दिल्ली: 1500 करोड़ के चीन से आने वाले उत्पादों का होगा दीवाली तक होगा बहिष्कार
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव का कहना है कि चीन से आने वाले उत्पादों का बहिष्कार किया जाएगा.उन्होंने बताया कि इस बारे में प्लान तैयार कर लिया गया है.

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के चलते चीन के उत्पादों के बहिष्कार की मांग भी सामने आने लगी है. स्वदेशी जागरण मंच ने चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया है. वहीं दूसरी तरफ देशभर के सात करोड़ छोटे दुकानदारों और व्यापारियों के संगठन ने दिवाली तक 1500 करोड़ रुपए के आयात होने वाले चीनी उत्पादों के बहिष्कार का लक्ष्य तय किया है.
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानी कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि चीन से सालाना लगभग 3000 से 3500 करोड़ रुपए के गैर जरूरी उत्पाद आयात किए जाते हैं. इस बारे में कैट ने तीन चरणों की पूरी रणनीति तैयार कर ली है. इस रणनीति के तहत सबसे पहले गैर जरूरी उत्पादों की सूची तैयार की जा रही है.
इसके बाद इन उत्पादों को आयात करने वाले ट्रेडर्स के साथ बातचीत की जाएगी. उसके बाद सरकार से इन उत्पादों को देश में ही बनाने को लेकर सहयोग की रणनीति तैयार होगी. प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि मौजूदा समय में भगवान की मूर्ति से लेकर अगरबत्ती तक चीन से आयात की जा रही है. ऐसे में यह वह तमाम उत्पाद हैं जिनका बहिष्कार आसानी से किया जा सकता है. इसके लिए कैट देशव्यापी अभियान भी चलाएगा.
खंडेलवाल ने बताया कि आने वाले त्योहारी मौसम यानी दिवाली पर हमने लक्ष्य तय किया है कि चीन से लगभग 1500 करोड़ रुपए के गैर जरूरी आयातित सामान को अब देश में ही बनाया जाएगा. अगर कुछ सामानों को बनाना देश में मुमकिन नहीं होगा तो चीन के बजाय दूसरे बाजारों से आयात करने पर विचार किया जाएगा. हमने इस पूरी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि आने वाले त्योहारी मौसम में इसका पूरा असर नजर आएगा. दिवाली पर चीन से आयात होने वाली लाइटें, कामा मोमबत्तियां आदि सभी उत्पाद गैर जरूरी सामानों की लिस्ट में शुमार हैं. ऐसे में कैट की देशभर में यह मुहिम रहेगी कि यह सभी उत्पाद घरेलू स्तर पर छोटी और मझोली इकाइयां निर्मित करें.
उन्होंने कहा कि इसके चलते हमें उम्मीद है की चीन से लगभग 15 सौ करोड़ रुपए का आयात आने वाली दिवाली तक कम हो जाएगा. इसके बाद चरणबद्ध तरीके से दूसरे उत्पादों के चीन से आयात पर भी काम शुरू किया जाएगा. इस पूरी कवायद का मकसद है कि चीन पर जो हमारी अति निर्भरता हो चुकी है उसको कम किया जाए. इससे दो फायदे होंगे. एक तो देश का आयात कम होगा. वहीं दूसरी तरफ घरेलू स्तर पर छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा जिससे बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा.
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