LIVE: दो दिन की हिंसा के बाद मध्य प्रदेश में आज शांति, सरकार ने माना, पुलिस ने चलाई गोलियां
मंदसौर: मध्य प्रदेश में मंदसौर गोलीकांड के बाद हालात को संभालने में पुलिस प्रशासन के पसीने छूट गए हैं. आंदोलन की आग अब पूरे मध्य प्रदेश में फैलती जा रही है. इस बीच आज कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी हिसां से ग्रस्त इलाकों का दौरा करेंगे. उनके साथ प्रदेश के कई बड़े कांग्रेस नेता भी मौजूद होंगे. हालांकि एमपी पुलिस ने राहुल के इस दौरे की इजाजत नहीं दी है. किसानों के इस आंदोलन ने सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. पुलिस प्रशासन के बयानों में भी खतरा साफ नजर आ रहा है. आखिरकार IG ने मान लिया है कि किसानों पर पुलिस ने ही फायरिंग की थी.
LIVE UPDATE
- कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मध्य प्रदेश के मंदसौर मोटरसाइकिल से जा रहे हैं.
#WATCH Congress VP Rahul Gandhi travels by road on a motorcycle to Madhya Pradesh’s #Mandsaur pic.twitter.com/CWoUq0zpWS
— ANI (@ANI_news) June 8, 2017
- इस सरकार को शर्म नहीं आती कि आतंकियों और पत्थरबाजों से भी बुरा बर्ताव किसान के साथ कर रहे हैं- MP किसान आंदोलन के नेता शिव कुमार शर्मा
- मध्यप्रदेश सरकार के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने माना कि पुलिस ने किसानों पर गोली चलाई, इससे पहले सरकार ने इस बात से इनकार किया था.
- आज सुबह आईजी ने ये कूल किया कि पुलिस ने किसानों पर गोलियां चलाई जिससे 5 किसानों की मौत हुई.
- खबर है कि राहुल गांधी को हिरासत में लिया जा सकता है
- नया गांव के रास्ते कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज हिंसा ग्रस्त इलाके का दौरा करेंगे.
- राहुल गांधी सड़क के रास्ते मध्य प्रदेश के मंदसौर जा रहे हैं. उनके साथ कांग्रेस के कई और बड़े नेता मौजूद रहेंगे.
Congress VP Rahul Gandhi leaves for MP’s #Mandsaur by road to meet kin of those killed during farmers’ agitation. pic.twitter.com/R28jjzXK81 — ANI (@ANI_news) June 8, 2017
- आज सुबह मंदसौर के डीएम स्वतंत्र सिंह और एसपी को हटा दिया गया है. मंदसौर का चार्ज अब नीमच के एसपी को दे दिया गया है. वहीं शिवपुरी के डीएम ओपी श्रीवास्तव को मंदसौर का डीएम नियुक्त किया गया है.
मंदसौर के डीएम स्वतंत्र कुमार सिंह ने इस आंदोलन को लीडर लैस मूवमेंट का नाम दिया है. ABP न्यूज के संवाददाता ब्रजेश राजपूत जान जोखिम में डालकर मंगलवार को हुई हिंसा वाली जगह का जायजा लिया. वहीं, नीमच-रतलाम हाइवे पर पर सिर्फ जले हुए ट्रक ही दिख रहे थे. कई जगहों पर खेतों में भी आग लगा दी गई थी.
कल डीएम और एबीपी न्यूज़ के पत्रकार पर हुआ था हमला
कल आंदोलनकारी किसानों को समझाने पहुंचे डीएम स्वतंत्र कुमार सिंह के साथ ग्रामीणों ने हाथापाई की गई. उनके कपड़े फाड़ने की भी कोशिश हुई. कुछ स्थानीय लोगों की मदद से डीएम को सुरक्षित जगह पहुंचाया गया. किसानों के गुस्से का शिकार मीडियावाले भी हुए. ABP न्यूज संवाददाता ब्रजेश राजपूत के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की.
ग्रामीण इलाकों में हालात बेहद तनावपूर्ण हैं लेकिन शहर में शांति है फिर भी लोग डरे हुए हैं. मंदसौर जिले में परसों से ही कर्फ्यू लागू है. पुलिस लोगों से घरों के अंदर रहने की अपील कर रही है. मृतक किसानों का पोस्टमार्टम हो चुका है जिसकी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. केंद्र सरकार ने प्रशासन की मदद के लिए दंगा विरोधी दस्ते के 1100 जवानों को मंदसौर भेजा है. मंदसौर में किसानों की मौत की न्यायिक जांच के आदेश तो दिए हैं.
दो जून से किसान आंदोलन कर रहे हैं किसान मध्य प्रदेश में दो जून से किसान आंदोलन कर रहे हैं. मध्य प्रदेश के किसानों की मांग है कि उन्हें उनकी फसलों की सही कीमत मिले और कर्जमाफी हो. तीन जून को शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से मिलकर मामला सुलझने का दावा किया था. जिसके बाद एक धड़े ने आंदोलन वापस भी ले लिया था. लेकिन बाकी किसान विरोध प्रदर्शन पर अड़े रहे. 6 जून को प्रदर्शनकारी और सुरक्षाबल आमने-सामने आए. इसके बाद दोनों ओर से पथराव हुआ और फिर गोलियां चली, जिसमें पांच किसानों की मौत हो गई. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि गोलियां सीआरपीएफ की तरफ से चलीं वहीं राज्य सरकार कह रही है कि उसने गोली चलाने के आदेश ही नहीं दिए. क्या हैं किसानों की मांग और सरकार का पक्ष? पहली मांग किसानों की पहली मांग है कि कर्ज पूरी तरह माफ हो. इस पर सरकारी पक्ष है कि इस पर एमपी सरकार ने कहा है कि पूरी तरह कर्ज माफ नहीं कर सकते. वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक कह रहा है देश का घाटा बढ़ेगा, महंगाई बढ़ेगी. स्टेट बैंक कहता है कर्ज लौटाने का अनुशासन खराब होगा. यूपी कैबिनेट ने छोटे किसानों का 1 लाख तक का कर्ज माफ करने की सिफारिश की यानी सारे किसानों को कर्जमाफी नहीं. महाराष्ट्र में 5 एकड़ से कम जमीन वाले किसानों की कर्जमाफी की तैयारी है इस पर अभी फैसला होना बाकी है दूसरी मांग किसानों की दूसरी मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश पर लागत से 50% ज्यादा फसलों की कीमत दी जाए. इस पर सरकार की हालत है कि राज्य सरकारों के पास फसल खरीदने की न नीति है, न तैयारी है. मध्य प्रदेश ने पिछले साल 65 करोड़ का प्याज खरीदा, खराब व्यवस्था के चलते सड़ गया. राज्यों के पास पैसे नहीं हैं, केंद्र ने भी कहा अपने खजाने से भरो. तीसरी मांग किसानों की तीसरी मांग है कि खेती के लिए बिना ब्याज के कर्ज मिले. मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि खेती के लिए शून्य ब्याज दर पर किसानों को कर्ज दे रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार के पास फिलहाल ऐसी कोई नीति नहीं है. यूपी को अभी के कर्जमाफी के लिए 36 हजार करोड़ जुटाने भारी पड़ रहे हैं. ऐसे में बिना ब्याज कर्ज देना मुमकिन नहीं लगता. चौथी मांग किसानों की एक और बड़ी मांग है कि उन्हें पेंशन दी जाए. पेंशन की मांग पर किसी सरकार ने अभी तक विचार ही नहीं किया. सरकार कैसे किसानों का चयन करेगी, किसे कितनी पेंशन मिलेगी इस पर फिलहाल कोई नीति नहीं है.