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नक्सलवाद पर आखिरी वार की तैयारी! CRPF ने 4,000 से ज्यादा जवान भेजे छत्तीसगढ़

CRPF Battalions: सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा कि टेक्नालॉजी और संचार सुविधाओं के अलावा सड़कों और हेलीपैड के निर्माण जैसे रसद की लगातार जरूरत होगी, ताकि नई यूनिट हताहत हुए बगैर इलाके पर कब्जा कर सकें.  

CRPF Battalions Move On Chhattisgarh: हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान किया था कि आगमी 2 सालों में नक्सलवाद को जड़ से मिटा दिया जाएगा. जिसके चलते गृह मंत्रालय कार्रवाई को अंजाम देने में जुट गया है. इस दिशा में अब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) छत्तीसगढ़ में हजारों की संख्या में अपने जवान भेजने जा रही है, जिसका मकसद नक्सलवाद को खत्म करना है.

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) छत्तीसगढ़ के बस्तर के सबसे अधिक नक्सल-हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में 4,000 से अधिक कर्मियों वाली चार बटालियनों को तैनात कर रहा है. ये मार्च 2026 तक माओवादी समस्या को खत्म करने के केंद्र सरकार के नए संकल्प के तौर पर एक ‘निर्णायक लड़ाई’ शुरू करने की रणनीति का हिस्सा है.

CRPF के बटालियन की बस्तर में होगी तैनाती 

सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने झारखंड से तीन और बिहार से एक बटालियन को वापस बुलाया है. इनकी तैनाती प्रदेश की राजधानी रायपुर से करीब 450 से 500 किलोमीटर दक्षिण स्थित बस्तर क्षेत्र में की जायेगी. बता दें कि, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को देश में प्रमुख आंतरिक सुरक्षा और नक्सल विरोधी अभियान बल के तौर पर जाना जाता है.

झारखंड और बिहार में नक्सली हिंसा में हुआ सुधार

ऐसा महसूस किया गया कि इन दोनों राज्यों (झारखंड एवं बिहार) में नक्सली हिंसा की स्थिति में सुधार हुआ है. क्योंकि, यहां पर घटनाएं न के बराबर हो रही हैं. इसलिए, इन बटालियनों का छत्तीसगढ़ में बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां अब नक्सल विरोधी अभियान केंद्रित हैं. सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में मौजूदा बल को और मजबूत बनाने के लिये सीआरपीएफ की 159, 218, 214 और 22 बटालियनों को तैनात किया जा रहा है. सीआरपीएफ की एक बटालियन में करीब 1,000 जवान होते हैं .

जानिए CRPF बटालियन की कहां होगी तैनाती?

सूत्रों ने बताया कि इन यूनिट को दंतेवाड़ा और सुकमा के दूरदराज के जिलों और ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के साथ राज्य की त्रिकोणीय सीमा के दूरदराज के इलाकों पर तैनात किया जा रहा है. दिल्ली में सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये बटालियनें सीआरपीएफ की कोबरा यूनिट के साथ मिलकर जिलों के दूरदराज के इलाकों में अपना बेस बनाएंगे, ताकि क्षेत्र को सुरक्षित करने के बाद विकास से जुड़े काम शुरू किए जा सकें.

बीते 3 सालों में छत्तीसगढ़ में CRPF ने बनाए 40 एफओबी

पिछले 3 सालों में सीआरपीएफ ने छत्तीसगढ़ में लगभग 40 एफओबी बनाए हैं. अधिकारी ने कहा कि ऐसे बेस स्थापित करने में कई तरह की चुनौतियां आती हैं, जैसे कि माओवादियों द्वारा जवानों पर घात लगाकर और विस्फोटक उपकरणों से हमला करना. उन्होंने कहा, ‘‘इन नई यूनिट को बख्तरबंद वाहनों, यूएवी (मानव रहित हवाई वाहन), श्वान दस्ते, संचार सेट और राशन आपूर्ति के माध्यम से रसद सहायता प्रदान की जा रही है.

केंद्र ने तय की मार्च 2026 तक माओवाद को खत्म करने की समय-सीमा 

इसका उद्देश्य बस्तर के सभी ‘नो-गो’ और अज्ञात क्षेत्रों में पैर जमाना है, ताकि सरकार की ओर से तय की गई मार्च 2026 की समय-सीमा के अनुसार वामपंथी उग्रवाद के खतरे को खत्म किया जा सके.

CRPF जवानों को तकनीक और हैलीकॉप्टर कराना होगा मुहैया

हालांकि, एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इन यूनिट और उनका समर्थन करने वाली अन्य सीआरपीएफ बटालियनों को लगातार तकनीक, हेलीकॉप्टर और संसाधन मुहैया कराने की जरूरत होगी, क्योंकि दक्षिण बस्तर नक्सल विरोधी अभियानों के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है. अधिकारी ने कहा, ‘‘सीआरपीएफ सहित सुरक्षा बलों को बस्तर क्षेत्र में सबसे ज्यादा जनहानि का सामना करना पड़ा है.अब निर्णायक अभियान यह सुनिश्चित करेंगे कि नक्सल समस्या वहां से हमेशा के लिए खत्म हो जाए.’

प्रौद्योगिकी एवं संचार सुविधाओं के अलावा सड़कों और हेलीपैड के निर्माण जैसे रसद समर्थन की लगातार जरूरत होगी, ताकि नई यूनिट हताहत हुये बगैर इलाके पर कब्जा कर सकें.  

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