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लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने उतारा 94 साल का कैंडिडेट, जानें कौन हैं ये?

डॉ शफीकुर्रहमान ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी परमेश्वर लाल सैनी को 1 लाख 74 हजार 826 वोटों से हराया था. वह पांच बार के सांसद हैं और मुरादाबाद एवं संभल से जीत हासिल कर चुके हैं.

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के लिए समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने 16 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. लिस्ट की काफी चर्चा हो रही है. सपा ने पहली लिस्ट में पार्टी के दिग्गजों के नाम की घोषणा की है. इनमें डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव का भी नाम शामिल है. इस बीच सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि अखिलेश यादव ने 94 साल के डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क (Shafiqur Rehman Barq) को भी मैदान में उतारा है. शफीकुर्रहमान संभल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. शफीकुर्रहमान अब भी सपा से सांसद हैं. 

शफीकुर्रहमान को लेकर चर्चा तेज है और ऐसे सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर अखिलेश ने उन्हें टिकट क्यों दिया है. शफीकुर्रहमान पांच बार के सांसद हैं और उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की थी और उत्तर प्रदेश की 80 में से 62 सीटें जीती थीं, तब भी शफीकुर्रहमान ने बीजेपी कैंडिडेट को करारी शिकस्त दी थी. शायद यही वजह है कि अखिलेश यादव ने एक बार फिर शफीकुर्रहमान पर भरोसा जताया है.

2019 में भी शफीकुर्रहमान ने सपा के टिकट पर लड़ा था चुनाव
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी शफीकुर्रहमान को समाजवादी पार्टी ने संभल सीट से मैदान में उतारा था. यहां उनका मुकाबला बीजेपी के परमेश्वर लाल सैनी से था. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी को 1 लाख 74 हजार 826 वोटों से हराया था. उनकी इस जीत ने साबित कर दिया था कि उन्हें टक्कर देने की ताकत बीजेपी में नहीं है और उम्र चाहे जो हो, लेकिन राजनीति में उनका कोई तोड़ नहीं है. 

5 बार के सांसद हैं शफीकुर्रहमान बर्क
शफीकुर्रहमान बर्क 5 बार सांसद रह चुके हैं. अपने पॉलिटिकल करियर में उनका ज्यादातर समय सपा के साथ बीता है. हालांकि, बीच-बीच में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (BSP) का भी दामन थामा, लेकिन जल्दी ही सपा में वापसी कर ली. शुरुआती दौर से ही शफीकुर्रहमान बर्क समाजवादी पार्टी के साथ हैं. तीन बार मुरादाबाद और 2 बार संभल लोकसभा सीट से चुनाव जीता.  1996, 1998 और 2004 में उन्हें  सपा के टिकट पर जबरदस्त जीत मिली, लेकिन 2009 में उन्होंने सपा को छोड़कर बीएसपी का दामन थाम लिया.

उस साल लोकसभा चुनाव हुआ. अब तक वह मुरादाबाद से चुनाव लड़ते आ रहे थे, लेकिन इस बार बसपा ने उन्हें मुरादाबाद के बजाय संभल से टिकट देने का फैसला किया. यहां भी शफीकुर्रहमान को जबरदस्त जीत मिली. हालांकि, वह बसपा में ज्यादा समय नहीं रहे और 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा में वापसी कर ली.  2014 में उन्होंने एक बार फिर संभल से चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए.

फिर 2017 का यूपी विधानसभा चुनाव आया तो उन्होंने सपा फिर से छोड़ दी और अपने पोते जियाउर्रहमान के साथ असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM में चले गए. ऐसा बताया जाता है कि वह 2017 के चुनाव में अपने पोते के लिए संभल की विधानसभा सीट का टिकट चाहते थे, लेकिन पार्टी ने इकबाल महमूद को दे दिया. इस बात से शफीकुर्रहमान नाराज हो गए और AIMIM में चले गए. हालांकि, वहां भी वह ज्यादा समय नहीं रहे और 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा में वापस आ गए. यहां पार्टी ने उन्हें संभल से टिकट दिया और उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई.

बयानों को लेकर चर्चाओं में रहते हैं शफीकुर्रहमान
शफीकुर्रहमान बर्क अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहते हैं. अयोध्या भूमि विवाद, ज्ञानवापी मामला, हिजाब बैन, ट्रेन में मुस्लिम युवक की पिटाई समेत कई मुद्दों पर विवादित बयान दे चुके हैं. केंद्र की बीजेपी सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को लेकर भी वह बयानबाजी करते रहते हैं. पिछले साल दिसंबर में शफीकुर्रहमान बर्क ने राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर कहा था कि वह इस समारोह में बिल्कुल नहीं जाएंगे और बाबरी मस्जिद वापस मिलने की दुआ करेंगे. उन्होंने यह भी कहा था कि ताकत के बल पर मस्जिद को खत्म किया गया है. 

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