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गूंजती रहे आंगन में किलकारियां: क्या है भारत में प्रति 1 हजार नवजात बच्चों में मौत की दर?

भारत ने नवजातों की मौत को रोकने के लिए काफी कदम उठाए गए हैं और उसके नतीजे भी साल दर साल दिख रहे हैं हालांकि अभी इसमें बहुत सुधार की गुंजाइश है.

भारत में नवजात बच्चों की मौतों के मामले सरकार के लिए बीते 70 सालों में बड़ी चुनौती रहे हैं. हालांकि साल-साल दर इसमें कमी आती भी दिख रही है. सरकार की ओर से जो डाटा जारी किया गया है उसके मुताबिक साल 1951 में जहां प्रति 1000 नवजात बच्चों में 146 की मौत हो जाती थी वहीं  साल 2022 में घटकर अब 28 तक आ गई है.

ये आंकड़ा उन बच्चों से जुड़ा है जिनकी मौत जन्म के एक साल के अंदर ही कमजोर इम्युनिटी, देखरेख, दवाओं की कमी, वायरस से होने वाली बीमारियां और कुपोषण के चलते हो जाती है. 

अगर हम आंकड़ों को देखें तो प्रति 1000 बच्चों में साल 2015 में 37, साल 2016 में 34, साल 2017 में 33, साल 2018 में 32, साल 2019 में 30, साल 2020 में 30, साल 2021 में 29 और साल 2022 में 28 मौतें हुई हैं. 

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि नवजातों की मौत को रोकने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.

उन्होंने बताया कि जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों में अत्याधुनिक सुविधाओं वाले नवजातों के लिए केयर सेंटर बनाए गए हैं. इसके अलावा आशा कार्यकर्ताओं के जरिए कमजोर और बीमार बच्चों की पहचान और उनकी सेहत पर नजर रखी जाती है. 

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार की योजना MAA के तहत बच्चे के जन्म के पहले 6 महीने में स्तनपान के प्रति जागरुकता का भी बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके साथ ही नवजात बच्चों में रोगों के खिलाफ प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ाने के लिए टीकाकरण का भी जोर दिया जा रहा है.

टीकाकरण के जरिए टीबी, पोलियो, टिटनेस, हेपटाइटिस बी, रुबेला, निमोनिया जैसी तमाम वायरस से होने वाली बीमारियों से बच्चों को बचाया जा रहा है जो पहले के समय में जानलेवा साबित होती थीं.


गूंजती रहे आंगन में किलकारियां:  क्या है भारत में प्रति 1 हजार नवजात बच्चों में मौत की दर?

हालांकि नवजातों की मौत रोकने के लिए कई राज्यों में बहुत सुधार की गुंजाइश है जहां पर अभी प्रति 1000 बच्चों में 40 से ज्यादा या 50 के आसपास की मौत पहला जन्मदिन मनाने से पहले ही हो जाती है.

पीआईबी में दर्ज डाटा के मुताबिक साल 2019 में ही मध्य प्रदेश में प्रति 1000 बच्चों में 46 की मौत हुई है. साल 2015 में ये आंकड़ा 50 था. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2022 में भी कोई खास सुधार नहीं हुआ है. इसी तरह ओडिशा में साल 2019 में 38, राजस्थान में 35, उत्तर प्रदेश में 41 बच्चों की मौत हुई है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक नवजातों की मृत्यु के दर के मामले में भारत एशिया में सिर्फ पाकिस्तान और म्यामांर से ही बेहतर है. पाकिस्तान में प्रति 1000 बच्चों में 57 की मौत होती है और म्यामांर में 35 नवजातों की बच्चों होती है.

वहीं भारत से अन्य छोटे देश श्रीलंका में ये दर 6, बांग्लादेश में 24, नेपाल में 24 और भूटान में 23 नवजातों की मौत होती है. यहां बताना जरूरी है कि एशिया में चीन और जापान के बाद भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.

बात करें ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और दक्षिण अफ्रीका) की तो इन देशों में प्रति एक हजार नवजातों में ब्राजील में 13, रूस में 4, चीन में 6, दक्षिण अफ्रीका में 26 की मौत हुई है. साल 2022 के आंकड़ों की तुलना करें भारत यहां निचले पायदान पर है. वहीं कई विकसित देशों जिनमें सिंगापुर, जापान, नार्वे, स्वीडन, फिनलैंड, इस्टोनिया जैसे देशों में 1 एक हजार नवजातों में 2 की मौत हुई है.

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