लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के मामले में तत्काल सुनवाई से दिल्ली हाईकोर्ट का इंकार
यचिका दायर करने वाले वकीलों मनमोहन सिंह नरुला और सुष्मिता कुमारी ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष सदन में नेपा प्रतिपक्ष की नियुक्ति का वैधानिक कर्तव्य नहीं पूरा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संसद में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं दिया जाना गलत परिपाटी को शुरू कर रहा है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकसभा अध्यक्ष को सदन में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इंकार कर दिया. जस्टिस ज्योति सिंह और जस्टिस मनोज ओहरी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि जो राहत मांगी गई है, उसको देखते हुए इसपर तत्काल सुनवाई की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्होंने याचिका को एक उपयुक्त पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आठ जुलाई को सूचीबद्ध कर दिया.
यचिका दायर करने वाले वकीलों मनमोहन सिंह नरुला और सुष्मिता कुमारी ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष सदन में नेपा प्रतिपक्ष की नियुक्ति का वैधानिक कर्तव्य नहीं पूरा कर रहे हैं. उन्होंने याचिका में दलील दी है कि सदन के किसी सदस्य को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता देना कोई राजनीतिक या हिसाब-किताब से जुड़ा फैसला नहीं है, बल्कि यह वैधानिक निर्णय है.
नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के लिए नीति बनाने की मांग करते हुए याचिका में उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष को सिर्फ यह तय करना है कि विपक्ष के नेता पद के लिए दावा कर रही पार्टी विपक्ष में सबसे बड़ा दल है या नहीं. उन्होंने कहा कि संसद में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं दिया जाना गलत परिपाटी को शुरू कर रहा है और लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है. पश्चिम बंगाल में ब्रह्मपुर से सांसद अधीर रंजन चौधरी को कांग्रेस ने लोकसभा में पार्टी के संसदीय दल का नेता चुना है.
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