.
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