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कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन दो अक्टूबर तक बढ़ा, दो दिन बाद करेंगे देशव्यापी रेल आंदोलन
एक अक्तूबर से मालवा क्षेत्र के किसान संगठनों ने रेल रोको आंदोलन शुरू करने का एलान किया है.कृषि कानून के खिलाफ किसानों का रेल रोको आंदोलन 24 सितंबर को शुरू हुआ था.
![कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन दो अक्टूबर तक बढ़ा, दो दिन बाद करेंगे देशव्यापी रेल आंदोलन Farmers protest against agriculture law increased till October 2, nationwide rail movement on one october कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन दो अक्टूबर तक बढ़ा, दो दिन बाद करेंगे देशव्यापी रेल आंदोलन](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/09/29122138/farmers-protest-train.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: कृषि कानून के खिलाफ किसानों ने अपना आंदोलन अब दो अक्टूबर तक जारी रखने का फैसला किया है. इससे एक दिन पहले यानि एक अक्टूबर को किसान देशव्यापी रेल आंदोलन करेंगे. पंजाब के अमृतसर में किसान अब भी रेलवे ट्रैक पर बैठे हुए हैं और राज्य के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं.
24 सितंबर को शुरू हुआ था किसान आंदोलन
पंजाब में किसानों का ‘रेल रोको’ आंदोलन पांचवें दिन भी जारी रहा और उन्होंने प्रदर्शनों को दो अक्टूबर तक विस्तारित करने की घोषणा की. किसान-मजदूर संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदर्शनकारी 24 सितंबर से जालंधर, अमृतसर, मुकेरियां और फिरोजपुर में रेल पटरियों पर बैठे हैं. एक अक्तूबर से मालवा क्षेत्र के किसान संगठनों ने रेल रोको आंदोलन शुरू करने का एलान किया है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना, गुजरात, गोवा, ओडिशा और तमिलनाडु में किसानों के अलावा कांग्रेस और विपक्षी दल भी प्रदर्शन कर रहे हैं.
बता दें कि कृषि बिल के लोकसभा और फिर राज्यसभा से पास होने के बाद किसानों का रेल रोको आंदोलन 24 सितंबर को शुरू हुआ था. पंजाब और हरियाणा समेत अन्य राज्यों में किसानों का मानना है कि इस कानून से खरीद का पूरा काम कंपनियों के हवाले हो जायेगा और एमएसपी व्यवस्था समाप्त हो जाएगी.
सरकार ने जारी किए एमएसपी पर खरीद के आंकड़े
किसानों के विरोध के बीच सरकार ने सोमवार को धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद के आंकड़े जारी किये हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक पिछले 48 घंटे में 10.53 करोड़ रुपये के धान की एमएसपी पर खरीद की गई. सरकारी धान खरीद के इन आंकड़ों को जारी कर सरकार यह संदेश देना चाहती है कि एमएसपी खत्म करने का उसका कोई इरादा नहीं है और यह पहले की तरह जारी रहेगी.
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