मौत को मात देने के लिए तेजस फाइटर जेट के पायलट ने की थी एक कोशिश, लेकिन... Video में देखें वो पल
Tejas Fighter Jet Crash: नेगेटिव G ऐसी स्थिति होती है जब विमान उलटी दिशा में जोर से घूमता है और शरीर पर ग्रेविटी का उलटा दबाव पड़ने लगता है.

दुबई एयर शो में क्रैश हुए एलसीए तेजस लड़ाकू विमान के पायलट ने आखिरी पल में मौत को मात देने की कोशिश की थी, लेकिन विमान जमीन से टकरा गया और उनकी जान नहीं बच सकी. यह हादसा उस समय हुआ जब विमान एक बेहद खतरनाक स्टंट कर रहा था.
खतरनाक ‘नेगेटिव G टर्न’ के दौरान हादसा
एविएशन एक्सपर्ट्स ने वीडियो देखकर बताया कि तेजस विमान नेगेटिव G टर्न करते वक्त अचानक नीचे की ओर गिरने लगा. पायलट ने विमान को दोबारा सीधा करने और ऊंचाई लेने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और विमान जमीन पर जा गिरा. नेगेटिव G ऐसी स्थिति होती है जब विमान उलटी दिशा में जोर से घूमता है और शरीर पर ग्रेविटी का उलटा दबाव पड़ने लगता है.
पायलट ने आखिरी तक कंट्रोल करने की की कोशिश
नेगेटिव G में शरीर के भीतर खून सिर की तरफ तेजी से चढ़ जाता है, जिससे पायलट बेहोश भी हो सकता है. ऐसे में विमान को नियंत्रण में रखना बेहद मुश्किल होता है. वीडियो से अंदाजा लगाया जा रहा है कि पायलट अंत तक विमान को संभालने और सीधा करने की कोशिश करता रहा, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया.
❗️भारतीय वायुसेना के तेजस विमान क्रैश के बाद दुबई एयर शो के दर्शकों को सुरक्षित निकाला गया, घटनास्थल पर आपातकालीन सेवाएं मौजूद - TASS https://t.co/LhsS0KjlyL pic.twitter.com/k8KN35PlWq
— RT Hindi (@RT_hindi_) November 21, 2025
2016 से सर्विस में था यह तेजस
क्रैश हुआ तेजस फाइटर जेट तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस में तैनात स्क्वाड्रन का था और 2016 से इंडियन एयर फोर्स की सर्विस में था. IAF ने भी X पर पोस्ट कर हादसे और पायलट के निधन की पुष्टि की.
तेजस – IAF का सबसे सुरक्षित फाइटर जेट
हाल ही में MiG-21 के रिटायर होने के बाद तेजस को वायुसेना का नया भरोसेमंद फाइटर माना जा रहा था. तेजस का 24 साल में यह दूसरा हादसा है. पहला हादसा मार्च 2024 में राजस्थान के जैसलमेर में हुआ था - यानी 2001 में पहली टेस्ट फ्लाइट के 23 साल बाद.
तेजस विमान क्यों है ‘अस्थिर’ लेकिन बेहद फुर्तीला
तेजस का डिजाइन जानबूझकर अस्थिर रखा गया है ताकि यह एयर शो और युद्ध दोनों में बिजली की गति से मुड़ सके. इसे बैलेंस रखने के लिए इसमें बेहद एडवांस्ड फ्लाइ-बाय-वायर सिस्टम (फ्लाइट कंप्यूटर) लगाया गया है-यही तकनीक अमेरिकी लड़ाकू विमान F-16 में भी इस्तेमाल होती है.
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