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'गाजा में हो रहे नरसंहार को रोकें, वरना तबाही मच जाएगी', मुस्लिम संगठनों की भारत और दुनिया के देशों से अपील

Israel Hamas War: इजरायल-हमास के बीच चल रहे युद्ध से गाजा में भारी तबाही मची हुई है, जिसको लेकर मुस्लिम संगठनों, धार्मिक विद्वानों ने सामूहिक रूप से इस संकट पर एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया है.

भारत के प्रमुख मुस्लिम संगठनों, धार्मिक विद्वानों और नागरिक समाज समूहों ने सामूहिक रूप से फिलिस्तीन संकट पर एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया है, जिसमें भारत सरकार और वैश्विक शक्तियों से इस मामले में हस्तक्षेप करने और गाजा में जारी अत्याचारों को रोकने की अपील की गई है.

इस ज्वाइंट स्टेटमेंट में मुस्लिम बहुल देशों से भी अपील की गई है कि वो गाजा में जारी अत्याचारों को खत्म करने के लिए अमेरिका और इजरायल और दबाव डालें. साथ ही भारत सरकार से भी अपील की है कि भारत हमेशा से उत्पीड़ितों के साथ खड़ा रहा है और इस वक्त भी भारत को अपनी विरासत को दोहराने का समय है. इसके अलावा, इस पत्र में भारत सरकार से ये भी मांग की गई है कि वो इजरायल की ओर से गाजा में जारी क्रूर कार्रवाईयों की निंदा करें.

संयुक्त बयान में क्या लिखा?

जमीयत उलेमा ए हिंद के अरशद मदनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, जमात-ए-इस्लामी हिंद के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी समेत कई प्रमुख मुस्लिम संगठनों के अध्यक्ष ने इस पत्र पर अपने हस्ताक्षर भी किए हैं.

फिलिस्तीन पर संयुक्त बयान में उन्होंने लिखा कि भारत के अधोहस्ताक्षरी मुस्लिम संगठनों के रहनुमा, इस्लामी विद्वान और भारत के शांतिप्रिय नागरिक गाजा में हो रहे नरसंहार और मानवीय संकट की कड़ी निंदा करते हैं. हम 20 करोड़ से अधिक भारतीय मुसलमानों और हमारे देश भारत के सभी शांतिप्रिय नागरिकों की ओर से फिलिस्तीन के लोगों के प्रति अपना अटूट समर्थन और एकजुटता व्यक्त करते हैं.

अकाल मृत्यु से बढ़ रहा मौत का आंकड़ा

उन्होंने लिखा कि हम भारत सरकार, अंतर्राष्ट्रीय रहनुमाओं और दुनियाभर के विवेकशील लोगों से अपील करते हैं कि वे इस अन्याय के विरुद्ध खड़े हों और इजरायल के निरंतर आक्रमण को समाप्त करने के लिए त्वरित पहल करें. फिलिस्तीनी लोगों पर लगातार हो रहे हमले ने क्रूर नरसंहार का रूप ले लिया है, जिसमें घरों, अस्पतालों, स्कूलों और शरणार्थी शिविरों को व्यवस्थित तरीके से नष्ट किया जा रहा है.

अक्टूबर 2023 से अब तक लगभग 100,000 निर्दोष फिलिस्तीनियों, जिनमें बड़ी संख्या महिलाओं और बच्चों की है, की अकाल मृत्यु हो गयी. चिंताजनक रिपोर्ट यह है कि गाजा की 90 फीसद स्वास्थ्य सुविधाएं या तो नष्ट हो चुकी हैं या बंद हो गयी हैं और 20 लाख से अधिक निवासियों के पोषण के लिए नाममात्र के राशन केंद्र बचे हैं. 17,000 से अधिक बच्चे अनाथ हो गए हैं या उनका कोई परिजन नहीं बचा. इसी प्रकार पांच लाख से अधिक बच्चों को शिक्षा से वंचित कर दिया गया है. 

संक्रमित और घातक बीमारियों का तेजी से फैलाव

उन्होंने लिखा कि हजारों टन आवश्यक खाद्य और चिकित्सा आपूर्ति सीमा पर अवरुद्ध है और पानी और सफाई की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से संक्रमित और घातक बीमारियों का तेजी से फैलाव हो रहा है. नाकेबंदी को तत्काल समाप्त नहीं किया गया तो गाजा को व्यापक अकाल के खतरे का सामना करना पड़ सकता है. 

संयुक्त बयान में उन्होंने लिखा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मूकदर्शक नहीं रह सकता. हम सभी देशों से इजराइल के साथ सैन्य और आर्थिक संबंध तोड़ने और अवैध कब्जे को समाप्त करने के संयुक्त राष्ट्र महासभा के आह्वान के समर्थन की अपील करते हैं. हम सभी मुस्लिम बहुल देशों से आग्रह करते हैं कि वे इस तबाही को रोकने के लिए इजराइल और अमेरिका पर कड़ा दबाव डालें.

भारत को इजरायल की करनी चाहिए निंदा

संयुक्त बयान में आगे लिखा गया कि भारत ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़ितों के साथ खड़ा रहा है, यह उस विरासत को दोबारा ठीक करने का समय है. हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि वह फिलिस्तीनी जनता के न्यायोचित संघर्ष में उनके साथ दृढ़ता से खड़े होकर अपनी दीर्घकालिक नैतिक और कूटनीतिक परंपरा का सम्मान करें.

भारत को इजरायल की क्रूर कार्रवाइयों की निंदा करनी चाहिए, उसके साथ सभी सैन्य और रणनीतिक सहयोग बंद कर देने चाहिए और क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक प्रयासों का सक्रिय रूप से समर्थन करना चाहिए. हम भारत सरकार से मानवीय सहायता को बढ़ावा देने की अपील करते हैं और गाजा में घिरे नागरिकों तक आवश्यक आपूर्ति जैसे भोजन, पानी, ईंधन और चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के लिए मानवीय गलियारों को तत्काल खोलने की मांग करते हैं. 

इजराइली उत्पादों और कंपनियों का बहिष्कार

मौलानाओं ने लिखा कि हम व्यक्तियों और संस्थाओं से इस नरसंहार में शामिल इजराइली उत्पादों और कंपनियों का बहिष्कार करने का आह्वान करते हैं. नागरिक समाज, शैक्षणिक संस्थानों और धार्मिक संगठनों को उत्पीड़ितों की आवाज बुलंद करनी चाहिए और फिलिस्तीनी संघर्ष के बारे में फैलाए जा रहे दुष्प्रचार और गलत सूचनाओं का विरोध करना चाहिए.

हम भारत के लोगों से भी शांतिपूर्ण और वैध प्रतिरोध में भाग लेने की अपील करते हैं. एकजुटता मार्च, जागरूकता अभियान, अकादमिक चर्चाएं और सर्वधर्म सभाएं आयोजित की जानी चाहिए, ताकि यह दिखाया जा सके कि भारतीय विवेक सोया नहीं है. हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि फिलिस्तीन के प्रति समर्थन राज्य के उत्पीड़न या दमन का लक्ष्य न बने और नागरिक बिना किसी भय के स्वतंत्र रूप से एकजुटता व्यक्त कर सकें.

नरसंहार के सामने चुप रहना कूटनीति नहीं

उन्होंने लिखा कि हमारी आवाज में राजनीतिक स्वार्थ नहीं, बल्कि हमारे संविधान और हमारी सभ्यता के नैतिक ताने-बाने में निहित सिद्धांतों की झलक हो. नरसंहार के सामने चुप रहना या तटस्थ रहना कूटनीति नहीं है, यह न्याय को कायम रखने में विफलता है. अब गाजा के लोगों के साथ एकजुटता से खड़े होने का समय है. आइए हम न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और करुणा की अपनी विरासत से प्रेरित हों. हमें मिलकर इस मानवीय त्रासदी को रोकने के लिए आवाज उठानी चाहिए.

इन मुस्लिम संगठनों में जमीयत उलेमा हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमात-ए-इस्लामी हिंद, मर्कजी जमीयत अहल-ए-हदीस, अमारत ए शरिया, शाही जामा मस्जिद, फतेहपुरी, ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल, एसआईओ ऑफ इंडिया आदि शामिल हैं. 

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