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संयोजक के चेहरे पर सस्पेंस! नीतीश कुमार का टूट रहा सपना? क्यों INDIA में सुशासन बाबू के नाम पर नहीं बन रही बात

Nitish Kumar: नीतीश कुमार को उम्मीद थी कि एक बार विपक्षी दलों का गठबंधन बन जाएगा, तो उनके लिए संयोजक का रास्ता भी साफ हो जाएगा. हालांकि, ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है.

INDIA Alliance: लोकसभा चुनाव धीरे-धीरे नजदीक आता जा रहा है. ऐसे में इंडिया गठबंधन भी सभी नेताओं को उनकी जिम्मेदारी सौंपने में जुटा है. हालांकि, सबसे बड़ा सवाल ये है कि नीतीश कुमार क्या कभी विपक्षी गठबंधन के संयोजक बन पाएंगे. ये सवाल इसलिए क्योंकि उनके कार्यकर्ताओं का ये सपना फिर से टूट गया. बुधवार को गठबंधन की वर्चुअल मीटिंग नहीं हुई और न ही नीतीश पर फैसला हुआ. अब सवाल ये है कि क्या नीतीश के नाम सहमति नहीं बन पा रही है. 

पटना से लेकर दिल्ली तक के जेडीयू नेता कल नीतीश कुमार को सबसे योग्य बता रहे थे. विपक्षी गठबंधन के संयोजक बनाये जाने का सपना देख रहे थे. लेकिन दिन बदला और सपना चूर चूर हो गया. सपना टूटने की बात इसलिए क्योंकि कल ये खबर आई थी कि 3 जनवरी को विपक्षी गठबंधन के नेता ऑनलाइन मीटिंग करेंगे और उस मीटिंग में नीतीश को संयोजक बनाने का का प्रस्ताव रखा जाएगा. लेकिन न मीटिंग हुई और ना ही नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का प्रस्ताव आया.

नीतीश के नाम पर सहमत ये नेता

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इंडिया अलायंस की जूम मीटिंग के सवाल पर कहा कि अभी सब लोगों से बात हुई है. डेट जो है सब लोगों से बात करके तय करेंगे. बात होना है कि मीटिंग वगैरह किया जाए. मीटिंग कब होगा कैसे होगा यह अभी क्लियर नहीं है. एबीपी न्यूज को सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक अखिलेश यादव, शरद पवार, उद्धव ठाकरे सहित कुछ और नेताओं ने नीतीश के नाम पर सहमति दी है. इनकी तरफ से अभी बयान नहीं आया है. 

इसलिए माना जा सकता है कि नीतीश और जेडीयू के कार्यकर्ताओं का इंतजार अभी बढ़ गया है. वैसे भी नीतीश कुमार का इंतजार लंबा हो चुका है. पिछले सात महीनों से नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन के संयोजक बनने का सपना देख रहे हैं और साथ बैठने वाले गठबंधन के साथी उन्हें सपना दिखाए जा रहे हैं.

गठबंधन की पहल नीतीश ने शुरू की

इसमें कोई दो राय नहीं है कि नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता की मुहिम शुरू की थी. पिछले साल मई महीने में नीतीश ने देश भर का दौरा किया था और विपक्षी नेताओं से मिलकर गठबंधन बनाने की शुरुआत की थी. लेकिन नीतीश की इस पहल का अब तक कोई फल उन्हें नहीं मिला है. उल्टे 19 दिसंबर की मीटिंग में ममता ने मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे कर दिया. 

कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस बैठक के बाद ही नाराज होकर नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को पद से हटा दिया, क्योंकि उन्होंने नीतीश को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने का सपना दिखाया था. 

जेडीयू का हर छोटा बड़ा नेता आज भी नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बता रहा है. लेकिन गठबंधन के बाकी दल सुगबुगा नहीं रहे और तो और नीतीश के संयोजक बनाये जाने वाली मीटिंग की खबर जब कल सामने आई तो कांग्रेस के नेता मीम अफलज इस खबर को मीडिया क्रिएशन बताने लगे.

नीतीश को लेकर क्या सवाल उठ रहे और क्यों? 

क्या नीतीश के नाम पर विपक्षी गठबंधन में एकता नहीं बन पा रही है? क्या कांग्रेस नेतृत्व नीतीश के नाम पर सहमत नहीं है? क्या नीतीश का पत्ता काटने के लिए ही ममता ने खरगे का नाम आगे किया था? क्या केजरीवाल की भी नीतीश के नाम पर सहमति नहीं है?

ये वो कुछ सवाल हैं जिसकी चर्चा पटना से लेकर दिल्ली तक के पॉलिटिकल कॉरिडोर में हो रही है. फिलहाल एक तरफ नीतीश के नाम का सस्पेंस फिर से बढ़ गया है. अब आपके मन में सवाल होगा कि नीतीश ने गठबंधन के लिए इतनी मेहनत की तो फिर उनके नाम पर आखिर दिक्कत क्यों है.

इसकी वजह है नीतीश कुमार की छवि. भले ही लोग नीतीश कुमार को सुशासन बाबू के तौर पर जानते हैं, मगर वह राजनीति के अविश्वासी नेता बन चुके हैं. वो कब पलट जाएंगे किसी को पता नहीं. कौन सी बात उनको चुभ जाएगी ये कोई नहीं जानता. पिछले कई दिनों से उनके एनडीए में लौटने की कानाफूसी भी चल रही है. शायद ये मुख्य वजह है जिससे नीतीश पर विपक्षी दल भरोसा नहीं जता पा रहे.

यह भी पढ़ें: नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की खबरें मीडिया क्रिएशन, कांग्रेस नेता मीम अफजल ने किया साफ

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