Prashant Kishor Report Card: राजनीति में उतरेगा 'सबसे बड़ा रणनीतिकार', पिछले 10 साल के चुनावों में ऐसा रहा PK की हार-जीत का रिपोर्ट कार्ड
Prashant Kishor Report Card: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक्टिव पॉलिटिक्स में उतर सकते हैं. सोमवार को बिहार में उन्होंने सक्रिय राजनीति में हाथ आजमाने का संकेत देते हुए घोषणा की कि यह लोगों के मुद्दों और जन सुराज के रास्ते को बेहतर ढंग से समझने के लिए उनके पास जाने का समय है.
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक्टिव पॉलिटिक्स में उतर सकते हैं. सोमवार को बिहार में उन्होंने सक्रिय राजनीति में हाथ आजमाने का संकेत देते हुए घोषणा की कि यह लोगों के मुद्दों और जन सुराज के रास्ते को बेहतर ढंग से समझने के लिए उनके पास जाने का समय है.
प्रशांत किशोर पीएम नरेंद्र मोदी, बिहार के सीएम नीतीश, जगनमोहन रेड्डी, अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस, प.बंगाल की सीएम ममता बनर्जी समेत कई पार्टियों के लिए चुनाव में रणनीति बना चुके हैं. आइए आपको बताते हैं कि अब तक प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति में हार-जीत का रिपोर्ट कार्ड कैसा रहा है.
My quest to be a meaningful participant in democracy & help shape pro-people policy led to a 10yr rollercoaster ride!
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) May 2, 2022
As I turn the page, time to go to the Real Masters, THE PEOPLE,to better understand the issues & the path to “जन सुराज”-Peoples Good Governance
शुरुआत #बिहार से
- प्रशांत किशोर 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव में ही तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जुड़ चुके थे.
- प्रशांत किशोर सोशियो पॉलिटिकल डोमेन में कुछ करना चाहते थे. उन्होंने अपनी टीम के साथ सीएजी के नाम से एनजीओ (सिटीजन्स फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस) को रजिस्टर कराया.
- प्रशांत किशोर को देश के सबसे बड़े पॉलिटिकल पंडित की तरह पेश किया जाता है.
- मई, 2013 में प्रशांत किशोर और उनकी युवा टीम बीजेपी और तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के चुनावी प्रचार टीम का हिस्सा बनी.
- इस टीम के दो अभियान 'चाय पर चर्चा' और 'थ्री-डी नरेद्र मोदी' की बीजेपी के चुनाव प्रचार में अहम भूमिका रही.
- जब नरेंद्र मोदी मई 2014 में भारी बहुमत के साथ सत्ता में आए तो इसका काफी कुछ श्रेय प्रशांत किशोर की टीम को भी दिया गया.
- लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद प्रशांत बीजेपी से अलग हो गए.
- 2015 के विधानसभा चुनाव के पहले प्रशांत नीतीश कुमार से जुड़ गए
- बिहार चुनाव में उन्होंने इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आईपैक) बनाकर 'बिहार में बहार हो, नीतीशे कुमार हों' के नारे के साथ नीतीश को जीत दिलाई.
- नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को अपना "एडवाइजर'' नियुक्त कर लिया, उन्हें कैबिनेट रैंक दे दिया.
- प्रशांत किशोर का करियर जब लगातार कामयाबी के ग्राफ चढ़ रहा था तो उन्हें उत्तर प्रदेश में हार झेलनी पड़ी.
- जिस कांग्रेस की वे रणनीति तैयार कर रहे थे, उसे 2017 के विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त हार झेलनी पड़ी. हालांकि पंजाब में कांग्रेस को जीत मिली.
- 2019 में प्रशांत किशोर ने आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी को लोकसभा और विधानसभा में भारी बहुमत दिलाई.
- 2019 में शिवसेना के लिए भी काम कर चुके हैं. चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को जीत मिली थी. हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना बीजेपी से अलग हो गई थी.
- 2020 में दिल्ली में आप को जीत दिलाई. अच्छे बीते पांच साल, लगे रहो केजरीवाल और मेरा वोट विकास को, सीधे केजरीवाल को और अच्छे होंगे पांच साल, दिल्ली में तो केजरीवाल जैसा नारा दिया.
- 2021 में पीके ने तमिलनाडु में डीएमके और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को जीत दिलाई.
हमेशा सक्रिय राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले, किशोर पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू में शामिल हुए थे, लेकिन संशोधित नागरिकता कानून जैसे मुद्दों पर उनके परस्पर विरोधी विचारों पर कुमार के साथ तीखे मतभेदों के कारण उन्हें निष्कासित कर दिया गया था. उनके हाल में कुछ मौकों पर कांग्रेस में शामिल होने को लेकर भी अटकलें तेज रहीं लेकिन मुख्य विपक्षी दल में आमूलचूल बदलाव के उनके प्रस्ताव पर दोनों पक्षों में अंतिम सहमति नहीं बन सकी.
ये भी पढ़ें