'सुन कौन रहा है आपकी... मोदी?', मोहन भागवत के भाषण पर कपिल सिब्बल का तंज
Mohan Bhagwat: नागपुर में आयोजित दशहरा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि धर्म से ऊपर उठकर व्यक्तियों और परिवारों के बीच मैत्री का होना जरूरी है.
Kapil Sibal: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार (12 अक्टूबर 2024) को विजयादशमी को लेकर भाषण दिया था, जिस पर देश में राजनीति गरमा गई है. उनके बयान पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने तंज कसा है. प्रमुख मोहन भागवत के विजयादशमी भाषण में सामाजिक, सांस्कृतिक सद्भाव पर जोर देने के कटाक्ष किया.
कपिल सिब्बल का मोहन भागवत पर तंज
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, "विजयादशमी पर मोहन भागवत का संदेश. सभी तरह के लोगों के बीच दोस्त होने चाहिए. भाषाएं विविध हो सकती हैं, संस्कृतियां विविध हो सकती हैं, भोजन विविध हो सकता है लेकिन दोस्ती, उन्हें एक साथ लाएगी. उनकी बातों को सुन कौन रहा है? मोदी? कोई और?"
RSS चीफ ने क्या कहा था?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में आयोजित दशहरा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सामाजिक विकास में योगदान देने वाली महान विभूतियों को याद किया. उन्होंने अहिल्यबाई होल्कर और दयानन्द सरस्वती का जिक्र कर कहा कि इन लोगों ने समाज के विकास में अपना अमूल्य योगदान देकर हम सभी के जीवन में गहरी छाप छोड़ी है, जो हमारे लिए आदर्श है. अब इनके आदर्शों को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाना हमारा मूल कर्तव्य है. भागवत ने कहा, “सामाजिक सद्भाव और एकता के लिए जाति और धर्म से ऊपर उठकर व्यक्तियों और परिवारों के बीच मैत्री का होना जरुरी है."
Mohan Bhagwat
— Kapil Sibal (@KapilSibal) October 13, 2024
Message on Vijayadashmi
All festivals should be celebrated together
..have friends among all kinds of people…language can be diverse, cultures can be diverse, food can be diverse but friendship ..will bring them together
Who is listening ?
Modi ?
Others ?
खरगे ने भागवत पर निशाना साधा
इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोहन भागवत के भाषण पर कहा कि आरएसएस उस पार्टी का समर्थन करता है, जो देश में फूट चाहती है. उन्होंने कहा, "किसी देश को अत्याचार नहीं करना चाहिए. जैसे हम अल्पसंख्यकों की रक्षा करते हैं वैसे ही उनकी भी जिम्मेदारी है. अगर ये नहीं करेंगे तो ये अच्छा नहीं है. ये करने वाले ही बांट रहे हैं, जो पार्टी डिसयूनिटी चाहती है उसे समर्थन खुद भागवत करते हैं. संविधान की बात करो तुम, आरक्षण की बात करो तुम. और अब दूसरों को बुद्धि सिखा रहे हैं."
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