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केरल में पिछले 5 सालों में जानवरों के हमले में 637 लोगों की मौत, विपक्ष बोला- मुआवजे के लिए लोगों को मरना पड़ रहा है
जंगली जानवरों, विशेष रूप से हाथियों के झुंड के बढ़ते खतरे को देखते हुए राज्य वन्यजीव विभाग ने इडुक्की जिले के गांवों के आसपास 21 किलोमीटर तक सौर बाड़ लगाने का फैसला लिया है.
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Kerala Animal Attacks: केरल के वन मंत्री एके ससींद्रन (A K Saseendran) ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि पिछले पांच वर्षों में राज्य में जंगली जानवरों के हमलों में कम से कम 637 लोग मारे गए हैं. इसी के साथ वन मंत्री ने ये भी स्वीकार किया कि राज्य में जानवरों के हमले बढ़ गए हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार इसके लिए समाधान निकाल रही है.
एके ससींद्रन ने कहा कि वन अधिकारी नुकसान को कम करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं और विपक्ष के आरोप उन्हें परेशान नहीं करेंगे. वहीं सदन में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) पेश करते हुए कांग्रेस नेता सनी जोसेफ ने कहा कि जंगल और पहाड़ी इलाकों के पास रहने वाले लोगों की रातों की नींद उड़ी हुई है और बार-बार होने वाले जानवरों के हमलों के कारण उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.
'सरकार को यह रवैया बदलना चाहिए'
उन्होंने कहा, "सरकार मौतों के तुरंत बाद मुआवजे की घोषणा कर देती है, लेकिन यह रवैया बदलना चाहिए और ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय करने होंगे." प्रस्ताव का समर्थन करते हुए विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन ने कहा, "राज्य में कुछ मुआवजा पाने के लिए लोगों को मरना पड़ रहा है... जिन लोगों की फसल बर्बाद हुई उन्हें पिछले दो सालों में मुआवजा नहीं दिया गया."
'वन विभाग सक्रिय कदम उठा रहा है'
वन मंत्री ने विपक्ष के सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, "2000 से अधिक जंगली सूअरों को मार दिया गया है... वन विभाग नुकसान को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है. अधिकारी खतरे को समाप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और उन्हें दोष देना उचित नहीं है." इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर लिया. विपक्ष ने एलडीएफ सरकार की इस मुद्दे के समाधान को लेकर अध्ययन रिपोर्ट की प्रतीक्षा को लेकर भी आलोचना की.
क्या कर रही केरल सरकार?
गौरतलब है कि जंगली जानवरों, विशेष रूप से हाथियों के झुंड के बढ़ते खतरे को देखते हुए राज्य वन्यजीव विभाग ने इडुक्की जिले के गांवों के आसपास 21 किलोमीटर तक सौर बाड़ लगाने का फैसला लिया है. वन एवं जल संसाधन मंत्रियों की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई सर्वदलीय बैठक में यह निर्णय लिया गया. वहीं, वायनाड जिले में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने मंगलवार को एक विरोध मार्च निकाला और एक व्यस्त सड़क की घेराबंदी कर जंगली जानवरों, विशेष रूप से बाघों के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए अधिकारियों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की.
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